अलीगढ़ में है ‘स्वर्ण मस्जिद’

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 28-03-2021
 मस्जिद
मस्जिद

 

रेशमा  / अलीगढ़
 
“देश का ऐसा कौनसा धार्मिक स्थल है जिस पर सबसे ज्यादा सोना लगा हुआ है.” कौन बनेगा करोड़पति में जब सुपर स्टार अमिताभ बच्चन ने यह सवाल पूछा तो शो देखने वाले सभी लोगों का ध्यान बरबस सिक्खों के सबसे बड़े अमृतसर के गोल्डन टेम्पल की ओर गया.
 
सवाल के साथ दिए गए विकल्प में भी गोल्डन टैम्पल का नाम था. लेकिन यह विकल्प गलत था. क्योंकि अलीगढ़, यूपी में बनी जामा मस्जिद वो धार्मिक स्थल है जहां कुंतलों के हिसाब से सोना लगा हुआ है. दावा है कि यह जामा मस्जिद देश ही नहीं एशिया की सबसे ज्यादा सोना लगी मस्जिद है.      
 
गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष और सीनियर गाइड शम्शुउद्दीन बताते हैं, ‘‘अलीगढ़ के ऊपरकोट इलाके में स्थित इस जामा मस्जिद की एक अलग पहचान है. मुगलकाल में मोहम्मद शाह के शासन काल में कोल के गवर्नर साबित खान ने वर्ष 1724 में मस्जिद की तामीर शुरू कराई थी. मस्जिद को मुकम्मल होने में चार साल लगे. करीब पांच हजार लोग एक साथ मस्जिद में नमाज पढ़ सकते हैं. 
 
मस्जिद में तीन बुलंद दरवाजे हैं. इन दरवाजों पर दो-दो गुंबद हैं. ऊपरकोर्ट में ही रहने वाले और समाजसेवी गुलजार अहमद ने बताया, “अभिनेता अमिताभ बच्चन ने ‘कौन बनेगा करोड़पति’ क्विज शो में एशिया में सबसे ज्यादा सोना लगे होने का सवाल किया था, जिसका जवाब कोई नहीं दे पाया. फिर अमिताभ बच्चन ने खुद उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की जामा मस्जिद में सोना लगा होने का जवाब दिया था. सोना लगा होने की पुष्टि जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी भी कर चुकी है. 
 
एक बार मौका मिलने पर मस्जिद की गुम्बद में लगे सोने की जांच भी कराई जा चुकी है. यह बहुत ही अच्छी क्वालिटी का सोना बताया जाता है. मस्जिद 290 साल पुरानी है.” 
 
जामा मस्जिद में कुल 17 गुंबद हैं. करीब आठ से दस फुट लंबी तीन मीनार मुख्य गुंबद पर लगी हुई हैं. तीनों गुंबद के बराबर में बने एक-एक गुंबद पर छोटी छोटी तीन मीनारें और लगी हुई हैं. मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं. सभी सोने की बनी हैं.
 
शम्शुउद्दीन बताते हैं कि ताजमहल हो या हमायूँ का मकबरा के अहम गुंबद की मीनार या स्वर्ण मंदिर, इन सब पर सोने की परत चढाई गयी है जबकी जामा मास्जिद के गुंबदांे की मीनार ठोस सोने की बनी हुई हैं. मस्जिद में लगीं मीनार और गुंबद को कभी तोला तो नहीं गया है, लेकिन एक अंदाजे के मुताबिक मस्जिद में करीब 6 कुंतल सोना लगा हुआ है.
 
देश की शायद यह पहली मस्जिद होगी, जहां शहीदों की कब्रें भी हैं. इसे गंज-ए-शहीदान (शहीदों की बस्ती) भी कहते हैं तीन सदी पुरानी इस मस्जिद में कई पीढ़ियां नमाज अदा कर चुकी हैं. अनुमान है कि इस वक्त मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज पढ़ रही है. 
aligarh masjid jamama
कुछ और बातें...

290 साल पहले बनी इस जामा मस्जिद में आठवीं पीढ़ी नमाज अदा कर रही है. जामा मस्जिद में यह भी खास हैं कि जामा मस्जिद में 1857-गदर के 73 शहीदों की कब्रें भी हैं. इस पर भारतीय पुरातत्व विभाग कई साल पहले सर्वे भी कर चुका है. यह अलीगढ़ में सबसे पुरानी और भव्य मस्जिदों में से एक है. इसको बनने में 14 साल लगे थे.
 
मस्जिद बलाई किले के शिखर पर स्थित है तथा यह स्थान शहर का उच्चतम बिंदु है. अपने स्थिति की वजह से, इसे शहर के सभी स्थानों से देखा जा सकता है.मस्जिद के भीतर छह स्थल हैं जहां लोग नमाज अदा कर सकते हैं. मस्जिद का जीर्णोद्धार कई दौर से गुजरा तथा यह कई वास्तु प्रभावों को दर्शाता है. सफेद गुंबद वाली संरचना तथा खूबसूरती से बने खम्भे मुस्लिम कला और संस्कृति की खास विशेषताएं हैं.