बैठक में मौजूद मदरसा संचालकों ने माना कि मेवात के लोग आधुनिक शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन संसाधनों, जागरूकता और सरकारी सहयोग की कमी के कारण यह क्षेत्र अभी भी पिछड़ापन झेल रहा है। संचालकों ने पसमांदा विकास फाउंडेशन के निदेशक मेराज राईन और उनकी टीम की लगातार की जा रही कोशिशों की सराहना करते हुए कहा कि मेवात में शिक्षा को लेकर जो नई सोच जन्म ले रही है, वह आने वाले वर्षों में ठोस बदलाव ला सकती है।
बैठक में वक्ताओं ने कहा कि मेवात का पिछड़ापन दूर करने के लिए “तालीमी जिहाद”—अर्थात शिक्षा के क्षेत्र में सामूहिक और संगठित प्रयास—की अवधारणा को मजबूती से अपनाने का समय आ गया है। उनका कहना था कि शिक्षा ही वह कुंजी है जो मेवात के बच्चों को गरीबी, बेरोज़गारी और सामाजिक पिछड़ेपन की जंजीरों से मुक्त कर सकती है। इस संदर्भ में मदरसों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे ग्रामीण और दूरदराज़ इलाकों में आज भी बड़ी संख्या में बच्चों को तालीम उपलब्ध करा रहे हैं।
बैठक में संचालकों ने विशेष रूप से यह मांग उठाई कि हर मदरसे का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होना चाहिए और उन्हें हरियाणा सरकार से आधिकारिक मान्यता मिलनी चाहिए। इससे न केवल शिक्षा व्यवस्था संगठित होगी, बल्कि आधुनिक और दीनी—दोनों प्रकार की तालीम को संतुलित रूप से प्रस्तुत किया जा सकेगा। उनके अनुसार सरकार भी चाहती है कि मदरसों को पंजीकृत किया जाए, ताकि बच्चों को बहुआयामी शिक्षा मिल सके और वे भविष्य में प्रतियोगिता व रोज़गार के स्तर पर पीछे न रह जाएं।
बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि पसमांदा विकास फाउंडेशन पहले ही मेवात के सैकड़ों गांवों में हजारों गरीब, यतीम और बेसहारा बच्चों को तालीमी किट, किताबें और कंप्यूटर वितरित कर चुका है। निदेशक मेराज राईन ने कहा कि उनका मिशन सिर्फ कागज़ी घोषणाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे गांव-गांव जाकर लोगों को शिक्षा के महत्व के प्रति जागरूक करेंगे और बच्चों को स्कूल एवं आधुनिक शिक्षा से जोड़ने का व्यापक अभियान चलाएंगे। उन्होंने कहा—
“जब तक बच्चे तालीम से नहीं जुड़ेंगे, तब तक मेवात की तरक्की महज़ एक सपना बनी रहेगी।”

तालीमी जिहाद के पांच प्रमुख प्रस्ताव :बैठक में मेवात में शिक्षा सुधार को एक आंदोलन की तरह आगे बढ़ाने के लिए पांच अहम प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए। इन्हें मेवात की शिक्षा क्रांति का आधार माना जा रहा है—
1. व्यापक शिक्षा जागरूकता अभियान :फाउंडेशन गांव-गांव, गली-गली अभियान चलाएगा ताकि हर परिवार शिक्षा के महत्व को समझ सके। माता-पिता को बताया जाएगा कि बच्चों की पढ़ाई केवल स्कूल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके भविष्य की बुनियाद है।
2. मदरसों में आधुनिक शिक्षा और तकनीकी सुविधाएं :मेवात के सभी मदरसों को कंप्यूटर शिक्षा, स्मार्ट क्लास सुविधाओं और आधुनिक पाठ्यक्रमों से जोड़ा जाएगा। उद्देश्य यह है कि बच्चे दीनी तालीम के साथ आधुनिक दुनिया के अनुसार तैयार हो सकें।
3. स्कूल + दीनी तालीम मॉडल :जो बच्चे स्कूलों में पढ़ते हैं, उन्हें सुबह या शाम दीनी तालीम से जोड़ने की व्यवस्था की जाएगी। इससे बच्चे धार्मिक और आधुनिक, दोनों प्रकार की तालीम में संतुलन बनाए रख सकेंगे।
4. मक़तब से स्कूल तक विशेष अभियान :मकतब में पढ़ रहे बच्चों को स्कूल शिक्षा से जोड़ने के लिए एक लक्षित अभियान चलाया जाएगा। इससे ड्रॉप-आउट दर कम होगी और बच्चे औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल हो सकेंगे।
5. ‘पसमांदा मॉडल मदरसा’ की स्थापना :नूंह जिले में आधुनिक टेक्नोलॉजी और हॉस्टल सुविधाओं से युक्त पसमांदा मॉडल मदरसा (आवासीय परिसर) बनाया जाएगा। इसमें गरीब, यतीम, माजूर और जरूरतमंद बच्चों को आधुनिक एवं दीनी तालीम एक साथ दी जाएगी।

बैठक के अंत में सर्वसम्मति से कहा गया कि ये पांच प्रस्ताव मेवात में शिक्षा सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम साबित होंगे। फाउंडेशन ने घोषणा की कि इन योजनाओं को जल्द ही ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाएगा।बैठक में मौलाना ज़ाहिद आलम मजाहिरी, सैयद फर्रूख़ सेर, अशरफ ख़ान, मोहम्मद मुशर्रफ, पत्रकार ज़फरूद्दीन गुमाल, हाफ़िज़ सिद्दीक़ क़ासमी, ज़ुहेर क़ासमी, जाकिर हुसैन, किफायातुल्ला, नदीम खान समेत सैकड़ों उलेमा और मदरसा संचालक उपस्थित रहे।







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