डिजिटल दशक : 11 वर्षों में भारत की तकनीकी प्रगति की प्रेरणादायक यात्रा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 14-06-2025
Digital Decade: India's inspiring journey of technological progress in 11 years
Digital Decade: India's inspiring journey of technological progress in 11 years

 

आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली

भारत ने बीते 11 वर्षों में डिजिटल प्रगति की जो कहानी लिखी है, वह अभूतपूर्व है. एक समय था जब देश का ग्रामीण इलाका इंटरनेट से अछूता था, लेकिन आज, भारत डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर आत्मविश्वास से अग्रसर है. डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से सरकारी सेवाओं का वितरण पहले की तुलना में कहीं अधिक पारदर्शी और कुशल हो गया है.

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्लाउड कंप्यूटिंग और डिजिटल अवसंरचना में हुई प्रगति के चलते भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74 प्रतिशत का योगदान कर चुकी है और 2024-25 तक इसके 13.42 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है.

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कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भारत ने एक क्रांतिकारी छलांग लगाई है. मार्च 2014 में जहां देश में 93.3 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन थे, वहीं अप्रैल 2025 तक यह संख्या 120 करोड़ से पार पहुंच गई है. टेली-घनत्व 75 प्रतिशत से बढ़कर 84.49 प्रतिशत हो गया है। खास बात यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी संचार सुविधाओं में असाधारण सुधार हुआ है, जहां अब 527 मिलियन से अधिक टेलीफोन कनेक्शन हैं.

इंटरनेट उपयोग में जबरदस्त वृद्धि देखी गई है। 2014 में जहां 25 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़े थे, वहीं 2024 में यह संख्या 97 करोड़ के करीब पहुंच गई है. इसी अवधि में ब्रॉडबैंड कनेक्शन भी 6 करोड़ से बढ़कर लगभग 95 करोड़ हो गए हैं.

डेटा की लागत में भारी गिरावट आई है, जिससे अब डिजिटल सेवाएं आम लोगों की पहुंच में हैं. जहां 2014 में प्रति जीबी डेटा की कीमत 308 रुपये थी, वहीं 2022 में यह महज 9.34 रुपये रह गई.

भारतनेट परियोजना के अंतर्गत अब तक देश की 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा जा चुका है. इसके लिए 6.92 लाख किलोमीटर से अधिक ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई गई है.

5जी क्रांति ने देश के डिजिटल भविष्य को और अधिक रफ्तार दी है. अक्टूबर 2022 में शुरू हुई 5जी सेवाएं अब तक 99.6 प्रतिशत जिलों तक पहुंच चुकी हैं और 4.74 लाख से अधिक 5जी बीटीएस स्थापित किए जा चुके हैं.

वित्तीय समावेशन की दृष्टि से भारत ने एक नई ऊंचाई छुई है. यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ने भुगतान प्रणाली को पूरी तरह बदल दिया है. अप्रैल 2025 में यूपीआई के जरिए 24.77 लाख करोड़ रुपये के लगभग 1,868 करोड़ लेनदेन दर्ज किए गए.

भारत अब डिजिटल भुगतान में वैश्विक नेतृत्व कर रहा है और उसकी वैश्विक हिस्सेदारी 49 प्रतिशत तक पहुंच चुकी है. यह प्रणाली अब सात से अधिक देशों में उपलब्ध है, जिससे भारत के फिनटेक प्रभाव का दायरा अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा है.

ssआधार प्लेटफॉर्म ने नागरिकों को सरकारी सेवाओं से जोड़ने में एक मजबूत पुल का काम किया है. अब तक 141.88 करोड़ आधार आईडी जारी की जा चुकी हैं. इसके माध्यम से प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) को मजबूत आधार मिला है, जिससे सब्सिडी का वितरण पारदर्शी और सटीक हो गया है.

मई 2025 तक DBT के तहत 44 लाख करोड़ रुपये से अधिक सीधे लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित किए गए हैं. इस प्रणाली ने न केवल भ्रष्टाचार को रोका बल्कि फर्जी लाभार्थियों को भी हटाने में सफलता पाई.

डिजिटल कॉमर्स को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) पहल ने देशभर के छोटे व्यापारियों को एक नया मंच प्रदान किया है. जनवरी 2025 तक इसमें 7.64 लाख से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता जुड़ चुके हैं.

इसके साथ ही सरकारी खरीद के लिए बनाया गया गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (GeM) भी बड़े पैमाने पर विस्तार कर चुका है और अब तक 4.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक का लेनदेन दर्ज कर चुका है.

ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में भी भारत ने अत्यधिक प्रगति की है. मिशन कर्मयोगी के अंतर्गत बनाए गए कर्मयोगी भारत प्लेटफॉर्म ने 1.07 करोड़ से अधिक सिविल सेवकों को प्रशिक्षण प्रदान किया है.

डिजिलॉकर, जिसकी शुरुआत 2015 में हुई थी, अब तक 51.6 करोड़ से अधिक नागरिकों को डिजिटल दस्तावेजों की सुरक्षित सुविधा प्रदान कर चुका है. उमंग ऐप के माध्यम से नागरिक अब 23 भाषाओं में 2,300 से अधिक सरकारी सेवाओं का लाभ ले सकते हैं.

डिजिटल साक्षरता के क्षेत्र में प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान (PMGDISHA) एक मील का पत्थर साबित हुआ है. इस योजना ने 7.35 करोड़ ग्रामीण नागरिकों को डिजिटल साक्षर बनाया है, जिसमें से 4.77 करोड़ लोग प्रमाणित हो चुके हैं.

jaipurइसके अतिरिक्त, एनआईईएलआईटी को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से तकनीकी शिक्षा को नई दिशा मिली है. ईएसडीएम, फ्यूचरस्किल्स प्राइम और चिप्स टू स्टार्ट-अप जैसी पहलों ने युवाओं में कौशल विकास को बढ़ावा दिया है.

भारत की भाषाई विविधता को डिजिटल रूप से जोड़ने की दिशा में 'भाषिणी' एक महत्वपूर्ण पहल रही है. यह प्लेटफॉर्म 35 से अधिक भाषाओं में काम करता है और 1,600 से अधिक एआई मॉडल के साथ काम कर रहा है. इसका उपयोग आईआरसीटीसी, एनपीसीआई जैसी संस्थाओं के सिस्टम में किया जा रहा है.

jaipurप्रौद्योगिकी में रणनीतिक स्वावलंबन को लेकर भारत ने दो बड़े कदम उठाए हैं—इंडियाएआई मिशन और इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन. एआई मिशन के अंतर्गत भारत की कंप्यूट क्षमताएं तेजी से बढ़ रही हैं, और मई 2025 तक देश 34,000 जीपीयू की राष्ट्रीय क्षमता तक पहुंच चुका है.

वहीं, सेमीकंडक्टर मिशन के तहत 1.55 लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली छह परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं. इनमें से कई निर्माण के उन्नत चरण में हैं.यह सब दर्शाता है कि भारत न केवल डिजिटल युग में प्रवेश कर चुका है, बल्कि वह इस युग का नेतृत्व करने की दिशा में भी गंभीर प्रयास कर रहा है.

तकनीक अब सिर्फ सुविधा नहीं रही, बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास की आधारशिला बन चुकी है. भारत का डिजिटल दशक वास्तव में एक सशक्त, समावेशी और नवोन्मेषी राष्ट्र की ओर कदम है, जो आने वाले समय में वैश्विक मंच पर एक प्रेरणा बनेगा.