Children Ask Kalam’: सवालों की किताब, सोच की क्रांति

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-10-2025
Children Ask Kalam': A book of questions, a revolution in thinking
Children Ask Kalam': A book of questions, a revolution in thinking

 

 मलिक असगर हाशमी

भारत के इतिहास में कई राष्ट्रपति हुए हैं , किसी की पहचान दार्शनिक के रूप में रही, किसी की राजनीतिज्ञ के रूप में. लेकिन एक ऐसा भी राष्ट्रपति हुआ, जिसे पूरी दुनिया ने एक मिसाइल मैन के रूप में जाना और भारत के बच्चों ने अपना सच्चा दोस्त और मार्गदर्शक माना. वह थे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारत के 11वें राष्ट्रपति, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, और बच्चों के बीच अत्यंत लोकप्रिय एक अत्यंत सादगीभरे इंसान.
s
डॉ. कलाम का बच्चों से रिश्ता केवल औपचारिक नहीं था. वह जब राष्ट्रपति बने, तब भी उन्होंने संवाद की शक्ति को नहीं छोड़ा. वे देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में जाते, छात्रों से खुलकर बात करते और उनके सवालों के जवाब बेहद सरल लेकिन गहराई से देते थे.

उनके इस संवाद का संकलन 'Children Ask Kalam' नामक एक पुस्तक में किया गया है, जिसमें बच्चों के सवाल और डॉ. कलाम के प्रेरक उत्तर दर्ज हैं. यह पुस्तक पहली बार 2006 में प्रकाशित हुई थी, जब वे भारत के राष्ट्रपति पद पर थे. इसमें कुल 112 पृष्ठ हैं और इसमें देशभर के बच्चों की जिज्ञासा और कलाम साहब के अद्भुत उत्तरों को पढ़कर यह स्पष्ट होता है कि वे क्यों बच्चों के बीच इतने प्रिय थे.

डॉ. कलाम के पास आने वाले सवाल किसी सामान्य जिज्ञासा से कहीं अधिक होते थे. एक बच्चा पूछता है:

“हमें तो बचपन से ही सिखाया जाता है कि सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. मेरे माता-पिता भी यही कहते हैं. फिर भी सांप्रदायिक दंगे क्यों होते हैं? हम, युवा छात्र के रूप में, इसे रोकने के लिए क्या कर सकते हैं?”
— सुरटुंडिया प्रतीक, वाचिया हाई स्कूल, दादर

 कलाम के उत्तर :

“हमारे धर्म सुंदर द्वीपों के समान हैं. जब ये धर्म आध्यात्मिकता में परिवर्तित होते हैं, तब हम सभी के बीच एकता की भावना देख सकते हैं. एक छात्र के रूप में आप इस शपथ को अपने जीवन में उतारें — ‘मैं किसी भी धार्मिक, जातिवादी या भाषाई भेदभाव का समर्थन नहीं करूंगा.’ यह बात अपने दोस्तों तक भी पहुँचाएँ. जब युवा पीढ़ी यह शपथ लेगी, तभी देश में सच्चे परिवर्तन की शुरुआत होगी.”

इस एक उत्तर में न केवल समस्या का समाधान है, बल्कि यह बच्चों में नेतृत्व और जिम्मेदारी की भावना भी जगाता है.
a
जब एक छात्र ने पूछा—“यदि भगवान आपको एक इच्छा पूरी करने का मौका दें, तो आप क्या माँगेंगे?”
— फ्रैंक सिंह, माइल

कलाम का उत्तर:

“मैं भगवान से यह प्रार्थना करूंगा कि वे मुझे सार्वभौमिक शांति के लिए काम करने की शक्ति दें.”

एक राष्ट्रपति का ऐसा उत्तर यह बताता है कि वह केवल एक पद पर बैठे व्यक्ति नहीं, बल्कि एक सच्चे विचारक और वैश्विक नागरिक भी हैं.

sईश्वर और विज्ञान के बीच क्या संबंध है?

