Power of education has made Kerala a leading state in human development parameters: President Murmu
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बृहस्पतिवार को कहा कि साक्षरता, शिक्षा और ज्ञान की शक्ति की वजह से केरल कई मानव विकास मापदंडों के आधार पर अग्रणी राज्यों में शामिल हुआ है।
वह यहां सेंट थॉमस कॉलेज, पाला के कौस्तुभ जयंती समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि महान संत, समाज सुधारक और कवि श्री नारायण गुरु के अनुसार शिक्षा के माध्यम से ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘जिस क्षेत्र में शिक्षा का अभाव है, वह अंधकारमय क्षेत्र बना रह सकता है। शिक्षा का प्रकाश व्यक्तिगत और सामूहिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त करता है।’’
राष्ट्रपति ने ‘‘शिक्षा का प्रकाश फैलाने’’ में कॉलेज के प्रयासों की सराहना की।
देश की प्रथम नागरिक ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में उनके पूर्ववर्ती के.आर. नारायणन का जन्म कोट्टायम के एक छोटे से गांव में हुआ था और साधारण पृष्ठभूमि से देश के सर्वोच्च पद तक की उनकी यात्रा ‘‘असाधारण क्षमता और भारत की लोकतांत्रिक भावना को दर्शाती है।’’
उन्होंने कहा कि नारायणन का जीवन हमें प्रेरित करता है और हमें याद दिलाता है कि हम अपने साथी मनुष्यों के लिए सबसे बड़ी सेवा यह कर सकते हैं कि उन्हें उनकी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने में मदद करें।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षा विकास और वृद्धि के अवसरों की खोज की कुंजी है।
उन्होंने कहा, ‘‘21वीं सदी को ‘ज्ञान की सदी’ कहा जाता है। नवाचार को बढ़ावा देने वाला ज्ञान समाज को आगे बढ़ाता है और उसे आत्मनिर्भर बनाता है। साक्षरता, शिक्षा और ज्ञान की शक्ति ने केरल को मानव विकास के कई मानकों पर अग्रणी राज्यों में शामिल किया है।’’
राष्ट्रपति ने कोट्टायम में हुए सामाजिक और शैक्षिक परिवर्तनों के ‘‘गौरवशाली अध्यायों’’ की भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘‘अस्पृश्यता उन्मूलन के लिए महान आंदोलन, जिसे ‘वैकोम सत्याग्रह’ के नाम से जाना जाता है, सौ साल पहले कोट्टायम में हुआ था। कोट्टायम को ‘अक्षर-नगरी’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि यह साक्षरता और शिक्षा का अलख जगाने वाला रहा है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘केरल में पहला मुद्रणालय, तथा भारत में सबसे पहले स्थापित मुद्रणालयों में से एक, कोट्टायम में स्थापित किया गया था।’’
उन्होंने आगे कहा कि ‘साक्षर केरलम’ आंदोलन को उन प्रयासों से बल मिला, जिनमें कोट्टायम के लोगों ने बहुत सक्रिय भूमिका निभाई।
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘पुस्तकालय आंदोलन के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पी एन पणिक्कर की महान पहल ‘वैयिचु वलारुगा’ के बहुत ही सरल लेकिन सशक्त संदेश से प्रेरित थी, जिसका अर्थ है ‘पढ़ो और बढ़ो’।’’