जोहरान ममदानी की बढ़ती लोकप्रियता और परेशान लोग

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 06-10-2025
Zohran Mamdani's growing popularity and people's worries
Zohran Mamdani's growing popularity and people's worries

 

d हरजिंदर

मुस्लिम समुदाय का कोई व्यक्ति अगर किसी पश्चिमी देश के सत्ता समीकरण में सक्रिय होना चाहे तो उसके सामने कौन सी बाधाएं आ सकती हैं? इसे जानना हो तो हमें जोहरान ममदानी को देखना होगा.जोहरान अमेरिका में न्यूयार्क के एसेंबली के सदस्य हैं. वहां कुछ समय बाद जो मेयर के चुनाव होने वाले हैं  वे बहुत आगे चल रहे हैं. डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रामरी का चुनाव उन्होंने बहुत बड़े अंतर से जीत कर एक रिकाॅर्ड बनाया.

जोहरान का एक भारतीय कनेक्शन भी है. वे मुंबई में जन्मे महमूद ममदानी के बेटे हैं. महमूद उत्तर-उपनिवेशवाद के एक्सपर्ट माने जाते हैं. वे कईं किताबों के लेखक भी हैं. बाद में वे युगांडा में बस गए और वहीं जोहरान का जन्म हुआ.

महमूद मदनानी को भले ही भारत में आज ज्यादा लोग न जानते हों ,लेकिन उनकी मां का नाम बहुत से भारतीयों से ने सुना होगा. वे हैं- प्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक मीरा नायर. जिन्हें हम कामसूत्र और मिसीसिपी मसाला जैसी फिल्मों की वजह से जानते हैं. जोहरान जब पांच साल के थे तभी वे अपने परिवार के साथ अमेरिका आ गए और वहीं उनका पालन पोषण हुआ.

Zohran Mamdani, the Democratic nominee for mayor of New York City, speaks to supporters during an election night gathering in Queens. Credit: Michael M. Santiago/Getty Images

जोहरान के पास ऐसी दो चीजें हैं जिस पर अमेरिका में खासी चर्चा हो रही है. एक तो है उनका मजहब और दूसरी है उनकी विचारधारा. वे गर्व से बताते हैं कि मैं मुसलमान हूं और इस बात को कहने में उन्हें कोई गुरेज नहीं होता कि मैं डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट हूं. दूसरी बात इसलिए महत्वपूर्ण है कि अमेरिका में लंबे समय से समाजवाद से नाता रखने वालों को खलनायक की तरह पेश किया जाता रहा है.

वे समाजवादी हैं, इसलिए अमेरिका के सबसे आधुनिक और स्मृद्ध शहर के पूंजीपतियों की लाॅबी उनके खिलाफ हो गई है. सब एक सिरे से उनका विरोध कर रहे हैं. ऐसी भी खबरें  हैं कि उनके खिलाफ खड़े होने वाले रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार के लिए बड़ी मात्रा में धन जमा किया गया है.

इरादा उन्हें धन बल से मात देने का है.और तो और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद उनके खिलाफ दर्जन भर से ज्यादा पोस्ट ट्रुथ सोशल पर लिख चुके हैं. वे हर बार जोहरान को कम्युनिस्ट कहते हैं.

यह बताते हैं कि जोहरान की जीत से न्यूयाॅर्क बरबाद हो जाएगा. यह शायद इतना आसान भी नहीं होगा. जोहरान की विनम्रता और अपनी बात स्पष्ट ढंग से रखने के ढंग ने उन्हें जितना लोकप्रिय बना दिया है, उतनी लोकप्रियता हासिल करने के लिए उनके विरोधी को बहुत से पापड़ बेलने पड़ सकते हैं. 33 साल के एक राजनीतिज्ञ के बढ़ती लोकप्रियता से अमेरिका के कईं लोग इसलिए भी परेशान हैं कि अभी उसके सामने राजनीति का एक लंबा कैरियर पड़ा है.  

सबसे बड़ी बात यह है कि इसके पहले उन्होंने जो चुनाव जीता उसमें उन्हें सभी समुदायों के लोगों के वोट मिले. खासकर यहूदी समुदाय के वोट भी उन्हें बड़े पैमाने पर मिले. यहां इस बात पर ध्यान देना भी जरूरी है कि वे एशियाई मूल के हैं . न्यूयाॅर्क में एशियाई मूल के लोग बहुत ज्यादा नहीं हैं.

अब न्यूयाॅर्क में एक दूसरा हथकंडा अपनाया जा रहा है. उनके खिलाफ इस्लाम का खौफ यानी इस्लमाफोबिया को हवा दी जा रही है. गाजा और इज़रायल के शासक नेतनयाहू के खिलाफ उनके बयानों को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है. इन सबका कितना असर हुआ है यह अभी नहीं कहा जा सकता.

जोहरान ने दिखाया है कि वे इस तरह के जाल से निकलना चाहते हैं. एक टीवी डिबेट में डेमोक्रेटिक पार्टी के चारों उम्मीदवारों से बारी-बारी पूछा गया कि वे चुने गए तो किस देश में सबसे पहले जाना चाहेंगे. तीन लोगों का जवाब था- इज़रायल, जबकि जोहरान का जवाब था- मैं न्यूयाॅर्क में रहना ही पसंद करूंगा.

एक लेखक की यह टिप्पणी गौर करने लायक है- अमेरिका के मुसलमानों को किस तरह बर्ताव करना चाहिए यह उन्हें जोहरान ममदानी से सीखना होगा.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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