- हरजिंदर
तकनीक से निकली चीजें सबके सामने ही हर रोज नई तरह के धर्म-संकट खड़े करती रहती है. ऐसी ही एक चीज है क्रिप्टोकरेंसी जिसने इस समय दुनिया के शासकों और अर्थशास्त्रियों को ही नहीं धर्म की व्याख्या करने वालों तक को परेशान कर रखा है. वैसे यह एक करेंसी भर है. लेकिन यह रुपये, डालर, पौंड या दीनार की तरह की करेंसी नहीं है जिसे किसी सरकार ने जारी किया हो.
इसका अस्तित्व पूरी तरह से डिजिटल है. ये आपके कंप्यूटर या मोबाइल में तो हो सकती है, लेकिन आपकी जेब में नहीं. काफी संख्या में लोग आजकल इसमें निवेश कर रहे हैं. दुनिया के बहुत से काले सफेद कारोबार इसी क्रिप्टोकरेंसी से हो रहे हैं.
क्रिप्टोकरेंसी को हलाल माना जाए या हराम ? इस पर इस्लामिक विद्वानों ने काफी सर खपाया है. ये दुनिया की दूसरी करेंसी की तरह ही लेन देन के लिए इस्तेमाल हो सकती है. इसलिए बहुत से लोग मानते हैं कि इसके इस्तेमाल में कोई हर्ज नहीं.
जबकि इसके उलट कुछ लोगों का कहना है कि जबसे क्रिप्टोकरेंसी जारी हुई है इसके दाम तेजी से घटते बढ़ते रहे हैं . इसका कारोबार ज्यादातर सटोरियों के हाथ में है. कुछ लोग मानते हैं कि इसे सट्टेबाजी की करेंसी माना जाता है. इस लिहाज से यह हराम है.
ये विद्वान अभी तक किसी नतीजे पर सहमत नहीं हुए, लेकिन खुद को इस्लामिक देश कहने वाला पाकिस्तान नतीजे पर पहंच गया है. वहां क्रिप्टोकरेंसी अब एक वाजिब मुद्रा का दर्जा पा चुकी है.
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी के लिए बाकायदा मंत्रालय बना दिया है. इसका नियमन करने के लिए एक पाकिस्तान क्रिप्टोकरेंसी कौंसिल नाम की संस्था बनाई गई है जिसके सीईओ हैं बिलाल बिन सादिक.
सादिक पिछले दिनों मध्य अफ्रीकी देश अल सल्वाडोर गए और वहां क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक समझौता किया. अल सल्वाडोर क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश है. दोनों देश अब मिलकर एक क्रिप्टोकरेंसी रिजर्व बनाएंगे.
दिलचस्प बात है. अभी कुछ ही समय पहले तक पाकिस्तान क्रिप्टोकरेंसी के विरोध में था. 2023 में इसे पकड़ने के लिए बाकायदा छापे मारे गए थे. तब सरकार का कहना था कि इसके जरिये पाकिस्तान की पूंजी बाहर भेजी जा रही है.
अब विश्लेषक कह रहे हैं कि आर्थिक हालात बहुत खराब होने के बाद पाकिस्तान क्रिप्टोकरेंसी में अपना भविष्य ढूंढ रहा है. उसकी अपनी करेंसी पाकिस्तान रुपया टूट चुकी है.
यह भी कहा जा रहा है कि पानी कभी भी सर से गुजर सकता है. कुछ दिन पहले अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने उसे जो 70 अरब डालर की मदद दी थी उसके बाद पाकिस्तान ने राहत की सांस ली थी. यह राहत कब तक बरकरार रहेगी अभी नहीं कहा जा सकता.
जिस अल सल्वाडोर से पाकिस्तान ने समझौता किया है उसकी अपनी हालत बहुत अच्छी नहीं. वहां क्रिप्टोकरेंसी पर लिए गए फैसलों को पलटने का सिलसिला शुरू हो चुका है.
यह भी माना जा रहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देना पाकिस्तान का आखिरी आर्थिक जुआ है. जिसके बाद उसके सारे विकल्प खत्म हो सकते हैं.
बेशक, क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने का एक फायदा तो पाकिस्तान को मिला ही है.
इसके जरिये वह अमेरिका के ट्रंप प्रशासन के नजदीक हो गया है. पाकिस्तान ने पिछले कुछ समय में अमेरिकी कंपनी वल्र्ड लिबर्टी फाईनेंशियल्स से कारोबारी समझौता किया है.
क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार करने वाली इस कंपनी को ट्रंप परिवार ही चलाता है. वैसे भी इसी हफ्ते अमेरिकी सरकार ने जीनियस एक्ट पास किया है जो क्रिप्टोकरेंसी का नियमन करने वाला ही कानून है.
बेशक इससे अंतर्राष्ट्रीय रिश्तों में पाकिस्तान को कुछ अहमियत मिल गई है, लेकिन पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को इससे कुछ हासिल होगा इसमें ज्यादातर विषेशज्ञों को शक है. तत्काल का फायदा पाकिस्तान को दीर्घकालिक परेशानी भी दे सकता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)