जावेद अख़्तर/ कोलकाता
"मैं डॉक्टर नहीं बन सकी, पर मेरा बेटा ज़रूर बनेगा" — कोलकाता की एक स्कूल टीचर ने मां बनने के बाद यह संकल्प लिया था. वर्षों बाद आज वही सपना उनके बेटे सारिम हसन ने साकार कर दिखाया है. हावड़ा के टिकियापारा इलाके के रहने वाले सारिम ने NEET 2025 परीक्षा में 20675वीं रैंक हासिल कर अपने परिवार और समाज को गर्व से भर दिया है.
सारिम बीच में, साथ में नीट में कामयाब होने वाले कोचिंग के दो और छात्र
सारिम की मां, हावड़ा के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं. कभी उन्होंने भी नीट की तैयारी की थी. कोचिंग की, प्रतियोगी पत्रिकाएं पढ़ीं, मगर सफलता नहीं मिली. फिर शादी हुई, ज़िंदगी की प्राथमिकताएं बदलीं और वह एक जिम्मेदार शिक्षिका बन गईं. पर डॉक्टर बनने का सपना उन्होंने छोड़ा नहीं — बल्कि उस सपने को अपने बेटे की आंखों में उतार दिया.
सारिम के पिता फिरोज मिर्जा, एक छोटे स्तर की प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं. साथ ही शायरी में उनकी गहरी दिलचस्पी है. वे सारिम को साइकिल पर बैठाकर स्कूल ले जाते थे, चाहे बारिश हो या जलजमाव। उनका एक ही सपना था — बेटा पढ़े, आगे बढ़े और समाज में कुछ बड़ा करे.
सारिम की शुरुआती शिक्षा सेंट लुइस स्कूल से हुई. फिर उन्होंने ‘पाथफाइंडर’ और ‘Physics Wallah’ जैसे संस्थानों से नीट की कोचिंग ली. अंततः उन्हें सर सैयद अहमद कॉम्पिटिटिव स्टडी सेंटर जैसे नवस्थापित कोचिंग संस्थान में बेहतर मार्गदर्शन मिला. यही वह संस्थान है जहां से उन्होंने अपना सपना संजोया और पूरा किया.
सारिम बताते हैं, "मैंने रोज़ाना के घंटे नहीं गिने, लेकिन लक्ष्य हमेशा स्पष्ट था. मैंने करीब 50,000 से अधिक प्रश्नों का अभ्यास किया. पढ़ाई का मूल मंत्र था — समझकर पढ़ना, सतत पढ़ना और सच्ची नीयत से पढ़ना."
उनका मानना है कि आज के समय में केवल सेल्फ स्टडी काफी नहीं है. मार्केट के ट्रेंड को समझने के लिए सही मार्गदर्शन और कोचिंग दोनों जरूरी हैं.‘सर सैयद अहमद कॉम्पिटिटिव स्टडी सेंटर’ के लिए भी यह एक ऐतिहासिक क्षण रहा.
जब संस्थान ने केवल 10 छात्रों के साथ कोचिंग शुरू की थी, तब किसी को उम्मीद नहीं थी कि इतना जल्दी कोई छात्र NEET क्रैक करेगा. सारिम की सफलता ने इस छोटे से संस्थान को नई पहचान और ऊर्जा दी है.
सारिम की मां आज बेहद भावुक हैं. उन्होंने कहा, “मैं डॉक्टर नहीं बन सकी, लेकिन अपने बेटे को डॉक्टर बनते देखना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. यह सपना अब मेरा नहीं, हमारी पूरी पीढ़ी का सपना है.”
कांचिग में सम्मानित किए गए नीट में कामयाबी हासिल करने वाले छात्र
इस प्रेरणादायक कहानी से यह सिद्ध होता है कि परिस्थितियाँ चाहे कैसी भी हों — अगर इरादे मज़बूत हों, मार्गदर्शन सही हो और परिवार का साथ मिले, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता.