फरहान इसराइली/ जयपुर
राजधानी जयपुर बेस्ड इंटरनेशनल म्यूजिशियन अमृत हुसैन फ्रांस में स्टूडेंट्स से रूबरू हुए. अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त तबला वादक और संगीत निर्देशक अमृत हुसैन ने फ़्रान्स में हजारों बच्चों को राजस्थानी संस्कृति और संगीत की शिक्षा प्रदान की है. उन्होंने राजस्थान के लोक गीत संगीत की खूबसूरती को सबके सामने रखा.
अमृत हुसैन पिछले 21 वर्षों से फ़्रान्स और यूरोप के देशों में तबला वादन, राजस्थानी और फ्यूजन संगीत की प्रस्तुतियां दे रहे हैं, जिसकी की सफलता से प्रभावित होकर उन्हें छः महीने पहले फ़्रान्स के दो शहर संतअवरतां और औरलियो के स्कूल और संगीत विद्यालय में फ़्रान्स की मिनिस्ट्री की ओर से आमंत्रित किया गया था. अमृत हुसैन ने फ्रेंच बच्चों को तबले के बोल, केसरिया बालम, कृष्ण और राम भजन सिखाए और साथ ही साथ भारत और राजस्थान की महिमा का गुणगान किया।जिसे बच्चों ने बहुत पसंद किया.
बच्चों ने वहां के बड़े थियेटर मे अमृत हुसैन के साथ प्रस्तुति दी और श्रोताओं की वाहवाही लूटी. संतावरतां शहर के इतिहास में यह पहली बार इस तरह का कार्यक्रम हुआ. जहां छह महीने तक भारत और राजस्थान की बात चली.
अमृत ने बताया मेरी मेहनत रंग लाई और कार्यक्रम बहुत सफल रहा. मैं जब भी स्कूल में बच्चों को संगीत सिखाने जाता था, तो बच्चे मुझे हाथ जोड़कर नमस्ते और राम राम कहकर स्वागत करते थे, तो मुझे बहुत गर्व का अनुभव होता था.
कार्यक्रम की शुरुआत में शहर के मेयर और कल्चर मिनिस्टर ने अमृत हुसैन का स्वागत किया. इनके साथ गायन पर दुनिया के जाने माने गायक और राजस्थान की शान संजय खान थे. अमृत ने 21 वर्षों में 80 से ज्यादा देशों में प्रस्तुतियां दी है और लगभग 1 लाख से ज्यादा बच्चों को भारतीय संगीत से अवगत करवा चुके हैं. अमृत हुसैन अपने संगीत के जरिए पूरी दुनिया में भारत और राजस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं. वे आज भारत के उच्चतम श्रेणी के कलाकारों में गिने जाते हैं.
इससे पूर्व भी तीन भाइयो की जोड़ी विदेशों मे अपना डंका बजा चुकी है. विभिन्न म्यूजिक फेस्टिवल में म्यूजिशियन भाईयों अमृत हुसैन, संजय ख़ान और टीपू ख़ान की धुनों पर का देशो के लोग झूम चुके हैं.
भारत का प्रतिनिधित्व कर रही यह जोड़ी राजस्थान प्रदेश समेत यूरोप में उच्च स्तरीय कलाकारों की श्रेणी में गिनी जाने वाली यह म्यूजिशियन अपने म्यूजिक से पूरी दुनिया में राजस्थान का नाम रोशन कर रही है.
जयपुर के बनीपार्क निवासी अमृत, संजय और टीपू इन दिनों फ्रांस के टूर पर हैं. कोराना महामारी में भी म्यूजिक की इस तिकड़ी ने गिरिजाघरों और वृद्धाश्रम में म्यूजिकल परफॉर्मेंस देकर लोगों के स्ट्रेस को दूर किया.
अमृत हुसैन कहते हैं कि फ्रांस के नेशनल एजुकेशन डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के जरिए स्कूली बच्चों को भारतीय संस्कृति और भारतीय संगीत का पाठ भी पढ़ाया जाएगा.
7 पीढि़यों के घराने से हैं म्यूजिशियन भाईयों की तिकड़ी
अमृत हुसैन कहते है कि उन्हें संगीत विरासत में मिला है. उनके मुताबिक, हमारे घराने में 7 पीढिय़ों से संगीत की सेवा की जा रही है. हमारे अब्बा उस्ताद रफीक मोहम्मद साहब और दादा उस्ताद रसूल खान साहब ने हमें संगीत की तालीम दी.
संजय खान कहते हैं कि हर साज में एक रूह है. एक आत्मा है. अगर एक कलाकार को अच्छा कलाकार बनना है तो उसे साज की इज्जत करनी चाहिए. वहीं टीपू कहते हैं कि विदेश में रहते हुए वह अपने संगीत के माध्यम से पूरब.पश्चिम के संगीत का ताना बाना बुन रहे हैं.