आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पश्चिम बंगाल की दार्जिलिंग पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन और गंभीर पर्यावरणीय क्षरण को लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और अन्य से जवाब मांगा है।
एनजीटी ने दार्जिलिंग में आपदा और असंतुलित विकास पर एक अखबार की खबर का स्वतः संज्ञान लिया।
खबर में कहा गया है कि यह इलाका राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों में रुकावट, असंतुलित विकास की वजह से बहुत ज़्यादा नुकसान और बारिश के पैटर्न में बदलाव का सामना कर रहा है।
एनजीटी के अध्यक्ष प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की पीठ ने 28 अक्टूबर के आदेश में कहा, ‘'समाचारपत्र की यह खबर दार्जिलिंग के ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ के पास स्थित रणनीतिक महत्व को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभाव को उजागर करती है, जिससे पूर्वी हिमालय में जलवायु लचीलापन और आपदा प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप की आवश्यकता पर बल मिलता है।’'