नई दिल्ली
भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह दलाई लामा के उत्तराधिकारी से जुड़े किसी भी धार्मिक या आध्यात्मिक मामले में कोई पक्ष नहीं लेती। विदेश मंत्रालय ने यह बयान उस वक्त दिया जब राज्यसभा में सवाल किया गया कि क्या भारत सरकार ने दलाई लामा द्वारा अपने उत्तराधिकारी के चयन के अधिकार का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया है।
इस सवाल के जवाब में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि सरकार ने दो जुलाई 2025 को 14वें दलाई लामा द्वारा दिए गए बयान को देखा है, जो उनके संस्थान और उत्तराधिकारी से जुड़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया, "भारत सरकार आस्था, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं से जुड़े मामलों में कोई पक्ष नहीं लेती।"
मंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा देश में धार्मिक स्वतंत्रता को महत्व दिया है और यह नीति आगे भी जारी रहेगी। इसके साथ ही उन्होंने जानकारी दी कि भारत सरकार की इस स्थिति से चीनी पक्ष को भी अवगत करा दिया गया है।
यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन लगातार तिब्बती बौद्ध धर्म के मामलों में हस्तक्षेप की कोशिश करता रहा है, खासकर दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चयन को लेकर। भारत का यह रुख स्पष्ट करता है कि धार्मिक मामलों में उसकी नीति तटस्थता और धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान पर आधारित है।