समावेशी भारत की खबरों के दो सफल साल, आवाज-द वॉयस अब मराठी में भी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 22-01-2023
आवाज-द वॉयस की टीम
आवाज-द वॉयस की टीम

 

प्रिय पाठको,

आज से ठीक दो साल पहले 23 जनवरी, 2021 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के मौके पर आवाज-द वॉयस को लॉन्च किया गया था. हमने सपने देखने वालों की एक छोटी-सी टीम के रूप में शुरुआत की थी, जो एक नई तरह की पत्रकारिता की कठिन यात्रा पर निकले थे.

शुरुआत में हमारे तीन संस्करण थे - अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू. बाद में, 2021 में हम अपने असमिया संस्करण के साथ आए. हमारे पहले तीन संस्करणों की तरह, असमिया भी बहुत कामयाब रहा है. हमें आज मराठी में अपने पांचवें संस्करण के लॉन्च की घोषणा करते हुए खुशी हो रही है.

अब मराठी पाठक भी हमारी सहज-सरल सामग्री का आनंद ले सकते हैं, क्योंकि हम आपके लिए महाराष्ट्र से भी प्रेरक कहानियां लाएंगे. हमारे सभी पांच संस्करण स्वतंत्र रूप से प्रकाशित होते हैं और ये केवल एक संस्करण के अनुवाद नहीं हैं.

आपने हमारी वेबसाइट डिजाइन में आए बदलावों पर भी ध्यान दिया होगा. नए लुक को हमारे प्रिय पाठको से मिले फीडबैक के आधार पर डिजाइन किया गया है. हमारी संपादकीय टीम और हमारे डिजाइनरों ने आपको पढ़ने का बेहतर अनुभव प्रदान करने के लिए नए डिजाइन पर काम करने करने के लिए मैराथन अभ्यास किया है.

आज से आवाज द वॉयस की स्टोरी मराठी में भी पढ़ी जा सकती है.महाराष्ट्र की शिक्षा और सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले पुणे से आवाज मराठी की टीम काम करेगी.समीर दिलावर शेख इसके संपादक हैं. वह अनुभवी पत्रकार होने के साथ पिछले एक दशक से मुसलमानों की तरक्की पसंद तहरीर का हिस्सा रहे हैं. पूजा नायक, विवेक पानमंद, छाया काविरे जैसे समर्पित पत्रकारों की पूरी टीम उनके साथ काम कर रही है . इसके अलावा सकाल की कार्यकारी संपादक शीतल पवार का भी सहयोग मिल रहा है.


हमें अपने पाठकों से कई मेल प्राप्त हुए थे, जिनका मानना था कि हमारी संतुलित और सकारात्मक समाचार कवरेज मुख्यधारा की पत्रकारिता में नकारात्मकता से उनके लिए एक ताजा बदलाव है.
 
अपने पाठकों के सुझावों को ध्यान में रखते हुए हमने अपनी सामग्री को अधिक विषय केंद्रित बनाने का प्रयास किया है. हमारे नए डिजाइन का उद्देश्य पाठक के अनुभव को और अधिक सुखद बनाना है. हम आपके लिए नवीनतम समाचार लाते रहेंगे. हमारा ध्यान अब अपनी खास तरह की सामग्री पर होगा, जिसके लिए हमारे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पाठकों ने बड़ी आत्मीयता दिखाई है.

हम मील के इन पत्थरों को महज इसलिए हासिल कर पाए क्योंकि हमारे पाठकों ने हमारे कंटेंट को लेकर जबरदस्त और सकारात्मक प्रतिक्रिया दी. हम आपके आभारी हैं और आपसे अनुरोध करते हैं कि आप आवाज-द वॉयस मराठी को भी वैसे ही प्यार दें, जैसे आपने अन्य चार संस्करणों को दिया है.

हम फाउंडेशन फॉर प्लूरलिस्टिक रिसर्च ऐंड एम्पॉवरमेंट और अपने संरक्षकों को धन्यवाद देना चाहते हैं कि वह हमारे साथ खड़े रहे और हमारी पत्रकारिता क्षमताओं पर उनका अटूट भरोसा बना रहा.

इन दो वर्षों में हमारी वेबसाइटों और सोशल मीडिया मंचों पर सामूहिक रूप से हमारी सामग्री लगभग 62 मिलियन लोगों तक पहुंच गई है. हमें यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि हम भारत में सबसे तेजी से बढ़ते मीडिया प्लेटफॉर्म में से एक हैं.

करगिल पहुंचा आवाज- द वॉयस, बगैर चीखे-चिल्लाए हिंदुस्तान को जोड़ने वाली खबरें


इन दो वर्षों में कई लोग हमसे जुड़ने की इच्छा के साथ आगे आए हैं. हमारी सामग्री ने लोगों को सकारात्मक पत्रकारिता की शक्ति के बारे में वास्तव में आश्वस्त किया है.

पत्रकारों के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए हमने पत्रकारिता के उच्च मानकों और नैतिकता का पालन किया है. साथ ही, हमने इस धारणा को सफलतापूर्वक चुनौती दी है कि पत्रकारों को केवल नकारात्मकता खोजने के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए. और यह कि वे अपने आस-पास की सभी अच्छी घटनाओं के बारे में धारणा बना लें कि वे रिपोर्ट करने के योग्य नहीं हैं.

बढ़ते संघर्षों की मौजूदा दुनिया में हमारा विश्वास है कि हमारी तरह की पत्रकारिता ही आगे बढ़ने का रास्ता है. हमारे साथ जुड़े हुए सभी लोग भी इस विचार में अटल आस्था है. यही कारण है कि समाचार एकत्र करने वालों और योगदानकर्ताओं का हमारा नेटवर्क दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है.

दिल्ली कार्यालय


आवाज-द वॉयस एक स्वतंत्र डिजिटल मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में उभरा है, जो समावेशी भारत के लिए एक वैकल्पिक आवाज बन गया है.

हमारा उद्देश्य, छोटे नकारात्मक से बड़े सकारात्मक, मुखर अल्पसंख्यक को मूक बहुमत में बदलने और तथ्यों के सनसनीखेजवाद पर स्पॉटलाइट स्थानांतरित करना है. अब तक का सफर अपने संघर्षों और सफलताओं के साथ खूबसूरत रहा है.

स्वतंत्र, गैर-वाणिज्यिक, अराजनैतिक और भारत की विविधता का गहरा सम्मान करने वाला हमारा पोर्टल पिछले दो वर्षों से मानवीय लचीलापन, शांतिपूर्ण पारस्परिक सह-अस्तित्व, भारत की समकालीन परंपराओं और पूरे भारत की महिलाओं और युवाओं की आकांक्षाओं की सकारात्मक कहानियों को सामने ला रहा है.

हमारा मानना है कि आस्था, जाति, क्षेत्र और भाषा की खामियों से परे, हमारी कई आम चिंताएं, साझा चुनौतियां और भविष्य के लिए दृष्टिकोण, लोगों, समुदायों और दुनिया को एक साथ लाने की बहुत संभावनाएं हैं.

असम टीम 

हम आपके समर्थन के लिए आभारी हैं और हम आशा करते हैं कि आप हमें प्रोत्साहित करते रहेंगे और बढ़ावा देते रहेंगे.

***