तौसीफ रहमानः कोलकाता की अलीमुद्दीन स्ट्रीट की दुर्गा पूजा के हीरो

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 04-10-2022
तौसीफ रहमानः कोलकाता की अलीमुद्दीन स्ट्रीट की दुर्गा पूजा के हीरो
तौसीफ रहमानः कोलकाता की अलीमुद्दीन स्ट्रीट की दुर्गा पूजा के हीरो

 

जावेद खान / कोलकाता

‘‘अल्पसंख्यक की ‘परिभाषा’ मुस्लिम नहीं है, न ही इसका मतलब यह है कि संख्या में जो छोटा हो, वह अल्पसंख्यक है. यही कारण है कि जब सेन परिवार ने क्षेत्र में अपनी पारंपरिक दुर्गा पूजा की कमी महसूस की और इसे लोगों के बीच व्यक्त किया.तो उस कमी को दूर करना मेरी जिम्मेदारी थी.

इस परिवार को खुशियां मनाने का मौका देने के साथ-साथ इसका हिस्सा बनने का भी मौका मिला.’’ अपने बंगाली पड़ोसियों ‘सेन परिवार’ के लिए दुर्गा पूजा का आयोजन करने वाले कोलकाता के एक युवक मोहम्मद तौसीफ रहमान के ये शब्द हैं.

दरअसल यह कहानी है रोशनी में डूबे कोलकाता शहर की, जहां दुर्गा पूजा का पारंपरिक वैभव शहर को चार चांद लगा देता है. लेकिन इस चमक के पीछे इस शहर की एक और खूबी है, जो एक दूसरे के लिए जीने वाले नागरिकों की वजह से है. खुश हो या उदास - कभी भी अकेला महसूस नहीं करेंगे, क्योंकि सब साथ हैं - इसका एक उदाहरण हैं मुहम्मद तौसीफ रहमान.

मुहम्मद तौसीफ रहमान यानी अलीमुद्दीन स्ट्रीट का एक युवक, जिन्होंने क्षेत्र में रहने वाले एकमात्र बंगाली सेन परिवार की भावनाओं और इच्छाओं का सम्मान किया और दुर्गा पूजा की परंपरा को बहाल किया, जो अधिकांश बंगाली परिवारों के अन्य स्थानों पर प्रवास के कारण टूट गई थी.

अब वह न केवल वर्तमान स्थिति में है, बल्कि देश में धार्मिक सहिष्णुता का प्रतीक है और दुनिया के लिए एक उदाहरण भी है.

अलीमुद्दीन स्ट्रीट का नाम आते ही सभी के जेहन में कम्युनिस्ट युग की याद ताजा हो जाती है, क्योंकि सीपीएम का मुख्यालययहीं स्थित है, जिसे कम्युनिस्ट रोड कहते हैं.

अब यह  दुर्गा पूजा स्थल एक ऐसे स्थल के लिए दुनिया भर में ध्यान का केंद्र बन गया है, जो मुसलमानों द्वारा आयोजित किया जाता है. पंडाल तैयार करने से लेकर दुर्गा प्रतिमा की खरीद-फरोख्त तक सभी जिम्मेदारियां मुस्लिम ही निभाते हैं और सेन परिवार और उनके रिश्तेदार पूजा के लिए आते हैं.

अलीमुद्दीन गली में स्थित इस दुर्गा पूजा पंडाल के मुख्य पात्र मुहम्मद तौसीफ रहमान हैं, जिनके अनुसार यह न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि समय की मांग भी है.

अगर मेरे नेक काम से किसी मुसलमान को इज्जत मिलती है, तो उनका मकसद पूरा हो जाएगा. हमें ऐसी गतिविधियों के लिए आगे आना चाहिए, जिससे दूरियां और गलतफहमियां दूर हों और नजदीकियां पैदा हों.

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दुर्गा पूजा स्थल पर मोहम्मद तसीफ रहमान


इस दुर्गा पूजा के आयोजन के बारे में तौसीफ रहमान कहते हैं कि इस क्षेत्र में कभी कई बंगाली परिवार रहते थे. समय के साथ, सभी धीरे-धीरे दूसरे क्षेत्रों में चले गए, जिससे क्षेत्र में आयोजित होने वाली दुर्गा पूजा को रोक दिया गया. जबकि इलाके में एकमात्र बंगाली परिवार सेन का था.

उन्होंने तौसीफ रहमान को यह दर्द बताया कि अकेले रहने के कारण दुर्गा पूजा का आयोजन नहीं हो पा रहा है. इस पर तौसीफ रहमान ने अपने कुछ दोस्तों से सलाह मशविरा कर फैसला किया कि जो सिलसिला रुका है, उसे फिर से शुरू किया जाएगा.

तौसीफ रहमान ने आवाज-द वॉयस को बताया कि हम इस पहल के लिए आगे आए और अपने दम पर दुर्गा पूजा का आयोजन शुरू किया. जिसके लिए क्षेत्र में किसी से कोई चंदा नहीं लिया. एक समय था जब प्रायोजन की कोई अवधारणा नहीं थी, अब बहुत कुछ बदल गया है लेकिन इसने भावना को प्रभावित नहीं किया है.

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यह दुर्गा पूजा स्थल बहु-धार्मिक आगंतुकों के लिए भी एक केंद्र बन गया


दुर्गा पूजा कोलकाता में प्रसिद्ध है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हर क्षेत्र में पूजा के आयोजन में हिंदू और मुसलमान कंधे से कंधा मिलाकर रह रहे हैं. लेकिन यह बिल्कुल अलग उदाहरण है कि एक मुसलमान ने एक बंगाली परिवार के लिए हर साल दुर्गा पूजा आयोजित करने का संकल्प लिया है.

तौसीफ रहमान का कहना है कि यही हमारे देश की संस्कृति है, यही इसकी ताकत है. जो पूरी दुनिया में मिसाल बन चुका है.

एक सवाल के जवाब में तसीफ रहमान ने कहा कि यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन क्या सोचता है, आपका क्या विचार है, इसका अर्थ क्या है. अगर मैं एक मुस्लिम के रूप में दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहा हूं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि मेरी आस्था या धर्म खतरे में है.

अगर एक सर्कल में किया जाए, तो सब कुछ संभव है. हमने इसके बारे में कभी नहीं सोचा. मैंने सेन परिवार से कहा कि हम सब आपके साथ हैं. पंडाल से लेकर मूर्ति और पंडित तक की जिम्मेदारी हमारी है. आप लोग पूजा-पाठ करते समय ही उपस्थित रहें.

तौसीफ रहमान के मुताबिक, कोलकाता या बंगाल में सांप्रदायिक सद्भाव कोई नई बात नहीं है. इस देश में हमेशा शांति रही है और शहर में हर साल दुर्गा पूजा के दौरान हर कोई एक दूसरे के साथ सद्भाव से रहता है. हर पंडाल में मुस्लिम महिलाओं की भीड़ दिखाई देती है. यह हमारी खूबसूरती है, जो पूरे देश के लिए एक मिसाल है.