From Scientist to Social Reformer: The Story of Nobel Laureate Omar M. Yaghi
अर्सला खान/नई दिल्ली
विज्ञान की दुनिया में इस वर्ष का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों सुशुमु किदाकावा, रिचर्ड रॉब्सन और ओमार एम. यागी को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है. इन्हें यह सम्मान “धातु-आधारित संरचनाओं (Metal–Organic Frameworks - MOFs) और सहसंयोजक जैविक संरचनाओं (Covalent Organic Frameworks - COFs) के विकास” के लिए दिया गया है. यह खोज न केवल रसायन विज्ञान में बल्कि पर्यावरण, ऊर्जा, और जल संरक्षण जैसे क्षेत्रों में भी गहरा प्रभाव डाल रही है.
इस वर्ष के विजेताओं में विशेष रूप से ओमार एम. यागी पर वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय की निगाहें टिकी रहीं. उन्होंने रासायनिक संरचनाओं की ऐसी सूक्ष्म और मजबूत प्रणालियाँ विकसित कीं जिनसे जल संकट, कार्बन उत्सर्जन नियंत्रण और पर्यावरणीय पुनर्स्थापन में नई संभावनाएँ खुलीं. उनके नेतृत्व में विकसित MOFs और COFs अब आधुनिक रसायन विज्ञान की सबसे उपयोगी खोजों में गिने जाते हैं.
कौन हैं फिलिस्तीनी उमर एम यागी?
उमर एम यागी का पूरा नाम उमर मुनिस यागी है. ओमर यागी का जन्म 9 फरवरी 1965 को जॉर्डन के अम्मान में हुआ था. उन्होंने मटेरियल साइंस में ऐसे नवाचार किए हैं, जिनसे साफ ऊर्जा, जल संकट, कार्बन कैप्चर और प्रदूषण नियंत्रण जैसे वैश्विक मुद्दों के समाधान मुमकिन हुआ है. यागी को फादर ऑफ मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) के रूप में जाना जाता है.
उनका काम ने रेटिकुलर केमिस्ट्री में क्रांति पैदा कर दी है, जिसमें अणुओं को जोड़कर उच्च क्रमबद्ध, छिद्रपूर्ण क्रिस्टलीय संरचनाएं तैयार की जाती हैं, जैसे मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (MOFs) और कोवैलेंट ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स (COFs). इनके माध्यम से साफ ऊर्जा, जल संकट, कार्बन कैप्चर और प्रदूषण नियंत्रण जैसी वैश्विक चुनौतियों का हल मुमकिन है.
पानी को हवा से खींचने की तकनीक
यागी के सबसे प्रसिद्ध प्रयोगों में से एक वह उपकरण है जो हवा से सीधे पानी निकालने की क्षमता रखता है. यह तकनीक विशेष रूप से शुष्क इलाकों के लिए वरदान साबित हो रही है. उनकी टीम द्वारा विकसित MOF संरचनाएँ हवा में मौजूद नमी को सोखकर उसे पीने योग्य पानी में बदल देती हैं. इस खोज ने सहारा, अरब, और राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में जल संकट को हल करने की नई राह दिखाई है.
यागी ने अपने एक साक्षात्कार में कहा था, “हमारा लक्ष्य ऐसे पदार्थ बनाना है जो प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, बल्कि सहयोग करें.” उनका यह विचार आज स्थायी विज्ञान (Sustainable Science) की दिशा में एक मजबूत संदेश बन गया है.
कार्बन कैप्चर में नई क्रांति
दुनिया भर में बढ़ते ग्रीनहाउस गैसों के स्तर से निपटने के लिए यागी के MOFs बेहद प्रभावी साबित हुए हैं. ये संरचनाएं कार्बन डाइऑक्साइड को हवा से चुनिंदा रूप से पकड़ सकती हैं और उसे पुनः उपयोग के लिए संग्रहित कर सकती हैं. यह तकनीक भविष्य में औद्योगिक उत्सर्जन को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभा सकती है. कई देश अब MOF आधारित सिस्टमों का उपयोग अपने कार्बन कैप्चर एंड स्टोरेज (CCS) कार्यक्रमों में करने की तैयारी कर रहे हैं.
विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में “एक ठोस वैज्ञानिक हथियार” के रूप में देखी जा रही है. ओमार यागी की प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों ने यह दिखाया कि कैसे विज्ञान और पर्यावरण संरक्षण एक साथ चल सकते हैं.
ऊर्जा और पर्यावरण की नई संभावनाएं
ओमार यागी के नेतृत्व में विकसित संरचनाएँ ऊर्जा भंडारण, गैस अलगाव और औषधीय रसायन विज्ञान में भी महत्वपूर्ण उपयोगिता रखती हैं. MOFs की सूक्ष्म झिल्ली जैसी संरचना उन्हें गैसों के भंडारण और नियंत्रित रासायनिक अभिक्रियाओं के लिए उपयुक्त बनाती है. उदाहरण के लिए, हाइड्रोजन भंडारण में MOFs का उपयोग स्वच्छ ऊर्जा भविष्य की दिशा में एक निर्णायक कदम है.
COFs (Covalent Organic Frameworks) के जरिये यागी ने आणविक स्तर पर रासायनिक अभियांत्रिकी का नया अध्याय खोला है. ये संरचनाएँ कार्बनिक तत्वों पर आधारित होती हैं और इन्हें विशेष अनुप्रयोगों जैसे सौर ऊर्जा संग्रह, जल शोधन, और प्रदूषक निस्सारण में प्रयोग किया जा सकता है.
वैज्ञानिक से सामाजिक सुधारक तक
ओमार एम. यागी सिर्फ एक रसायनज्ञ नहीं बल्कि पर्यावरण सुधारक के रूप में भी जाने जाते हैं. जॉर्डन में जन्मे और अमेरिका में पले-बढ़े यागी ने विज्ञान को केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं रखा. वे “ग्लोबल साइंस इनिशिएटिव” के माध्यम से विकासशील देशों में युवाओं को नवाचार और अनुसंधान के लिए प्रेरित करते हैं. उनका मानना है कि “सच्ची खोज वही है जो मानवता के जीवन को बेहतर बनाए.”
उनकी प्रयोगशाला में विकसित विचार आज पानी की कमी, प्रदूषण, और ऊर्जा संकट जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटने में विज्ञान की भूमिका को पुनर्परिभाषित कर रहे हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि यागी की तकनीकें आने वाले वर्षों में “सतत विकास लक्ष्यों (SDGs)” की प्राप्ति में निर्णायक साबित होंगी.
विज्ञान से भविष्य की उम्मीदें
नोबेल समिति ने अपने बयान में कहा कि यह पुरस्कार “विज्ञान और समाज के बीच पुल बनाने वाले उन नवाचारों” को समर्पित है जो आने वाले दशकों में मानवता की दिशा तय करेंगे. सुशुमु किदाकावा और रिचर्ड रॉब्सन ने जिन बुनियादी सिद्धांतों पर काम किया, उन्हें ओमार यागी ने वास्तविक और उपयोगी रूप में परिवर्तित किया.
आज जब दुनिया जलवायु संकट, प्रदूषण और संसाधनों की कमी से जूझ रही है, तब ओमार यागी की यह खोज यह दिखाती है कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं, बल्कि धरती के भविष्य का समाधान बन सकता है.
इस प्रकार, साल 2025 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार केवल तीन वैज्ञानिकों की उपलब्धि नहीं, बल्कि यह मानवता के भविष्य में विश्वास की पुनः स्थापना है जहां नवाचार और प्रकृति साथ-साथ चल सकते हैं.