कैसे कायम होता है सद्भाव

Story by  हरजिंदर साहनी | Published by  [email protected] | Date 26-05-2025
How harmony is maintained
How harmony is maintained

 

harjinder

- हरजिंदर

दक्षिण अमेरिका का यह देश अपने एक लंबे इतिहास में कईं तरह की राजनीतिक उथल-पुथल से भी गुजरा है और क्रूर दमन के दौर से भी. अब जब अर्जेंटीना में लोकतंत्र स्थापित हो चुका है तो वहां के समाज की खूबसूरती भी कईं तरह से सामने आ रही है.

वैसे अर्जेंटीना की आबादी में ईसाई बहुमत में हैं. उसमें भी कैथोलिक ईसाई सबसे ज्यादा संख्या में. यह भी कहा जाता है कि बहुसंख्यक होने के कारण इस देश की सरकारी प्रक्रियाओं में कैथोलिक पंरपराओं का असर भी जहां-तहां नजर आ जाता है.

अगर अल्पसंख्यकों की बात की जाए तो यहां सबसे ज्यादा आबादी मुसलमानों और यहूदियों की हैं. कुछ साल पहले जब दलाई लामा यहां आए तो पता पड़ा कि अर्जेंटीना में एक बहुत छोटी सी ही आबादी बौद्ध धर्म को मानने वालों की भी है.

इसके बावजूद वहां जिस तरह से दलाई लामा को राजकीय सम्मान दिया गया उसे इस देश सोच का एक और उदाहरण माना जा सकता है.अर्जेंटीना की एक और दिलचस्प बात यह है कि वहां की 20 फीसदी आबादी ऐसी है जो जनगणना में अपने आप को गैर-धार्मिक बताती है.

यानी वह अपने आप को किसी धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखती.हमने शुरुआत में वहां हुई राजनीतिक हिंसा का जिक्र किया, लेकिन सामुदायिक या सांप्रदायिक हिंसा या तनाव के लक्षण वहां अक्सर नहीं ही दिखाई देते. राजनीतिक समूह तो वहां आपस में टकराते रहे हैं, लेकिन धार्मिक समूह आपस में टकराते हैं ऐसे उदाहरण बहुत ज्यादा नहीं मिलते.

यह सब अर्जेंटीना में कैसे होता है. इसे समझने के लिए हमें पिछले हफ्ते की एक घटना को देखना होगा.मई की 23 तारीख को राजधानी ब्यूनस आयर्स में सभी धर्मों के नेताओं की एक बैठक हुई.

बैठक में सरकार की ओर से वर्शिप एंड सिविलाईजेशन विभाग के सचिव भी शामिल थे. देश के कैथोलिक बिशप के संगठन के अध्यक्ष भी थे. यहूदी व इस्लाम धर्मों के नेता भी. एक और महत्वपूर्ण बात यह थी कि बैठक अहमदिया संप्रदाय के सामुदायिक भवन में हुई.

बैठक में तय हुआ कि सभी धर्मों के जितने भी त्योहार हैं ,उन्हें सभी धर्मों के लोग आपस में मिल-जुलकर मनाएंगे. कुछ महीने पहले रमजान के मौके पर इसे प्रयोग के तौर पर आजमाया गया. यह काफी कामयाब रहा. उसके बाद ईस्टर के मौके पर इसे दोहराया गया.नतीजे बहुत अच्छे रहे. अब एक नीति की तरह यह तय हो गया कि  अर्जेंटीना में किसी का भी त्योहार सबका त्योहार होगा.

वैसे पूरे दक्षिण अमेरिका के बारे में यह माना जाता है कि वहां सभी देशों के लोग उत्सवप्रिय  हैं. उन्हें उत्सव मनाने के लिए किसी न किसी बहाने की तलाश रहती है. अर्जेंटीना में सभी के त्योहारों को सभी के खुश होने के अवसर में बदलना एक महत्वपूर्ण फैसला है.


यह बात एक और चीज की ओर इशारा करती है. यह फैसला उस देश में हुआ है जो धार्मिक या सांप्रदयिक तनाव के किसी बड़े संकट से नहीं गुजर रहा था. उसके बावजूद इस तरह की नीति को अपनाना यह बताता है कि हालात चाहे जैसे भी हों सभी समुदायों को आपस में जोड़ने के प्रयास जारी रहने चाहिए.

क्या तरह-तरह के तनावों से गुजर रहे दुनिया के तमाम देशों के लोग क्या इस अर्जेंटीना से कोई प्रेरणा लेंगे?

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

ALSO READ जो आतंकवाद दूसरों को निशाना बनाता है, वह अपनों को भी नहीं बख्शता