पाकिस्तान के पेट्रोल की कहानी

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 04-08-2025
The story of Pakistan's petrol
The story of Pakistan's petrol

 

harjinderहरजिंदर

पाकिस्तान के तेल भंडार इस समय चर्चा में हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कह रहे हैं कि वे पाकिस्तान को पेट्रोल के खनन के लिए मदद करेंगे.  हो सकता है कि एक दिन भारत भी पाकिस्तान से पेट्रोल खरीदे.जब से यह बात कही गई है पाकिस्तान के तेल भंडारों पर काफी कुछ लिखा जा रहा है. हालांकि विश्लेषक खुद हैरत में हैं कि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत का सबसे बड़ा नेता ऐसी बात कैसे कह सकता है ?

पाकिस्तान के मुकाबले तो तेल भंडार भारत में काफी ज्यादा हैं. पाकिस्तान में भी तेल का थोड़ा बहुत खनन होता है, लेकिन पेट्रोलियम की अपनी जरूरतों के लिए वह भी भारत की तरह ही आयात पर निर्भर है.

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फिलहाल एक नजर डालते हैं उस इतिहास पर जहां से यह सब शुरू हुआ.यह कहानी शुरू होती है एक ब्रिटिश नागरिक फ्रैंक मिशेल से. मिशेल की शुरुआत जिंदगी को छोड़कर हम बात वहां से शुरू करते हैं जब किन्हीं स्थितियों में वे भारत आए और अपने भाई के पास श्रीनगर में रहने लगे.

वहां उनके भाई कालीन बनाकर निर्यात करने का काम करते थे. कुछ दिन तक कालीन के काम में उन्होंने हाथ बंटाया. उसके बाद उन्हें लगा कि कश्मीर की नदियों में ट्राउट मछली को स्थापित कर सकते हैं और तमाम बाधाओं के बाद उन्होंने इस काम में कामयाबी हासिल कर ली.

वे पहले व्यक्ति बने जिन्होंने भारत में ट्राउट मछली को स्थापित कर दिया. इसके पहले तक कईं विशेषज्ञ तक इसमें हार मान चुके थे.सफलता से उनका नाम तो हुआ लेकिन उन्हें और कोई फायदा नहीं हुआ, जबकि वे ऐसा काम करना चाहते थे जिसमें खूब पैसा कमा सकें.

इसके लिए वे श्रीनगर छोड़कर पंजाब के अटक में चले गए. उन्हें वहां पहाड़ियों के बीच की एक जगह जैतून की खेती के लिए बहुत उपयुक्त लगी. उन्होंने वहां जैतून की कईं किस्मों के पौधे लगाए.

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यह काम अभी चल ही रहा था कि उन्हें पता लगा कि कुछ वैज्ञानिकों ने अटक की जमीन के नीचे तेल मिलने की संभावना बताई है. मिशेल को लगा कि यह मौका अच्छा है. उन्होंने दिसंबर 1913 में इसके लिए एक कंपनी शुरू की जिसका नाम रखा- द अटक आयल कंपनी लिमिटेड.

इसका मुख्यालय रखा गया मैनचैस्टर में. कच्चे तेल के खनन के लिए बनाई गई इस कंपनी के लिए उन्होंने निवेश बटोरना शुरू किया. काफी हद तक से इसमें कामयाब भी रहे.

पंजाब सरकार को इसमें काफी संभावना दिख रही थी, इसलिए उसने मिशेल को 720 एकड़ जमीन दी. जहां यह जमीन मिली वहां तो तेल नहीं मिला, तेल मिला उससे काफी दूर कहूर नाम की जगह पर 1915 में. इस तेल की कहानी पर जाने से पहले देखें कि मिशेल ने अटक की उस जमीन का क्या किया ?

मिशेल ने वहां संतरों और नींबू प्रजाति के फलों की बड़े पैमाने पर खेती शुरू कर दी. जितनी फसल हुई उतना बड़ा बाजार उस दौर में उपलब्ध नहीं था.लेकिन मिशेल की योजना कुछ और थी. उसने फूड प्रोसेसिंग का काम शुरू कर दिया. भारत में पहली बार किसी ने इतने बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग का काम शुरू किया था.

उन्होंने इसके दो ब्रांड बनाए एक था किसान और दूसरा मिशेल्स. किसान कैचअप और जैम वगैरह के बाजार का आज भी भारत का सबसे बड़ा ब्रांड है. भारत आजाद हुआ तो मिशेल ने यह ब्रांड विट्ठल मालया को बेच दिया, जिनसे बाद में यूनीलिवर समूह ने इसे खरीद लिया. इसी तरह मिशेल्स अभी भी पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रोसस्ड फूड ब्रांड है.

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अटक आयल कंपनी ने कहूर से तेल निकालने का काम शुरू किया, लेकिन व्यवसायिक तौर पर यह काम शुरू होने में काफी वक्त लगा. जब तक यह समय आया भारत का विभाजन हो चुका था. कटक पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था.

हालांकि वहां जो तेल मिला वह बहुत ज्यादा मात्रा में नहीं था. जल्द ही वहां तेल निकालना व्यवसायिक रूप से फायदे का सौदा नहीं रहा. 1970 के दशक में इसे बंद कर दिया गया.

अटक आयल कंपनी अभी भी है. कईं तरह से पाकिस्तान में पेट्रोल का कारोबार करती है. हालांकि पाकिस्तान की बाकी कुछ आयलफील्डस की स्थिति शायद इतनी खराब नहीं है. लेकिन डोनाल्ड ट्रंप जैसी उम्मीद जता रहे हैं वैसा कुछ भी नहीं है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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