50 bikers from Kerala travel to Kashmir to pay tribute to 26 Pahalgam attack victims
आवाज द वाॅयस/नई दिल्ली
आदि शंकराचार्य की जन्मस्थली, केरल के कलाड़ी से निकला 50 बाइकर्स का एक दल—जिसमें छह महिलाएं भी शामिल हैं—उत्तर कश्मीर के नियंत्रण रेखा पर स्थित टीटवाल नामक ऐतिहासिक मिशन पर पहुंचा. यह दल उन आध्यात्मिक पदचिह्नों का अनुसरण कर रहा है, जो 1300 वर्ष पहले आदि शंकराचार्य ने कश्मीर की धरती पर छोड़े थे और जिन्होंने हिंदू धर्म के दर्शन को गहराई से प्रभावित किया.
26 रॉयल एनफील्ड बुलेट मोटरसाइकिलों पर सवार यह यात्रा, 22 अप्रैल को पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा मारे गए 26 निर्दोष भारतीय नागरिकों को श्रद्धांजलि स्वरूप समर्पित है.
डॉ. रामानंद के नेतृत्व में समूह ने 7 राज्यों की यात्रा की, जिसमें कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर भारत के अंतिम गांव तक पहुंचने के लिए लगभग 3600 किलोमीटर की दूरी तय की.
कुछ बाइकर्स एक स्थानीय सेना अधिकारी और पंडित के साथ
टीटवाल में स्थानीय ग्रामीणों ने फूलों और नारों के साथ उनका स्वागत किया. स्वागत समारोह का आयोजन शारदा बचाओ समिति के अध्यक्ष रविंदर पंडिता ने किया. केरल के बाइकर्स का स्वागत करने के लिए श्रृंगेरी के पुजारी भी मौजूद थे.
बाइकर्स के समूह ने शारदा मंदिर, टीटवाल में पूजा की, जो पीओके की नीलम घाटी में मूल प्राचीन मंदिर की प्रतिकृति के रूप में बनाया गया है. पीओके में शारदा पीठ मंदिर एक संरक्षित स्मारक घोषित होने के बावजूद खंडहर अवस्था में था.
बाइकर्स का समूह ऑपरेशन सिंदूर के बाद एलओसी पर पहुंचने वाला पहला समूह था. बाइकर्स की रैली 1 जून को कलाडी से शुरू हुई और 12 जून को शारदा मंदिर पहुंची, वार्शिक अभिषेक ने कहा.
ऑपरेशन सिंदूर के सम्मान में, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकवादी शिविरों और भर्ती केंद्रों पर हमला किया था, बाइकर्स ने 'गोली के लिए गोली' के नारे वाले बैनर ले रखे थे. शारदा मंदिर में प्रार्थना करने के बाद, उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों के लिए किशनगंगा नदी पर तर्पण किया.
टीटवाल में शारदा देवी मंदिर के सामने रविंदर पंडिता के साथ केरल के बाइकर्स
बाद में, समूह के सदस्यों ने श्रीनगर में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात की. इस अवसर पर बोलते हुए शारदा समिति के अध्यक्ष ने कहा कि पर्यटन को पुनर्जीवित करने के लिए धार्मिक और सीमा पर्यटन को बढ़ावा देना होगा. पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने कई पर्यटन स्थलों को बंद कर दिया है.
पंडिता, जिन्होंने टीटवाल में शारदा माता के लिए एक मंदिर, एक गुरुद्वारा और एक मस्जिद स्थापित करने की परियोजना शुरू की थी, वे भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ मिलकर लोगों को करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर शारदा पीठ की यात्रा करने की अनुमति देने के लिए अभियान चला रहे हैं.