बकरीद का बकरा ऑनलाइन, वह भी किस्तों पर

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] • 2 Years ago
बकरा ऑनलाइन
बकरा ऑनलाइन

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

बकरीद की कुर्बानियों को लेकर भले ही कई तरह की बातें चल रही हों, पर बकरे की मंडियां सज चुकी हैं. कोरोना महामारी ने हाटों में बकरे बिकने पर भले ही रोक लगा दी हो, या उस मंडी में मंदी हो. पर, बकरे ऑनलाइन उपलब्ध हैं.

इस बार बकरे सोशल मीडिया पर भी बेचे जा रहे हैं. इसके लिए विक्रेताओं ने व्हाट्सऐप ग्रुप तक बना लिए गए हैं तो कई बकरे की पसंद करने के लिए मंडी के दुकानदारों को वीडियो कॉल कर रहे हैं.

बाबूद्दीन पटना के फुलवारी शरीफ में रहते हैं. बाबूद्दीन के मुताबिक, “बकरीद में बकरे की कुर्बानी की परंपरा कोरोना काल में भी निभानी है और कोरोना से लड़ाई भी जीतनी है. ऐसे में इस साल ऑनलाइन बकरे की तलाश की जा रही है.”

बाबूद्दीन के मुताबिक, “शहर तो शहर, ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी सोशल साइटों के जरिए बकरे बेच रहे हैं.” ऐसे में, बकरों की तस्वीरें व्हॉट्सऐप के जरिए मंगाकर देखी-दिखाई जा रही हैं. जाहिर है, उन्हीं बकरों में से कुछ शाहरुख, सलमान, आमिर और सैफ अल्लाह को प्यारे होने वाले हैं.

फुलवारी शरीफ ही क्यों, बिहार में मुजफ्फरपुर में भी बकरे की खरीददारी ऑनलाइन चल रही है. मुजफ्फरपुर जेल चौक के रहने वाले मोहम्मद आफताब कहते हैं, "कोरोना को लेकर विक्रेता और खरीदार दोनों सतर्कता बरत रहे हैं. जो विक्रेता बकरा लेकर मंडियों में जाने में असमर्थ है वह अपने जान-पहचान वालों से संपर्क करके वीडियो कॉल या व्हाट्सऐप से बकरे दिखा रहे है, जिसे पसंद हो रहा है, वह ऑनलाइन राशि का भुगतान भी कर रहे हैं. कुछ तो ईएमआई का विकल्प भी दे रहे हैं."

कई लोग तो बकरे को पसंद कर बकरीद के दो दिन पहले तक विक्रेता को ही पालने की गुजारिश कर रहे हैं, जिसके लिए पैसा भी भुगतान कर रहे हैं.

इस ऑनलाइन कारोबार में अलग नस्लों की बकरों की कीमतें भी अलग हैं. हालांकि, महंगाई का असर अगर बकरे पकाने के तेल और ईंधन पर है, तो बकरों पर भी होगा ही. बकरों की कीमतें वैसे भी हर साल बकरीद के मौके पर उछलती है, पर इस बार कीमतों में लगी आग की लपटे कुछ ज्यादा ही ऊंची हैं.

ऑनलाइन बिक रहे बकरे


पटना के जगदेवपथ स्थित बकरी बाजार में आठ हजार से लेकर 75से 80हजार तक के बकरे बिक रहे हैं. लोग कहते हैं कि इस साल बकरों की कीमतों पर भी महंगाई का असर दिख रहा है.

व्यापारी भी कहते हैं, "इस साल बकरों को यहां मंडियों में लाने के लिए अधिक भाड़ा खर्च करना पड़ा है. आखिर हमलोग तो बकरे की कीमतों में ही खर्चे को जोड़कर दाम रखेंगे."

बिहार ही नहीं, उत्तर प्रदेश में भी यही चलन इस बार जोरों पर है. उत्तर प्रदेश में भी कोरोना काल में बकरीद का कायदा और रिवाज दोनों बदला हुआ-सा दिख रहा है. मेरठ की 40 साल पुरानी बकरा पैठ पर इसका असर पड़ा है.

विकल्प और जेब का संतुलनः ऑनलाइन बकरों की रेंज उपलब्ध है


गौरतलब है कि पिछले साल भी मेरठ में बकरा पैठ नहीं लगी थी और बकरीद पर लोगों ने गुपचुप तरीके से बकरे कुर्बानी के लिए खरीदे थे. पर इस बार, वक्त ने लोगों को बहुत कुछ सिखा दिया है. इंटरनेट और वाटसएप के युग में अब बकरा भी आनलाइन बिक रहा है.

इस बार मेरठ में बकरा सबसे सस्ता 10 से 11 हजार रुपए के बीच बिक रहा है, जबकि पिछले साल यह 7,000 से 8,000 रुपए के बीच बिका था. हालांकि, यह तो न्यूनतम कीमत है. अधिकतम कीमत का बकरा 1,00,000 रुपए तक का है.

लेकिन सिर्फ व्हॉट्सऐप ही नहीं, बाकायदा वेबसाइट के जरिए भी बकरे ऑनलाइन उपलब्ध हैं. हालांकि ऐसे कई वेबसाइट हैं पर पशुबाजार डॉट कॉम इनमें अग्रणी है. इस वेबसाइट में कई सारी नस्लों के बकरे उपलब्ध हैं, जिनमें जमनापारी, बरबरी, बीतल, सिरोही जैसी नस्लें उपलब्ध हैं.

बकरों से जुड़ी सारी जानकारी उपलब्ध है और पसंद न आने पर वापस करने का भी विकल्प है


 

वेबसाइट पर बारीक ब्योरे भी दिए गए हैं. मिसाल के तौर पर, 30,000 रुपए का एक ब्लैक बंगाल नस्ल का बकरा है, जिसका वजन 75 किलोग्राम है और जिसके छह दांत हैं. इस ब्योरे में बकरे का रंग, उसकी उम्र और बाकी चीजें भी दर्ज होती हैं.

हालांकि, इस वेबसाइट की सुविधाएं अभी तक लखनऊ और कानपुर में ही उपलब्ध हैं, लेकिन महामारी के दौर में तकनीक ने लोगों को बिना कोरोना प्रोटोकॉल तोड़े अपनी परंपरा निभाने का एक रास्ता बता दिया है.