ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन चुका है. उनका संघर्ष, उनके संघर्षों से मिले शिक्षा और उनके परिवार से मिली सीख उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा हैं. डॉ. कलाम का जीवन कहानी है उन छोटी-छोटी घटनाओं की, जिन्होंने उन्हें जीवनभर प्रेरित किया. आइए, जानते हैं उनकी कुछ प्रेरक घटनाओं के बारे में, जो उनके जीवन को आकार देने में मददगार साबित हुईं.
उनके पिता जैनुलाब्दीन नाव चलाते थे और यात्रियों को रामेश्वरम मंदिर तक पहुँचाते थे. एक बार किसी यात्री ने पिता से पैसे ज़्यादा देने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. जब कलाम ने पूछा — “अब्बा, आपने ज़्यादा पैसे क्यों नहीं लिए?” तो पिता बोले — “बेटा, ज़रूरत से ज़्यादा लेना भी ग़लत होता है। ईमानदारी ही सच्ची पूँजी है.”
👉 सीख: सादगी और ईमानदारी से बड़ा कोई धन नहीं.
एक दिन उनके विज्ञान के शिक्षक अय्यादुरै सोलोमन बच्चों को खुले मैदान में लेकर गए और पक्षियों को उड़ते हुए दिखाया. उन्होंने पूछा — “क्या तुम जानते हो कि ये पक्षी कैसे उड़ते हैं?” कलाम ने उस दिन पहली बार उड़ान के सिद्धांत के बारे में सोचा. उन्होंने घर आकर लकड़ी और कागज़ से एक छोटा-सा मॉडल बनाया और उड़ाने की कोशिश की.
👉 सीख: जिज्ञासा ही आविष्कार की पहली सीढ़ी है.
कलाम के बचपन के तीन सबसे अच्छे दोस्त थे — रामनाथन अय्यर (हिंदू), अब्दुल मलिक (मुस्लिम), और अरविंदन (ईसाई). वे सभी साथ पढ़ते, खेलते और खाना साझा करते थे. एक बार मंदिर में कोई उत्सव था और कलाम वहाँ जाने लगे, तब किसी ने कहा कि "यह मुसलमान लड़का मंदिर में क्यों जा रहा है?" तब उनके शिक्षक ने सबको समझाया कि “ज्ञान और मित्रता का कोई धर्म नहीं होता.”
👉 सीख: धर्म से ऊपर इंसानियत होती है.
एक बार कलाम पतंग उड़ा रहे थे. उनकी पतंग बार-बार टूट रही थी। दोस्त हँस रहे थे, लेकिन कलाम बार-बार नई पतंग बना कर कोशिश करते रहे. आख़िरकार जब पतंग आसमान में सबसे ऊँचाई पर पहुँची, तो सबने तालियाँ बजाईं. कलाम ने उस दिन समझा — “सफलता उन्हीं को मिलती है जो असफलता से नहीं डरते.”
👉 सीख: असफलता अंत नहीं, शुरुआत है.
डॉ. कलाम का जन्म 1931 में रामेश्वरम (तमिलनाडु) में हुआ था, जो एक साधारण मध्यवर्गीय परिवार था. उनके पिता जैनुलाब्दीन ने अनौपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी, और उनका परिवार नाव निर्माण का व्यवसाय करता था. बचपन में कलाम को धातु और लकड़ी से परिचय मिला, जो बाद में उनके इंजीनियरिंग में रुचि का कारण बने। वे बचपन में पक्षियों को उड़ते देखना बहुत पसंद करते थे, और यही उन्हें हवाई क्षेत्र और रॉकेट साइंस की दिशा में जाने के लिए प्रेरित करता है.
एक दिन, डॉ. कलाम ने बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवात के बाद अपने पिता के व्यवसाय की नाव को बहते हुए देखा। यह दृश्य डॉ. कलाम के लिए बहुत भावनात्मक था, लेकिन उनके पिता शांत और धैर्यपूर्ण तरीके से कार्य करते रहे और व्यवसाय के पुनर्निर्माण के लिए कड़ी मेहनत की. इस समय डॉ. कलाम ने अपने पिता के चेहरे के भाव को याद किया, जब वे उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV), पृथ्वी और अग्नि मिसाइलों को डिजाइन कर रहे थे. यह घटना उन्हें जीवन में कठिनाईयों का सामना करते समय शांत रहने की प्रेरणा देती है.
