जाति सर्वे में धर्म और जाति की जटिलताएं

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 22-09-2025
The complexities of religion and caste in the caste survey
The complexities of religion and caste in the caste survey

 

s हरजिंदर

बहुत मुमकिन है कि जिस समय आप यह लेख पढ़ रहे होंगे कर्नाटक में जाति जनगणना या जाति सर्वे शुरू हो गया होगा.वैसे यह सर्वे पिछले साल ही हो गया था, लेकिन इसके नतीजों को लेकर काफी विवाद हुआ था, इसलिए इसे अब दुबारा कराया जा रहा है. इस बीच तेलंगाना का जाति सर्वे हुआ जिसकी हर तरफ काफी तारीफ हुई. इसलिए अब कर्नाटक का सर्वे भी तेंलंगाना के ही नक्शे कदम पर किया जा रहा है.

ऐसे जाति सर्वेक्षण जब भी होते हैं उसे लेकर तमाम तरह के विवाद शुरू हो जाते हैं जो इस बार भी दिख रहे हैं. खासकर तमाम तरह के अल्पसंख्यक समुदायों में इसे लेकर विशेष तरह की सक्रियता दिखने लगती है.

कर्नाटक के सर्वे से पहले इस बार भी बहुत से मुस्लिम नेताओं ने मिलकर यह तय किया कि उनके समुदाय के लोग धर्म वाले कालम में इस्लाम लिखवाएंगे और जाति वाले कालम में मुस्लिम. साथ ही एक तर्क यह भी दिया गया कि अगर ऐसा होता है तो पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़े का दर्जा मिलेगा और पूरा समुदाय आरक्षण का हकदार होगा.

कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को कैटेगरी-2 की अन्य पिछड़ी जातियों के रूप में चार फीसदी आरक्षण मिला हुआ है. इसके अलावा पिंजरा और नदाफ जातियों को कैटेगरी-1 के तहत अलग से चार फीसदी आरक्षण मिला है.

इस बैठक की सबसे खास बात यह थी कि इसमें मुस्लिम नेताओं के अलावा राज्य  सरकार के कईं मंत्री और सत्ताधारी पार्टी के कईं बड़े नेता भी शामिल थे. तो क्या इस मीटिंग में जो तय किया गया उसे सरकार की सोच मान लिया जाए ?

इस सर्वे से जुड़ा एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि धर्म में इस्लाम और जाति में मुस्लिम लिखने के बाद भी इस सर्वे में अपनी जाति बताने की पूरी गुंजाइश रखी गई है. धर्म और जाति के बाद एक और कालम है उपजाति. ज्यादातर मुस्लिम जातियां इस कालम में रखी गई हैं.

यानी अपनी जाति मुस्लिम बताने के बाद भी लोगों के पास अपनी जाति दर्ज कराने का रास्ता बना दिया गया है.इसी तरह की एक बैठक कुछ दिन पहले दक्षिण कर्नाटक जिले में हुई. इसमें जीनत बख्श जामा मस्जिद और और मुस्लिम सेंट्रल कमेटी से जुड़े मुस्लिम नेता जमा हुए. इस बैठक में लोगों का यह बताया गया कि मुसलमानों को अपनी जाति कैसे दर्ज करानी है.

इस बैठक में राज्य सरकार की सचिव उर्मिला बी. ने लोगों को जाति दर्ज कराने के बारे में जानकारी दी. बैठक में कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष यूटी खदेर भी शामिल हुए.

सर्वे क्योंकि गांवों में भी होना है और मुमकिन है कि वहां तक पूरी जानकारी न पहंच पाई हो इसलिए सभी समुदायों के नेताओं से कहा गया है कि वे अपने स्वयं सेवकों की टीम बनाएं. उन्हें गांवों में सर्वे के दौरान लोगों की मदद के लिए भेजें.

मुस्लिम समुदाय ही नहीं दूसरे समुदाय भी इस तरह की सक्रियता दिखा रहे हैं. मसलन कर्नाटक में पंचमसाली समुदाय के नेताओं ने तय किया है कि उनके समुदाय के लोग धर्म वाले कालम में हिंदू लिखाएंगे.

जाति वाले में लिंगायत पंचमसाली. इसी तरह की एक बैठक लिंगायत वीरशैव समुदाय के लोगों ने भी की है.  ध्यान देने वाली बात यह है कि लिंगायत समुदाय में बहुत से लोग इसे हिंदू धर्म का ही हिस्सा मानते हैं जबकि कुछ लोगों का कहना है कि लिंगायत एक अलग धर्म है.पूरे देश के स्तर पर जाति जनगणना कराने का जो फैसला सरकार ने किया है, उसमें कर्नाटक में हो रहे जाति सर्वे के अनुभव बहुत काम के हो सकते हैं. 

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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