नई दिल्ली. पैनोरमा म्यूजिक को सरोद के महान गुरु उस्ताद अमजद अली खान के खजाने से दुर्लभ रागों का एक चुनिंदा संग्रह पेश करने पर गर्व है. 9 अक्टूबर को दिग्गज के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर, संगीत लेबल ने उस्ताद द्वारा इस अवसर के लिए रिकॉर्ड किए गए और आत्मसात किए गए सुनहरे चयन को जारी किया.
एल्बम के लिए चुने गए रागों को उस्ताद ने पहले कभी सार्वजनिक रूप से प्रस्तुत नहीं किया. इन्हें विशेष रूप से उन संगीत प्रेमियों के लिए चुना गया है, जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत की सैद्धांतिक पुस्तकों में इनके बारे में सुना या पढ़ा होगा, लेकिन उन्हें सुनने का अवसर नहीं मिला होगा.
यह एल्बम महामारी के बाद आयोजित एक विशेष स्टूडियो रिकॉर्डिंग में रागों की मास्टर द्वारा की गई प्रस्तुति पेश करता है. हरि कौंस से लेकर हुसैनी तोड़ी और लक्ष्मी तोड़ी से लेकर प्राचीन खमाज तक, कुल 12 रागों वाला यह एल्बम शास्त्रीय संगीत प्रेमियों के लिए एक बेहतरीन तोहफा साबित होने का वादा करता है.
दिग्गज उस्ताद ने कहा, ‘‘लॉकडाउन ने मुझे अपने संगीत के साथ एक गहरा जुड़ाव बनाने का मौका दिया. बिना किसी विकर्षण और बिना किसी यात्रा के, मैं संगीत के साथ बहुत अधिक गहन तरीके से ध्यान लगाने में सक्षम था. मैं सीखने के वर्षों को फिर से देखने और उन दुर्लभ रागों के बारे में सोचने में सक्षम था जो अब केवल सैद्धांतिक पुस्तकों में ही अपना स्थान पाते हैं और संगीत जगत से कुछ हद तक गायब हो गए हैं. सरोद के साथ जीवन भर रहने के बावजूद, मैंने कई नए रास्ते खुलते देखे, क्योंकि मैं पहले से कहीं अधिक सचेत था और इस दौरान खुद को फिर से तलाशने की कोशिश कर रहा था.’’
पैनोरमा म्यूजिक के सीईओ राजेश मेनन कहते हैं, ‘‘संगीत प्रेमियों के लिए, यह एल्बम महान उस्ताद को ऐसे रागों को प्रस्तुत करते हुए सुनने का पहला अवसर प्रदान करता है, जिन्हें शायद पहले कभी नहीं सुना गया हो. यह किंवदंती की बिल्कुल नई रिकॉर्डिंग भी है, जिसमें रागों की छोटी प्रस्तुतियाँ हैं, जिन्हें उन्होंने सार्वजनिक रूप से कभी नहीं प्रस्तुत किया है. इस अर्थ में, यह एल्बम एक संग्रहकर्ता का सपना है.’’
उस्ताद अमजद अली खान के अनुसार, कलाकार संगीत को अपनी संपत्ति के रूप में इकट्ठा करते हैं. यह वही है, जो वे अपनी भावी पीढ़ियों को अपनी विरासत के रूप में सौंपते हैं. वह लोगों और पर्यावरण के लिए संगीत की चिकित्सीय शक्तियों में विश्वास करते हैं और यह भी मानते हैं कि शास्त्रीय संगीत हर चरण में खुद को फिर से प्रकट करता है, जो संगीत के विशाल महासागर का आधार बना हुआ है. नवीनतम एल्बम ‘इनिमीटेबल’ में, किंवदंती को उनके बेहतरीन रूप में देखा जा सकता है, जो कला के रूप और उनके वाद्ययंत्र पर दशकों की महारत को दर्शाता है और इसे अपने ज्ञान के विशाल भंडार के साथ एकीकृत करके दुनिया भर में अपने प्रशंसकों तक यह शानदार पेशकश पहुँचाता है.
उस्ताद उस्ताद अमजद अली खान कहते हैं, ‘‘भारतीय शास्त्रीय संगीत का एक अद्भुत और अनोखा रहस्य यह है कि ज्ञान और पूर्णता प्राप्त करने की कोशिश में कोई जीवन भर लगा सकता है और फिर भी उसे लगता है कि उसने सागर की एक बूँद को ही छुआ है. एक पुरानी कहावत है कि स्वर ही ईश्वर है. हर संस्कृति में, संगीत की जड़ें आध्यात्मिकता में हैं. संगीत हमेशा से ईश्वर की पूजा का एक आंतरिक हिस्सा रहा है.’’
यह एल्बम आपको निश्चित रूप से एक ऐसी यात्रा पर ले जाएगा जो मन की सीमाओं को पार कर जाएगी, आपको भीतर की शक्ति को महसूस करने के लिए अंदर ले जाएगी.
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