Confluence of faith, message of culture: These dargahs are an example of Hindu-Muslim unity
अर्लसा खान/नई दिल्ली
भारत विविधता में एकता की मिसाल है. यहां हर धर्म, हर संस्कृति, हर परंपरा को सम्मान की भावना से देखा जाता है. इसी भावना की गूंज देशभर की दरगाहों में सुनाई देती है, जहां न सिर्फ मुस्लिम, बल्कि हिंदू श्रद्धालु भी सिर झुकाते हैं और सच्चे दिल से मन्नतें मांगते हैं. ये दरगाहें महज़ धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक हैं. आज हम बात करेंगे भारत की कुछ प्रमुख दरगाहों की, जहां आस्था, प्रेम और भाईचारा धर्म से ऊपर उठकर लोगों को जोड़ता है.
अजमेर शरीफ दरगाह (राजस्थान)
ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मजार अजमेर, राजस्थान में स्थित है. जैसा की हम सब जानते हैं कि यह दरगाह भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के सूफी श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा केंद्र है. ख्वाजा साहब को 'ग़रीब नवाज़' कहा जाता है – यानी गरीबों का सहारा. उन्होंने पूरी ज़िंदगी प्रेम, सेवा और मानवता का संदेश दिया. उनका यही संदेश उन्हें हर मज़हब के लोगों का प्रिय बना देता है.
यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या हिंदू श्रद्धालुओं की होती हैं. बॉलीवुड सितारों से लेकर आमजन तक, सब यहां चादर चढ़ाकर मन्नत मांगते हैं. दरगाह परिसर में कव्वालियों के ज़रिए सूफी संगीत गूंजता है, जो आत्मा को छू जाता है. अजमेर शरीफ दरगाह धर्मों की दीवारें गिराकर इंसानियत को जोड़ने वाली एक मिसाल है.
हजरत निज़ामुद्दीन औलिया दरगाह (दिल्ली)
फिर इस लिस्ट में नाम आता है दिल्ली के हृदय में स्थित हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का...दरअसल, यह दरगाह सूफी संत हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की मजार है. वे चिश्ती सिलसिले के महान संत थे और उन्होंने जीवनभर मोहब्बत, सादगी और सेवा का प्रचार किया. हर गुरुवार को यहां हजारों श्रद्धालु आते हैं, जिनमें हिंदू श्रद्धालुओं की भी बड़ी संख्या होती है.
दरगाह के प्रांगण में रूहानी कव्वालियों की महफ़िल सजती है, जो धर्म, जाति, भाषा की सीमाओं को मिटा देती है. ये दरगाह 'इश्क-ए-हकीकी' (ईश्वर से सच्चा प्रेम) की भावना को दर्शाती है, जो सभी धर्मों में समान है. यह दरगाह एक ऐसा स्थान है जहां आस्था और संगीत साथ-साथ चलते हैं, और हर दिल को जोड़ते हैं.
हाजी अली दरगाह (मुंबई)
मुंबई के वर्ली समुद्र के बीच स्थित यह दरगाह संत हाजी अली शाह बुखारी की मजार है. यह एक बेहद ख़ूबसूरत और शांत वातावरण वाली दरगाह है, जहां समंदर की लहरें आस्था की तट पर आकर टिकती हैं. हिंदू और मुस्लिम श्रद्धालु एकसाथ यहां प्रार्थना करते हैं.
यह दरगाह न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि वास्तुकला और संस्कृति के स्तर पर भी अद्भुत है. मुंबई आने वाले पर्यटक और भक्त इस दरगाह पर चादर चढ़ाते हैं, दीये जलाते हैं और दुआ मांगते हैं. यह स्थान एक आदर्श उदाहरण है कि इबादत किसी एक धर्म की जागीर नहीं बल्कि एक साझा अनुभूति है.
बाबा बुदन गिरी दरगाह (कर्नाटक)
कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले में स्थित यह दरगाह एक अलग पहचान रखती है. यहां सूफी संत बाबा बुदन की मजार है. खास बात यह है कि यह स्थान हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों के लिए पूजनीय है. बाबा बुदन को वहां के स्थानीय लोग "दत्तात्रेय बाबा" मानते हैं, और हिंदू लोग भी यहां पूजा करने आते हैं.
दरगाह और मंदिर एक ही परिसर में होने के कारण यहां पूजा और दुआ एकसाथ होती हैं. हर साल यहां ‘उरूस’ और हिंदू पर्व दोनों मनाए जाते हैं. यह दरगाह धार्मिक समरसता और संप्रदायिक सौहार्द की एक अनूठी मिसाल है.
दरगाहें – आस्था की एक ज़मीन
भारत की ये पवित्र दरगाहें सिर्फ धार्मिक स्थान नहीं, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता के जीवंत प्रतीक हैं. यहां लोगों को उनका धर्म नहीं, बल्कि उनका दिल देखा जाता है. इन दरगाहों की सबसे खूबसूरत बात यह है कि यहां कोई "अजनबी" नहीं होता. हर व्यक्ति एक श्रद्धालु होता है — जिसकी जुबां भले अलग हो, पर दिल में बस एक ही बात होती है: "सच्चे मन से दुआ करना".
जहां धर्मों में बंटा विश्व झगड़े में उलझा है, वहीं भारत की इन दरगाहों में हर दिन मोहब्बत, सौहार्द और भाईचारे की इबादत होती है. यह बताता है कि भारत की असली ताक़त उसकी साझा संस्कृति और समावेशी परंपरा में है.