👉 सीख: किसी भी कठिन समय में धैर्य और संघर्ष से ही सफलता मिलती है.
डॉ. कलाम के चचेरे भाई रेलवे स्टेशन पर खड़े होकर अख़बारों के बंडल ग्राहकों तक पहुँचाते थे, और घर की आय में सहयोग करते थे. जब द्वितीय विश्व युद्ध के कारण स्टेशन पर ट्रेन का रुकना बंद हो गया, तो डॉ. कलाम ने अपने चचेरे भाई की मदद करने का संकल्प लिया। उन्होंने अख़बार के बंडल को प्लेटफॉर्म पर फेंकने और फिर उसे ग्राहकों तक पहुँचाने की योजना बनाई. डॉ. कलाम को इस काम में बहुत आनंद आता था, और उन्होंने इस तरह परिवार की आय में योगदान दिया.
👉 सीख: हर दिन के काम में लगन और समर्पण से ही सफलता मिलती है.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भोजन की भारी कमी थी। एक दिन डॉ. कलाम ने खुशी-खुशी खाना खाया, लेकिन बाद में उन्हें यह महसूस हुआ कि उन्होंने माँ के हिस्से का खाना खा लिया था। उस रात माँ भूखी सोईं। यह अपराधबोध डॉ. कलाम के दिल में बैठ गया और उन्हें सिखाया कि हमें हमेशा अपने आस-पास के लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रखना चाहिए.
👉 सीख: हमें अपने परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए और हमेशा दूसरों का ख्याल रखना चाहिए.
डॉ. कलाम का बचपन रामेश्वरम के मंदिर में बीता, जहां वे एक पुजारी के बेटे के साथ अच्छे दोस्त थे. स्कूल में एक शिक्षक ने डॉ. कलाम को मुस्लिम होने के कारण आखिरी बेंच पर बैठने के लिए कहा। यह घटना उनके दिल को बहुत दुखी कर गई। वे इस विषय को लेकर अपने-अपने पिता से मिले, और हिंदू-मुस्लिम दोनों पक्षों के पिता ने एकजुट होकर इस भेदभाव को रोकने की योजना बनाई.
👉 सीख: भेदभाव से ऊपर इंसानियत होती है, और किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से किया जा सकता है.
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में कॉलेज के दिनों में डॉ. कलाम ने विमान के डिज़ाइन पर काम किया। लेकिन उनके शिक्षक ने डिज़ाइन को अस्वीकार कर दिया और तीन दिन का समय दिया। डॉ. कलाम ने निरंतर मेहनत की और उसे फिर से डिज़ाइन करके प्रस्तुत किया, जिसे शिक्षक ने 'उत्कृष्ट' कहकर सराहा.
👉 सीख: असफलता के बाद लगातार मेहनत करने से ही सफलता मिलती है.
डॉ. कलाम का सपना भारतीय वायु सेना में पायलट बनने का था, लेकिन एक रैंक से वे उस सपना को पूरा नहीं कर पाए। इस असफलता ने उन्हें यह सिखाया कि जीवन में हर मोड़ पर हमें असफलता को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। इस घटना के बाद, डॉ. कलाम ने रक्षा मंत्रालय में काम शुरू किया.
👉 सीख: असफलता केवल एक अध्याय होता है, लेकिन मंजिल नहीं.
डॉ. कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के जनक डॉ. विक्रम साराभाई से बहुत कुछ सीखा. डॉ. साराभाई ने उन्हें नेतृत्व के गुण सिखाए और यह दिखाया कि कैसे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दिमाग एक सामान्य उद्देश्य के लिए एक साथ काम कर सकते हैं.
👉 सीख: एक अच्छे नेता को टीम बनानी आती है, जो असफलताओं से परे जाकर अपना काम करती है.
डॉ. कलाम ने भारतीय मिसाइल तकनीक को एक नई दिशा दी और भारत को ‘मिसाइल पावर’ बनाने में अहम भूमिका निभाई। SLV-3 और अग्नि मिसाइल जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को उन्होंने नेतृत्व किया.
👉 सीख: जब कोई काम दिल से किया जाए, तो सफलता सुनिश्चित होती है.
डॉ. कलाम का जीवन एक प्रेरणा बन गया है. 83 वर्ष की आयु में, उन्होंने आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते हुए आखिरी सांस ली. उनके जीवन ने हमें यह सिखाया कि यदि व्यक्ति अपनी मेहनत, प्रतिबद्धता और विश्वास के साथ कार्य करे, तो वह किसी भी मुश्किल से पार पा सकता है.
👉 सीख: जीवन में कठिनाइयाँ आएंगी, लेकिन अगर हम ईश्वर की नियति पर विश्वास रखें और अपनी मेहनत जारी रखें, तो सफलता जरूर मिलेगी.
डॉ. कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था. उनका परिवार एक साधारण और मेहनती था। उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक थे और माँ आसिया गृहिणी थीं. उनके पिता ने कभी औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की थी, लेकिन उनका सामाजिक दायरा और जीवन का दृष्टिकोण बहुत ही व्यापक था. उनके परिवार का व्यवसाय नाव निर्माण था, और यही व्यवसाय डॉ. कलाम के लिए भविष्य में इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में एक बड़ी प्रेरणा बन गया.
डॉ. कलाम के बचपन में, वे अक्सर समुद्र के किनारे बैठकर उड़ते पक्षियों को देखते थे, और यह दृश्य उनके दिल में एक गहरी छाप छोड़ गया। यह उन्हें हवाई क्षेत्र और रॉकेट विज्ञान के प्रति आकर्षित करता गया. उन्होंने महसूस किया कि प्रकृति में हर चीज़ एक अद्भुत संतुलन के साथ काम करती है, और उन्होंने इसे समझने की गहरी इच्छा विकसित की.
डॉ. कलाम के बचपन में एक बड़ा चक्रवात आया, जिसमें उनके पिता का नाव निर्माण व्यवसाय पूरी तरह से नष्ट हो गया। लेकिन डॉ. कलाम ने जो दृश्य देखा, वह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ बन गया. उनके पिता ने चक्रवात से हुए नुकसान के बावजूद हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत करके व्यवसाय को पुनर्निर्मित किया। उनका शांत और धैर्यपूर्ण व्यवहार डॉ. कलाम के लिए एक अमूल्य शिक्षा था। जब वे बाद में उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV) और अग्नि मिसाइल पर काम कर रहे थे, तो उन्होंने अपने पिता के शांत चेहरे को याद किया, जो उन्होंने उस कठिन समय में देखा था.
👉 सीख: जीवन में किसी भी कठिनाई या विफलता का सामना करते समय शांत और संयमित रहना आवश्यक होता है.
द्वितीय विश्व युद्ध के समय जब रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का रुकना बंद हो गया, तो डॉ. कलाम ने अपने चचेरे भाई के साथ अख़बारों के व्यवसाय में मदद करने का निर्णय लिया. उनका काम यह था कि अख़बारों के बंडल को प्लेटफॉर्म से उठाकर ग्राहकों तक पहुँचाना. वे सुबह-सुबह सूर्योदय से पहले अख़बार वितरित करने के लिए निकल जाते थे, और उन्हें इस काम में खुशी मिलती थी। इस काम से डॉ. कलाम ने सीखा कि हमें अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाना चाहिए.
👉 सीख: समर्पण, मेहनत और समय की पाबंदी किसी भी काम को सफलता दिलाती है.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, भारत में भोजन की भारी कमी थी। एक दिन डॉ. कलाम और उनके परिवार ने एक साथ खाना खाया. उस समय डॉ. कलाम ने देखा कि वे माँ के हिस्से का खाना खा चुके थे, जबकि उनकी माँ भूखी सो रही थी। इस घटना ने डॉ. कलाम को भीतर से हिला दिया। वे यह महसूस करते हैं कि जीवन में दूसरों की ज़रूरतों का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। इस घटना से उन्हें आत्मिक जागरूकता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की गहरी समझ मिली.
