श्री कृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह केस: मुस्लिम पक्ष की आपत्तियां खारिज, 18 केसों में होगी सुनवाई, हिंदू पक्ष ने मांगे ‘वक्फ’ के सबूत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-08-2024
Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah case
Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah case

 

आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली-प्रयागराज

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए, शाही ईदगाह मस्जिद की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है. यह याचिका आदेश 7 नियम 11 सीपीसी के तहत दायर की गई थी, जिसमें मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संदर्भ में देवता और हिंदू उपासकों द्वारा लाए गए 18 मुकदमों की स्थिरता को चुनौती दी गई थी.

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए निर्धारित किया कि सभी 18 मुकदमे विचारणीय हैं. इसके साथ ही, अदालत ने इन मुकदमों की योग्यता के आधार पर सुनवाई का रास्ता साफ कर दिया है. यह निर्णय एकल न्यायाधीश द्वारा 6 जून को शाही ईदगाह मस्जिद समिति की याचिका पर सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा गया था.

फैसला सुनाते हुए, न्यायालय ने कहा कि हिंदू उपासकों और देवता द्वारा दायर किए गए मुकदमे सीमा अधिनियम या पूजा स्थल अधिनियम, अन्य कानूनों के तहत वर्जित नहीं हैं. इस फैसले में प्रबंध समिति शाही मस्जिद ईदगाह (मथुरा) की प्राथमिक दलील को खारिज कर दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि लंबित मुकदमे पूजा स्थल अधिनियम 1991, सीमा अधिनियम 1963 और विशिष्ट राहत अधिनियम 1963 के तहत वर्जित हैं.

इसके विपरीत, हिंदू पक्ष ने तर्क दिया कि शाही ईदगाह के नाम पर कोई संपत्ति सरकारी रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है और उन्होंने उस पक्ष पर ‘अवैध कब्जा करने’ का आरोप लगाया. हिंदू पक्ष का कहना है कि यदि संपत्ति वक्फ होने का दावा किया गया है, तो वक्फ बोर्ड को विवादित संपत्ति के दाता का खुलासा करना चाहिए कि किस व्यक्ति या संस्था ने यह भूमि वक्फ की थी. उसके साक्ष्य या प्रमाणपत्र प्रस्तुत करे. इसके अलावा, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि पूजा स्थल अधिनियम, सीमा अधिनियम और वक्फ अधिनियम इस मामले पर लागू नहीं होते हैं.

हिंदू पक्ष का दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण एक अवैध कब्जे के तहत हुआ है और यह संपत्ति वास्तव में श्री कृष्ण जन्मभूमि की है. उन्होंने यह भी कहा कि यह विवाद केवल संपत्ति के स्वामित्व को लेकर है और धार्मिक पहलुओं को इसमें नहीं शामिल किया जाना चाहिए.

उच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद, अब मथुरा स्थित कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के सभी 18 मुकदमों की सुनवाई होगी. यह सुनवाई इस विवाद के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि इससे यह निर्धारित होगा कि किसका स्वामित्व और अधिकार इस विवादित भूमि पर है.

हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला केवल कानूनी और तथ्यात्मक आधार पर लिया गया है. सभी पक्षों को न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए और संवैधानिक विधि का पालन करना चाहिए.

इस प्रकार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय का यह निर्णय न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और धार्मिक समरसता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. अदालत के इस फैसले के बाद, अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आगामी कानूनी प्रक्रियाएं किस दिशा में जाती हैं.

 

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