पुणेः भगवान विट्ठल पालकी शुरू, रिजवानी मस्जिद कर रही सेवा

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 24-06-2022
पुणेः भगवान विट्ठल पालकी शुरू, रिजवानी मस्जिद कर रही सेवा
पुणेः भगवान विट्ठल पालकी शुरू, रिजवानी मस्जिद कर रही सेवा

 

शाहताज बेगम खान / पुणे

भगवान विट्ठल की पालकी के साथ लाखों वारकरी पुणे पहुंच चुके हैं. पिछले दो वर्ष कोरोना संक्रमण काल के कारण यह विशाल यात्रा अपने मूल रूप में नहीं निकल पा रही थी, लेकिन इस बार 20 जून से भगवान विट्ठल के भक्त पंढरपुर के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू कर चुके हैं. देहु संस्थान से संत तुकाराम की पालकी के साथ वारकरियों ने 20 जून को अपनी यात्रा शुरू की, तो संत ज्ञानेश्वर की पालकी ने आलंदी से 21 जून को पंढरपुर के लिए अपनी पैदल यात्रा शुरू की.

पूरे जोश और हर्षो-उल्लास के साथ वारकरियों का पुणे में स्वागत किया गया और बड़ी संख्या में लोग पालकी यात्रियों की सेवा में समर्पित नजर आए. अवेस अंसारी ने भी अपनी संस्था ‘वर्क’ की टीम के साथ मुफ्त आरोगय शिविर आयोजित किया है, जिसमें 500 से अधिक लोगों का उपचार किया गया साथ ही उन्हें मुफ्त दवाएं भी उपलब्ध कराई गईं.

इसके अलावा गंजपेठ की रिजवानी मस्जिद की जानिब से वारियों का स्वागत किया गया और उनके लिए भोजन का भी प्रबंध किया गया.

प्रेम, भाईचारा और सौहार्द

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पुणे के गंजपैठ इलाके में आज पूरा दिन एक अलग ही माहौल था. पुणे पहुंचने वाले वारी अतिथियों का स्वागत गुलाब के फूलों से किया जा रहा था और उनके लिए भोजन के प्रबंध में जुटे मुस्लिम भाई बंधु इस बात का खयाल रख रहे थे कि किसी की प्लेट खाली न हो.

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खाने के बाद शीर खुरमा और बूंदी का स्वाद लेते हुए हर वारी अपने मुस्लिम भाइयों को दुआएं और आशीर्वाद दे रहा था. अंजुम शेख, उस्मान अरब, नईम शेख और मतीन मुजावर अपने विद्यार्थियों की पूरी टीम के साथ अतिथियों की आव-भगत में लगे हुए थे.

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मतीन मुजावर ने इस विशाल दावत के संबंध में कहा कि रिजवानी मस्जिद और गंजपेठ के बहुत से लोग हर वर्ष इसी प्रकार से वारियों का स्वागत करते हैं.

चिकित्सा परामर्श शिविर

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लबा सफर है, वो भी लगातार पैदल चलते जाना है. ऐसे में हाथ-पैरों में दर्द, पेट दर्द, गैस इत्यादि समस्याएं अकसर वारियों को परेशान करती हैं. लोगों को होने वाली इन परेशानियों को हल करने के लिए अवेस अंसारी ने अपनी ‘वर्क’ टीम के साथ मिलकर, संत गाडगे महाराज धर्मशाला में एक चिकित्सा परामर्श शिविर लगाया.

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सोमवरपैठ में लगाए गए इस मेडिकल शिविर में डॉक्टर आसिफ शेख वारियों का चेकअप कर रहे हैं और उन्हें ‘स्वास्थ्य का कैसे ध्यान रखें’ के संबंध मे उचित जानकारी दे रहे हैं. इसी शिविर में डॉक्टर निसार ने आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली द्वारा वारियों का इलाज किया. शिविर में डॉक्टरी सलाह और दवाएं पूरी तरह मुफ्त उपलब्ध कराई गई थीं. मोहम्मद अनवर, इरफान खटीक और उनकी पूरी टीम सुबह से शाम तक वारियों की मेडिकल समस्याओं का समाधान करते रहे और हर वारी सेवा में लगे अपने मुस्लिम भाइयों को ढ़ेरों दुआएं देते रहे.

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शाम होते ही सभी वारी विश्राम गृह की ओर बढ़ जाते हैं, क्योंकि अगले दिन सुबह सवेरे ही उन्हें पंढरपुर की तरफ अपनी पैदल यात्रा शुरू करनी होती है.

दक्षिण का काशी है पंढरपुर

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महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में भीमा नदी के तट पर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल पंढरपुर स्थित है। पंढरपुर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है. आषाढ़ मास में इस स्थान का महत्त्व अत्यधिक बढ़ जाता है. श्रद्धालु पताका/डिंडी लेकर यहां भगवान विट्ठल के दर्शन के लिए पैदल पहुंचते हैं.

250 किलोमीटर की यह यात्रा 21 दिन में आषाढ़ी एकादशी के दिन पूर्ण होती है. वारी हर रोज सुबह सवेरे यात्रा शुरू करते हैं और सूर्य अस्त के साथ ही वह विश्राम के लिए रुक जाते हैं.

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20 जून से शुरू हुई यह यात्रा 12 जुलाई को पंढरपुर पहुंच कर भगवान विट्ठल की पूजा के साथ संपन होगी. 21 दिन तक चलने वाले इस त्यौहार की महाराष्ट्र में अलग ही छटा और धूम होती है.

भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम

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पुणे में दो दिन वारी विश्राम करते हैं. इस दौरान भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं. 21 दिन तक चलने वाला यह त्यौहार आपसी भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश करता है. 250 किलोमीटर लंबी यात्रा पर निकले इन भक्तों के स्वागत सत्कार में हिंदू-मुस्लिम सभी व्यस्त नजर आते हैं.

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पंढरपुर पहुंचने वाले लाखों वारियों का स्वागत सत्कार पूरे रास्ते इसी तरह किया जाता है. दो साल बाद भक्त और भगवान का अद्भुत संगम अपने पुराने रंग में रंगा नजर आ रहा है.