प्रश्न:
“ईश्वर और विज्ञान के बीच क्या संबंध है?”
— रंजीत सरकार, कक्षा 9, अपर्जय स्कूल, कोलकाता

डॉ. कलाम ने उत्तर दिया:

“विज्ञान उस सत्य की खोज करता है जो मानव जीवन को समृद्ध करता है. धर्म जब अध्यात्म में बदलता है, तो वह मन में शांति लाता है. वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही मानवता के कल्याण के लिए कार्य करते हैं – दोनों का उद्देश्य मानव मन और शरीर में संतुलन और खुशी लाना है.”

समाज की समस्याओं पर बच्चों की चिंता

प्रश्न:
“हम छात्र होने के नाते जनसंख्या और सामाजिक समस्याओं को लेकर क्या कर सकते हैं?”

डॉ. कलाम का जवाब 

“भारत एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ 50% से अधिक आबादी कार्यशील आयु वर्ग में है . यह हमारी ताकत है, न कि कमजोरी। जहां महिला साक्षरता अधिक है, वहाँ जनसंख्या वृद्धि अपने आप कम हो जाती है. एक छात्र के रूप में आप कम से कम पाँच महिलाओं को पढ़ाने का संकल्प लें, जिन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता. उन्हें सामाजिक समस्याओं से अवगत कराएँ। यही सच्ची सेवा है.”

यह उत्तर दर्शाता है कि कलाम साहब बच्चों को केवल समस्याओं की जानकारी ही नहीं देते, बल्कि उन्हें समाधान का भाग भी बनाते हैं.

प्रश्न:
“जब आप कोई कठिन काम करते हैं, तो क्या आपको भगवान याद आते हैं?”
— हार्दिक झाला, कक्षा 8, सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट हाई स्कूल, अहमदाबाद
s
कलाम का उत्तर

“हमें यह याद रखना चाहिए कि सफलता ईमानदार प्रयासों का फल है, जिसे ईश्वरीय आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहा गया है,‘ईश्वर उन्हीं की मदद करता है, जो कड़ी मेहनत करते हैं.’”

डॉ. कलाम ने राष्ट्रपति भवन की दीवारों के भीतर बैठकर शासन नहीं किया. वे जब भी बच्चों के कार्यक्रम में शामिल होते, तो घेरा तोड़कर बच्चों के बीच आ जाते थे, उन्हें देश और समाज सेवा की शपथ दिलाते थे और उनके सवालों के जवाब बिना किसी लाग-लपेट के, बड़े प्रेम से देते थे.

यह लेख लिखने वाला स्वयं उनके ऐसे कई कार्यक्रमों में मौजूद रहा है, जहाँ डॉ. कलाम ने हर बच्चे को यह महसूस कराया कि उनका सवाल महत्वपूर्ण है.पुस्तक के प्रकाशक ने लिखा,“नेहरू के बाद शायद ही कोई नेता भारत में हुआ हो जो बच्चों के इतने करीब रहा हो.

डॉ. कलाम बच्चों से पत्रों के माध्यम से संवाद करते, उनके विचारों पर मंथन करते और उन्हें जवाब देने के लिए समय निकालते थे. उनकी सरल भाषा और सुलभ व्यक्तित्व उन्हें बच्चों का सच्चा राष्ट्रपति बनाता है.”

डॉ. कलाम की विशेषज्ञता भले ही रॉकेट विज्ञान में रही हो, लेकिन उनका हृदय हमेशा एक शिक्षक का रहा. वे कहते थे,“मेरा सपना राष्ट्रपति नहीं, बल्कि एक अच्छा शिक्षक बनना था.”
a
और वे उस सपने को, शायद राष्ट्रपति बनकर भी, पूरी ईमानदारी से निभा रहे थे.'Children Ask Kalam' केवल एक किताब नहीं है, यह एक दर्पण है, जो बताता है कि बच्चों के सवालों को गंभीरता से लेना और उन्हें सम्मान देना एक सच्चे राष्ट्र निर्माता की पहचान है.