अर्सला खान/नई दिल्ली
हिन्दी सिनेमा के अमर गायक मोहम्मद रफ़ी की आज 44वीं पुण्यतिथि है. 31 जुलाई 1980 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था, लेकिन उनके सुर आज भी करोड़ों दिलों की धड़कनों में ज़िंदा हैं. रफ़ी साहब की आवाज़ में वो जादू था जो हर भाव, हर हालात और हर दिल की जुबां बन जाती थी.
इस खास मौके पर देशभर में संगीत प्रेमियों और उनके चाहने वालों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया पर #MohammedRafi ट्रेंड कर रहा है, और हर पीढ़ी के लोग उनके अमर गीतों को याद कर रहे हैं.
रफ़ी साहब के वो नग़मे जो अमर हो गए
रफ़ी की गायकी में वो जादू था जो प्यार, दर्द, उल्लास, देशभक्ति और भक्ति—हर भाव को आत्मा की गहराई से छूता था. उनके कुछ अमर गीतों को आज भी लोग उसी ताज़गी से सुनते हैं:
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"तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है" (चित्रलेखा)
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"चाहूंगा मैं तुझे सांझ सवेरे" (दर्द)
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"क्या हुआ तेरा वादा" (हम किसी से कम नहीं)
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"मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया" (हम दोनों)
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"दिल के झरोखे में तुझको बिठाकर" (ब्राह्मचारी)
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"खोया खोया चाँद" (काला बाज़ार)
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"सुहानी रात ढल चुकी" (दुलारी)
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"बदन पे सितारे लपेटे हुए" (प्रिंस)
इनके अलावा रफ़ी साहब के भक्ति गीत—जैसे "मन तड़पत हरि दरशन को आज"—भी आज मंदिरों और दिलों में गूंजते हैं.
क्या कहता है आज का युवा?
आज की पीढ़ी, जो रैप और रिमिक्स के युग में बड़ी हो रही है, वह भी रफ़ी साहब के गानों में सुकून ढूंढ़ती है. म्यूज़िक ऐप्स और यूट्यूब पर रफ़ी के गानों की स्ट्रीमिंग हर साल बढ़ती जा रही है.
मुंबई में रहने वाले संगीत छात्र अयान शेख ने कहा, “मैं जब भी रफ़ी साहब को सुनता हूं, ऐसा लगता है जैसे ज़िंदगी कुछ पल के लिए ठहर गई हो.”
फिल्म इंडस्ट्री की श्रद्धांजलि
बॉलीवुड के कई दिग्गजों ने भी रफ़ी साहब को याद करते हुए ट्वीट किए. गायक सोनू निगम ने लिखा, “रफ़ी साहब सिर्फ गायक नहीं थे, वो रूह थे भारतीय संगीत की. उनकी विरासत अमर है. फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट ने लिखा, “जब शब्द कम पड़ जाएं, तब रफ़ी की आवाज़ बोलती है.
मोहम्मद रफ़ी का जाना भले ही एक युग का अंत था, लेकिन उनकी आवाज़ और उनका संगीत आज भी हर दिल की धड़कन बना हुआ है। उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है—उन सुरों के लिए जो कभी फीके नहीं पड़ते.
आज भी जब “तेरे मेरे सपने अब एक रंग हैं…” गूंजता है, तो हर दिल मान जाता है—रफ़ी साहब अमर हैं.