ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
कोरोना काल में सबसे ज्यादा परेशान वो बच्चे हुए जो अपने घर और परिवार से दूर, दिल्ली के किसी कौने में अपने पेट की आग बुझाने के लिए एक बेहतर जगह की खोज में थे जहां उन्हें घर का बना खाना मेल सके वो भी उपयुक्त दाम पर. ऐसे में ज़ाकिर नगर में सामीया खान ने क्लाउड किचन की शुरुवात की.
क्या है क्लाउड किचन
आवाज द वॉयस को सामीया खान ने बताया कि मेरे पास रेस्टोरेंट जितना स्पेस नहीं था इसीलिए मेने इसके शुरुवात घर से ही की और आम भाषा में समझें तो ये क्लाउड किचन एक तरह का रेस्टोरेंट होता है,लेकिन यहां पर आप बैठकर खा पी नहीं सकते हैं. आम भाषा में समझें तो ये क्लाउड किचन एक तरह का रेस्टोरेंट होता है,लेकिन यहां पर आप बैठकर खा पी नहीं सकते हैं. यहां खाना बनता है लेकिन सिर्फ डिलीवरी करने के लिए जी हां यहां पर आप ऑफलाइन या ऑनलाइन ऑर्डर दे सकते हैं और खाना पैक कराकर घर ले जा सकते हैं. आजकल भारत में क्लाउड किचन का चलन तेजी से चल रहा है.
टिफ़िन सेंटर से की थी शुरुवात
सामीया खान ने बताया कि "मुझे बचपन से ही खाने और खिलाने का काफी शोक है, मेने कुकिंग अपनी माता जी, बहन और सास सी सीखीं. लोग मेरे हाथ के खाने की अक्सर तारीफ करते थे. और यही वजह है कि जब कोरोना काल में लोगों को घर के खाने की किल्लत लगी और बाहरी खाने से उनका विश्वास उठ गया. उस वक़्त मेने एक छोटे से टिफ़िन सेंटर के रूप में उन बच्चों को खाना पहुंचाना शुरू किया जो पीजी या किराए पर रहते थे. उन्हे मेरा खाना काफी अच्छा लगा साथ ही वे संतुष्ट थे कि ये घर में शुद्ध तरीके से बनाया गया फ्रेश खाना है. जो उन्हें किफायती दामों पर उपलब्ध हैं.
इसके बाद दिल्ली, एनसीआर, गुरुग्राम तक मेरी क्लाउड किचन की चर्चा होने लगी. लोग मेरे पास आर्डर भेजने लगे साथ ही एक दूसरे से मेरे खाने की तरफ करने लगे.
किचन में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के खाने
सामीया खान ने बताया कि "मैं अपने किचन में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के खाने बनतीं हूँ. इसमें पुलाव, बुतर चिकन, इडली सांवर, शाही टुकड़ा, शाही कबाब, अफगानी पुलाव, कोरमा, ढाभा पनीर, वाइट चिकन कोफ्ता, आदि. पकवान शामिल हैं
. सामीया खान ने बताया कि उन्हें फ़ोन पर ही शादी, पार्टी, किटी पार्टी, आदि के लिए खाने का आर्डर मिलता है. कभी कभी लोगों के यहां छोटी दावते होती हैं तो वे घर का बना खाना, खाना ही पसंद करते हैं. इसीलिए वे मुझे आर्डर देते हैं.
सामीया खान ने बताया कि उनका स्टाफ 3 लड़कों का है जो डोर तू डोर खाना डिलीवर करते हैं साथ ही सारा खाना वे किचन में खुद बनाती हैं लेकिन पेकिंग और चॉपिंग में भी उनके हेल्पर लड़कियां उनकी सहायता करती हैं. सामीया खान ने 2001 में 20 वर्ष की उम्र में शादी की और उनकी एक बेटी हैं. उनकी परवरिश दिल्ली में ही हुई स्कूली पढ़ाई के बाद, सामीया खान ने इकनोमिक ओनर्स किया है. शादी से पहले टीचिंग भी किया करतीं थीं.
क्लाउड किचन शुरू करने की प्रेरणा
और शादी के बाद वे मीडिया में 5 साल वीडियो एडीटिंग में रही. इसके बाद वे अपने पति के साथ जेम्स और स्टोन्स का काम सँभालने लगी जिसकी वे दिल्ली और श्रीनगर की ब्रांच मंजर के तोर पर कार्य करती थी लेकिन कोरोना में इस व्यापार पर प्रभाव पड़ा और ये बंद हो गया जिसके बाद वे घर पर खाली नहीं बैठ सकी और आर्थिक तोर पर भी परिवार के लिए उन्हें अपनी क्लाउड किचन शुरू करने की प्रेरणा मिली.
खासियत: स्वच्छ खाना
आज सामीया खान लाखों का व्यापार कर रहीं हैं. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण से उनको सरफिकेटे भी मिला हुआ है. इनकी खाने की क्वालिटी भी अव्वल दर्जे की है यही कारण है कि उनका बना खाना मल्टीनेशनल कम्पनियों में आर्डर किया जाता है, साथ ही उनके ऑर्डर्स गुरुग्राम और दिल्ली एनसीआर में भी लिए जाती हैं.
सामीया खान घर का बना शुद्ध देसी खाना परोसने के लिए अपनी क्लाउड किचन के जरिए मशहूर हैं. इस पुरे काम में उनका परिवार भी उनका पूरा सहयोग करता है. सामीया खान उपर वाले का धन्यवाद अदा करतीं हैं कि वे लोगों को घर का बना खाना सर्व कर पा रही हैं और लोगों के पेट भर पा रहीं हैं.