रईश के पोशाक से यहां सजते हैं कान्हा

Story by  शाहनवाज़ आलम | Published by  [email protected] | Date 29-08-2021
रईश के पोशाक से यहां सजते  हैं  कान्हा
रईश के पोशाक से यहां सजते हैं कान्हा

 

शाहनवाज आलम / धनबाद
 
एक तरफ देश में कुछ अमन के दुश्‍मन हिंदू-मुस्लिम के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं झारखंड के शहर धनबाद के मनईटांड़ निवासी मोहम्मद रईस हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल पेश कर रहे हैं. पेशे से दर्जी मोहम्मद रईस बीते 10 वर्षों से श्रीकृष्ण के पोशाक तैयार करते हैं. धनबाद से लेकर झारखंड की राजधानी रांची और कोलकाता तक अपने यहां तैयार पोशाक भेजते हैं.
 
पोशाक तैयार करने में संजीदगी और अदब का खास ख्‍याल रखते हैं, ताकि किसी की आस्था को ठेस नहीं पहुंचे.रईस का दावा है कि वर्ष 2010 में उन्‍होंने अपने एक पड़ोसी के लिए पहली बार ठाकुर जी की पोशाक तैयार की थी.
 
इसके साथ उनके काम को बहुत पसंद किया गया. रेलवे रोड के मंदिर से पहला ऑर्डर मिला. इसके बाद यह सिलसिला बढ़ता चला गया. आज उनके साथ आठ और लोग बतौर कारीगर काम करते हैं. सभी भगवान के पोशाक तैयार करते हैं.
 
बकौल रईस, जन्‍माष्‍टमी के लिए करीब एक महीने पहले से ऑर्डर आना शुरू हो जाते हंै. इसमें हर साइज के ऑर्डर होते हं. इस साल करीब 200 ऑर्डर मिले थे और सभी तैयार कर डिलीवर किया जा चुका है. इसके अलावा मुकुट, गले का हार, बगल बंद भी तैयार करते हैं.
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रईस ने बताया कि वह अधिकांश समय अब देवी-देवताओं के पोशाक तैयार करते हैं. यह इनके रोजी रोटी का मुख्य साधन बन गया है. जन्‍माष्‍टमी के बाद दुर्गा पूजा की तैयारी शुरू हो जाएगी. माता दुर्गा के नौ दिनों के नौ रूपों की पूजा के लिए भी वह विशेष रूप से पोशाक तैयार करते हैं.
 
उनका कहना है कि बंगाल से सटे होने के कारण यहां दुर्गापूजा बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. कई जगहों पर विशेष पंडाल तैयार किए जाते हैं. इलाके का पुराना कारीगर होने की वजह से हर साल भारी संख्या में ऑर्डर मिलते हैं.