असमः नामघर बनाने के लिए खलीलुर्रहमान हजारिका ने गाढ़ी कमाई से खरीदी जमीन दान में दी

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 14-12-2022
खलीलुर्रहमान हजारिका ने गाढ़ी कमाई से खरीदी जमीन दान में दी
खलीलुर्रहमान हजारिका ने गाढ़ी कमाई से खरीदी जमीन दान में दी

 

अरिफुल इस्लाम/गुवाहाटी

असम हमेशा हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे के मामले में एक अलग स्थान रखता रहा है. वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव और सूफी संत अजान फकीर की भूमि के रूप में जाने जाने वाले इस राज्य में हिंदू-मुस्लिम सद्भाव के कई उदाहरण हैं. ऐसे कई उदाहरणों में पूर्वी असम के शिवसागर जिले के एक खलीलुर्रहमान हजारिका ने नामघर के निर्माण के लिए अपनी मेहनत की कमाई से खरीदी गई जमीन का एक टुकड़ा दान किया है.

नामघर का शाब्दिक रूप से प्रार्थना घर पूरे असमिया समुदाय और विशेष रूप से असम के मूल निवासी हिंदू धर्म के एकसरन (एक ईश्वर) संप्रदाय से जुड़ी सामूहिक पूजा के लिए स्थान है. नामघरों में मूर्ति पूजा नहीं होती है. वैष्णव, भगवान कृष्ण के भक्त, प्रार्थना करने और पवित्र पुस्तकों से छंद पढ़ने के लिए नियमित रूप से नामघरों में इकट्ठा होते हैं.

पत्रकार और शिवसागर प्रेस क्लब के सचिव खलीलुर रहमान हजारिका ने शिवसागर जिले के मेटका सेज नगर इलाके में नामघाट के निर्माण के लिए लगभग एक कट्ठा भूमि दान की है. उसने दान की गई जमीन करीब दस साल पहले खरीदी थी. हजारिका अपने परिवार सहित पिछले 30सालों से मेटका सेज नगर में रह रहे हैं.

“भले ही मेरे इलाके में नमाज़ अदा करने के लिए एक मस्जिद है, लेकिन मैं हमेशा मेटका सेज नगर में नामघर के न होने को देखकर परेशान रहता था. सेज नगर के कुछ निवासियों ने मुझसे संपर्क किया और नामघर के निर्माण के लिए मेरी 15लेसा भूमि खरीदने का प्रस्ताव दिया.

मैं तुरंत सहमत हो गया और अपनी जमीन का 1कट्ठा दान करने का फैसला किया क्योंकि नामघर के निर्माण के लिए 15लेसा कम होगा. निवासी मुझे जमीन के भूखंड के लिए भुगतान करने के लिए तैयार थे.

लेकिन मैंने उनसे पैसे लेने से मना कर दिया. हमारे बीच एकता, भाईचारा और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पैसे से ज्यादा जरूरी है. यहां हम बचपन से ही अलग-अलग जातीय समूहों के साथ मिलजुल कर रहते आए हैं. हम एक दूसरे को सिर्फ इंसान के तौर पर जानते हैं. हजारिका ने कहा, हमने विभिन्न गतिविधियों में एक-दूसरे की मदद करते देखा है.

हजारिका खुश हैं कि हिंदुओं और मुसलमानों दोनों ने उनकी पहल की सराहना की है. वह एक प्रमुख असमिया समाचार पत्र अमर आसम के कर्मचारी संवाददाता हैं.

वह विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में शामिल है. वे शिवसागर जिला श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी हैं. उन्हें हाल ही में वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन के एक केंद्रीय सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया था.

उल्लेखनीय है कि शिवसागर जिले का 100साल पुराना बरनमघर खलीलुर रहमान हजारिका के दादा द्वारा दान की गई 2बीघा जमीन पर बनाया गया था. मेटका सेज नगर में नए नामघर का निर्माण शुरू कर दिया गया है और इसके 2023तक पूरा होने की उम्मीद है.