भारत-यूएई तकनीकी साझेदारी: संघर्षों के दौर में नवाचार की नई उड़ान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-07-2025
India-UAE tech partnership: A new wave of innovation in times of conflict
India-UAE tech partnership: A new wave of innovation in times of conflict

 

dशंकर कुमार

 

 

जब पूरा एशिया, विशेष रूप से पश्चिम एशिया, ईरान-इज़राइल जैसे संघर्षों की आंच में झुलस रहा है, ऐसे समय में भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में मिलकर एक नई इबारत लिखनी शुरू की है. दोनों देशों ने हाल ही में 24 जून 2025 को भारत-यूएई स्टार्टअप श्रृंखला की शुरुआत की, जो सिर्फ व्यापारिक साझेदारी नहीं, बल्कि नवाचार आधारित सहयोग का एक सशक्त मंच है.

यह पहल भारत के उभरते उद्यमियों को यूएई के विश्व स्तरीय व्यापार और तकनीकी इकोसिस्टम से जोड़ने का काम कर रही है. यह सिर्फ एक स्टार्टअप अभियान नहीं, बल्कि एक साझा भविष्य के निर्माण की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है — उस समय, जब दुनिया भू-राजनीतिक तनावों और आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर से गुजर रही है.

आर्थिक भागीदारी से तकनीकी सहयोग तक

भारत-यूएई के बीच विस्तृत आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के लागू होने के बाद से दोनों देशों का व्यापार तेज़ी से बढ़ा है. 2020 में 43.3 बिलियन डॉलर का व्यापार अब 2025 में बढ़कर 83.7 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. जनवरी 2025 तक यह आंकड़ा 80.5 बिलियन डॉलर तक दर्ज हुआ. अब लक्ष्य है कि 2030 तक गैर-तेल व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचाया जाए.

यूएई, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का सातवां सबसे बड़ा स्रोत है. अप्रैल 2000 से जून 2024 के बीच भारत को यूएई से लगभग 19 बिलियन डॉलर का निवेश प्राप्त हुआ. लेकिन भारत-यूएई का रिश्ता सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष अनुसंधान, नवीकरणीय ऊर्जा और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में मजबूत तकनीकी भागीदारी का उदाहरण बन चुका है.

तकनीकी सहयोग का रोडमैप

इस रणनीतिक साझेदारी की नींव 2022 के संयुक्त विज़न स्टेटमेंट में रखी गई थी, जिसमें प्रौद्योगिकी को संबंधों का केंद्रीय स्तंभ बनाने की बात कही गई थी. भारत-यूएई स्टार्टअप ब्रिज, जो तीन वर्ष पहले शुरू किया गया था, दोनों देशों के स्टार्टअप्स, इनक्यूबेटरों, एक्सेलेरेटरों और निवेशकों को जोड़ने का काम कर रहा है.

यूएई का तकनीकी परिदृश्य भी तेजी से विकसित हो रहा है। इंडस्ट्री 4.0 पहल के तहत वह AI, मशीन लर्निंग और IoT जैसी उन्नत तकनीकों को अपने औद्योगिक तंत्र में शामिल कर रहा है. 'फ्यूचर 100' पहल के जरिए यूएई अपने शीर्ष 100 स्टार्टअप्स को समर्थन देकर नवाचार की नई मिसाल कायम कर रहा है.

2030 तक यूएई की अर्थव्यवस्था में सिर्फ AI का योगदान 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. यूएई पहले ही 11 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स के साथ खाड़ी क्षेत्र का सबसे बड़ा स्टार्टअप केंद्र बन चुका है. खलीज टाइम्स के अनुसार, 2025 की पहली तिमाही में यूएई के स्टार्टअप्स ने 872 मिलियन डॉलर जुटाए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 194% की बढ़ोतरी है.

दुबई आर्थिक एजेंडा (D33) के तहत 2033 तक डिजिटल परिवर्तन के ज़रिए 27 बिलियन डॉलर जोड़ने का लक्ष्य है. इसके लिए दुबई इंटरनेट सिटी, दुबई सिलिकॉन ओएसिस और अबू धाबी की मसदर सिटी जैसे तकनीकी हब बनाए गए हैं.

भारत: तकनीकी महाशक्ति की ओर बढ़ता कदम

भारत ने भी प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में खुद को तेजी से सशक्त किया है. राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और सेमीकंडक्टर मिशन जैसी पहलों के जरिए देश ने उच्च गुणवत्ता वाले नवाचार की दिशा में बड़ा कदम उठाया है.

राष्ट्रीय क्वांटम मिशन, जो अप्रैल 2023 में 740 मिलियन डॉलर के बजट के साथ शुरू हुआ, भारत को क्वांटम तकनीक में अग्रणी बनाने की योजना पर काम कर रहा है. भारत अब वैश्विक क्वांटम स्टार्टअप सूची में छठे स्थान पर है, जहां अमेरिका पहले और जर्मनी, ब्रिटेन, चीन और कनाडा क्रमशः आगे हैं.

वहीं, 10 बिलियन डॉलर के सेमीकंडक्टर मिशन के तहत भारत सेमीकंडक्टर चिप्स के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर है. 2025 में 3 नैनोमीटर चिप डिजाइन सेंटर की शुरुआत के साथ भारत में अब कुल 6 सेमीकंडक्टर निर्माण केंद्र हो चुके हैं। 2030 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 100 बिलियन डॉलर पार कर जाएगा.

स्टार्टअप शक्ति: भारत की तकनीकी रीढ़

भारत आज अमेरिका और चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम है. 31 दिसंबर 2024 तक, 1.57 लाख से अधिक स्टार्टअप्स को DPIIT द्वारा मान्यता दी जा चुकी है और देश में 110 से अधिक यूनिकॉर्न हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत 133 देशों में 39वें स्थान पर है.

निष्कर्ष: साझेदारी जो भविष्य को आकार दे रही है

ऐसे समय में जब विश्व अशांति, युद्ध और आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहा है, भारत और यूएई की यह तकनीकी साझेदारी स्थायित्व, नवाचार और विकास का प्रतीक बनकर उभर रही है. यह केवल कूटनीतिक या व्यापारिक नहीं, बल्कि भविष्य निर्माण की साझेदारी है — एक ऐसा मंच, जो दुनिया को यह संदेश दे रहा है कि जब राहें कठिन हों, तभी मिलकर नई राह बनानी चाहिए.