मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
ईरान-इजरायल युद्ध की गूंज इतनी तेज़ है कि उसके शोर में मानवीयता और परोपकार की तमाम मिसालें दबकर रह गई हैं. ऐसी ही एक मिसाल है अबू धाबी के डॉक्टर शमशीर वायलिल की, जिनका दिल अहमदाबाद विमान हादसे में मारे गए डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों के लिए धड़क उठा.
यह वही हादसा है, जिसमें एयर इंडिया की एक फ्लाइट टेकऑफ के चंद मिनट बाद ही अहमदाबाद के बी.जे. मेडिकल कॉलेज की मेस की इमारत से टकरा गई थी. इस त्रासदी में कुल 242 यात्रियों की मौत हुई थी.इसके अलावा इसमें चार एमबीबीएस छात्र और एक डॉक्टर भी शामिल थे.
जहां एयर इंडिया ने केवल अपने यात्रियों के परिजनों को मुआवज़ा देने की घोषणा की, वहीं इन मेडिकल छात्रों और डॉक्टरों के लिए किसी प्रकार की सहायता की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई.
ऐसे में संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबू धाबी में बसे डॉक्टर शमशीर वायलिल आगे आए. उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले हर मेडिकल छात्र व डॉक्टर के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और घायलों को 20-20 लाख रुपये देने का ऐलान किया.
दिलचस्प बात यह है कि डॉक्टर शमशीर यह मदद किसी इस्लामिक संस्था या धार्मिक संगठन के माध्यम से नहीं, बल्कि बी.जे. मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के हाथों सौंपेंगे.
यही एसोसिएशन यह तय करेगी कि किसे कितनी मदद दी जाए. ध्यान देने वाली बात यह भी है कि एसोसिएशन का कोई सदस्य मुसलमान नहीं है, जिससे यह साफ है कि शमशीर की सोच सम्प्रदाय से ऊपर, पूरी तरह मानवीय और निष्पक्ष है.
एक कार्यक्रम में डा शमशीर को सम्मानित करते तत्तकालीन राष्ट्रपति डाॅ प्रणव मुखर्जी
तो आखिर कौन हैं डॉक्टर शमशीर वायलिल ?
फोर्ब्स के अनुसार डॉक्टर शमशीर की रियल टाइम नेटवर्थ 6,22,25 करोड़ रुपये से अधिक है. वह बुर्जील होल्डिंग्स के संस्थापक और चेयरमैन हैं, जो मध्य पूर्व में अस्पतालों, क्लीनिकों और फार्मेसीज़ का एक विशाल नेटवर्क संचालित करता है..
केरल के एक कारोबारी परिवार में जन्मे शमशीर ने अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी करने के बाद मध्य पूर्व का रुख किया. अबू धाबी के शेख खलीफा मेडिकल सिटी में रेडियोलॉजिस्ट के तौर पर काम करने लगे. साल 2007 में उन्होंने अपने ससुर और खाड़ी के प्रसिद्ध उद्योगपति एम. ए. यूसुफ अली के सहयोग से अबू धाबी में एलएलएच अस्पताल की शुरुआत की.
आज बुर्जील समूह के पास 16 अस्पताल, 24 चिकित्सा केंद्र, फार्मा निर्माण यूनिट्स और भारत तथा खाड़ी में फैले स्वास्थ्य सेवा के कई उपक्रम हैं. वह वायालिल पारिवारिक कार्यालय VPS हेल्थकेयर के माध्यम से RPM, लाइफफार्मा, लेकशोर हॉस्पिटल, एजुकेयर इंस्टीट्यूट जैसे ब्रांड्स का संचालन करते हैं.
अलीगढ़ में एक कार्यक्रम में तत्कालीन कुलपति जमीरूद्दीन शाह ने शमशीर को सम्मानित किया
डॉ. शमशीर वायलिल का मानवीय चेहरा
डॉ. शमशीर सिर्फ़ एक डॉक्टर या कारोबारी नहीं हैं, वे मानवीय सेवा के प्रति गहरी प्रतिबद्धता रखते हैं. उन्होंने 100 निःशुल्क हृदय शल्य चिकित्सा, स्तन कैंसर स्क्रीनिंग, श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य जांच शिविर जैसे कई अभियानों के जरिए हज़ारों ज़िंदगियों को छुआ है.
आपदाओं में राहत, वंचितों की मदद और स्वास्थ्य जागरूकता के क्षेत्र में उनके प्रयास यूएई, अफ्रीका और भारतीय उपमहाद्वीप तक फैले हैं. डॉक्टर शमशीर को प्रवासी भारतीय सम्मान (2014), शेख हमदान बिन जायद मानवीय सेवा पुरस्कार, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की मानद डॉक्टरेट, अरब हेल्थ इंटरनेशनल लीडरशिप अवार्ड (2012) और अर्न्स्ट एंड यंग 'एंटरप्रेन्योर ऑफ द ईयर' (2011) जैसे अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं..
वे यूएई मेडिकल काउंसिल, शारजाह यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज, एनआरआई आयोग (केरल) और कन्नूर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के बोर्ड में भी शामिल रहे हैं.डॉ. शमशीर का मानना है कि “धर्म, जाति या राष्ट्रीयता की दीवारें मानवीय सेवा में नहीं होनी चाहिए.. दुख केवल पीड़ित का नहीं होता, वह हम सभी का होता है.”
उनका यह कदम बताता है कि परोपकार की असली ताकत क्या होती है—वो जो नायक बनने की घोषणा किए बिना, ज़रूरतमंद तक पहुँच जाए. ईरान-इजरायल युद्ध के शोर में भले ही डॉ. शमशीर की यह खबर दब गई हो, लेकिन यह इतिहास में दर्ज होगी कि जब एक विमान हादसे में सिस्टम ने चुप्पी साध ली थी, तब अबू धाबी से एक भारतीय डॉक्टर ने मानवीयता का ज़िंदा सबूत पेश किया था.