👉 सीख: हमें कभी भी अपने आस-पास के लोगों की ज़रूरतों को नज़रअंदाज नहीं करना चाहिए.
डॉ. कलाम का जीवन धर्मनिरपेक्षता और समाज में भेदभाव को समाप्त करने की मिसाल है। बचपन में एक बार रामेश्वरम के स्कूल में डॉ. कलाम को और उनके हिंदू दोस्त को एक शिक्षक ने भेदभाव करते हुए अलग-अलग बेंच पर बैठने को कहा। डॉ. कलाम और उनके दोस्त ने इस कृत्य से दुखी होकर अपने-अपने पिता से इस विषय में बात की. दोनों पिताओं ने स्कूल के शिक्षक के साथ मिलकर इस भेदभाव को रोकने का समाधान निकाला.
👉 सीख: भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना और समस्याओं का समाधान खुलकर बात करने से करना यह सच्चे नेतृत्व का उदाहरण है.
डॉ. कलाम ने अपनी उच्च शिक्षा मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) से प्राप्त की। यहाँ, एक लैब क्लास में उन्होंने विमान के लिए एक डिज़ाइन प्रस्तुत किया, जिसे उनके शिक्षक ने अस्वीकार कर दिया। लेकिन डॉ. कलाम ने हार मानने के बजाय, उसे फिर से डिज़ाइन किया और 3 दिन के अंदर उसे पुनः प्रस्तुत किया. इस बार, शिक्षक ने उनके प्रयासों की सराहना की और डिज़ाइन को 'उत्कृष्ट' बताया.
👉 सीख: असफलता से घबराने के बजाय, मेहनत और निरंतरता से उसे पार किया जा सकता है.
डॉ. कलाम का सपना भारतीय वायु सेना में पायलट बनने का था, लेकिन वह एक रैंक से रह गए. इस असफलता से उन्होंने यह सीखा कि जीवन में कुछ चीज़ें हमारे नियंत्रण में नहीं होतीं, और हमें जो कुछ भी होता है, उसे स्वीकार करना चाहिए.
👉 सीख: असफलता के बाद आगे बढ़ने और अपने सपनों का पीछा करने की हिम्मत रखना महत्वपूर्ण है.
डॉ. कलाम को भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ. विक्रम साराभाई से बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला. डॉ. साराभाई ने उन्हें नेतृत्व के गुण सिखाए और यह दिखाया कि कैसे वैज्ञानिकों और आध्यात्मिक लोगों को एकजुट करके देश के लिए काम किया जा सकता है. डॉ. कलाम ने इसरो की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को दुनिया में एक प्रमुख स्थान दिलवाया.
👉 सीख: एक नेता को अपनी टीम के साथ खड़ा होना चाहिए, और असफलताओं से परे जाकर आगे बढ़ने की सोच रखनी चाहिए.
11 जुलाई 2015 को डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का निधन हुआ, लेकिन वे हमें अपनी जीवन यात्रा से बहुत कुछ सिखा गए. उन्होंने आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते हुए अंतिम साँस ली. उनका जीवन एक सशक्त उदाहरण है कि किस तरह मेहनत, विश्वास, और समाज के प्रति जिम्मेदारी से कोई भी महान कार्य किया जा सकता है.
👉 सीख: जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ केवल हमें मजबूत बनाती हैं. अगर हम अपने लक्ष्य के प्रति ईमानदार और समर्पित हैं, तो कोई भी असफलता हमें रोक नहीं सकती.
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन सपनों को साकार करने, संघर्ष से सफलता प्राप्त करने, और दूसरों के लिए एक प्रेरणा बनने का प्रतीक है. उनका यह दृष्टिकोण कि जो कुछ भी हम करते हैं, उसे पूरे मन से करें, हम सभी के लिए प्रेरणादायक है. उनके जीवन से यह सिखने को मिलता है कि कठिनाइयाँ हमेशा होती हैं, लेकिन अगर आपके अंदर संकल्प, मेहनत, और कड़ी मेहनत हो, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं.