तनाव के बाद की राजनीतिक समझदारी

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 28-07-2025
Post-tension political understanding
Post-tension political understanding

 

d हरजिंदर

तमिलनाडु में मदुरई के पास एक खूबसूरत कस्बा है थिरुप्प्ररनकुंदरम. यह जगह अपनी झीलों और मंदिरों के लिए मशहूर है. इसका सबसे बड़ा आकर्षण है इसके बीच में खड़ा एक पर्वत जो कि वास्तव में एक विशाल चट्टान है जो कईं सौ मीटर ऊंची है.इस पहाड़ की एक दूसरी खासियत है कि यहां हिंदू, जैन और मुस्लिम तीनों के धर्मस्थल हैं . वे वहां बड़ी संख्या में जाते हैं. वहां एक तो प्रसिद्ध मुरुगन भगवान का मंदिर है.

कुछ गुफाएं हैं जहां जैन शिल्प सबको अपनी ओर आकर्षित करता है. फिर यहीं पर सिकंदर सुल्तान की दरगाह भी है. सिकंदर मदुरई के आखिरी सुल्तान तो थे. साथ ही वे एक सूफी के तौर पर भी जाने जाते थे.

न जाने कबसे तीनों धर्मों के लोग बिना किसी बैर भाव के अपनी पूजा, अर्चना और इबाबत के लिए जाते थे. किसकी जमीन कितनी है जैसे कुछ अदालती झगड़ों को छोड़ दें तो इस इलाके का जो रुप निखरा था उसे सांप्रदायिक एकता की मिसाल कहा जा सकता है.

 फिर हम अचानक उस दौर में पहंच गए जहां एक-एक करके सद्भाव की ऐसी सारी मिसाल खत्म करने की कोशिश की जा रही है. इस साल मार्च में जब यहां सांप्रदायिक तनाव उभरना शुरू हुआ तो चिंता सभी धर्मों के लोगों को हुई.

हालांकि प्रशासन ने तनाव को दबा दिया, लेकिन ऐसे तनाव कब फिर से खड़े हो जाएंगे यह डर हमेशा ही बना रहता है. कुछ संगठनों की गतिविधियों से लगा कि ऐसा कभी भी हो सकता है. इसके बाद जो समझदारी दिखाई दी वह उम्मीद बंधाने वाली है.

तीन जून को टूटीकोरिन में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने एक सम्मेलन का आयोजन किया तो तनाव का डर लोगों को फिर सताने लगा. लीग की वजह से मीडिया के कवरेज ने भी इस डर को बढ़ाने का काम किया. बावजूद इसके कि इस सम्मेलन का विषय ही था- सांप्रदायिक सद्भाव.

सम्मेलन न सिर्फ शांति से निपट गया, उससे यह आश्वासन भी मिला कि तमिलनाडु की राजनीतिक ताकतें शांति के पक्ष में खड़ी हैं.इसके बाद इसी जुलाई में तमिलनाडु की एक दूसरी राजनीतिक ताकत मनिकीन्य मक्कई कच्ची यानी एमएमके ने टूटीकोरिन में ही अपना एक सम्मेलन किया.

एमएमके तमिलनाडु के मुसलमानों के बीच पैठ रखने वाला एक राजनीतिक दल है जो राज्य की डीएमके सरकार में भी शामिल है.इस सम्मेलन में कहा गया कि तमिलनाडु एक समावेशी समाज है. इसमें किसी तरह के सांप्रदायिक तनाव के लिए कोई जगह नहीं है.

इस सम्मेलन की एक दूसरी खासियत यह भी थी कि इसमें हिंदूओं के धार्मिक नेता और ज्योतिमइल इरईपनी के संस्थापक थिरुवडईकुडिल स्वामीगल भी शामिल थे. दूसरी ओर इसमें केथोलिक प्रीस्ट जेबथ जैस्पर राज ने भी शिरकत की.

थिरुप्प्ररनकुंदरम तनाव फिर से न खड़ा हो इसे लेकर सिर्फ प्रदेश के दो सबसे बड़े मुस्लिम राजनीतिक दल ही सक्रिय नहीं हुए. एक आध को छोड़कर ज्यादातर राजनीतिक दलों ने स्थानीय प्रशासन से पूरा समर्थन देने का आश्वासन दिया.

कईं सर्वदलीय बैठके भी हुई . इन्हीं सब की वजह से अब थिरुप्प्ररनकुंदरम के लोग राहत की संास ले रहे हैं.तमिलनाडु ने इन राजनीतिक दलों ने दरअसल पूरे देश को रास्ता दिखाया है कि जब हवा में जहर घोलने की कोशिश हो रही हो तो क्या किया जाना चाहिए.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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