रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ 23 से 26 जून तक करेंगे केन्या और मेडागास्कर का दौरा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 23-06-2025
Minister of State for Defence Sanjay Seth will visit Kenya and Madagascar from 23 to 26 June
Minister of State for Defence Sanjay Seth will visit Kenya and Madagascar from 23 to 26 June

 

 

 

नई दिल्ली

भारत के रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ 23 जून से 26 जून 2025 तक केन्या और मेडागास्कर की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरान वे दोनों देशों में आयोजित अहम कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे, जिनमें भारत और केन्या के शहीद सैनिकों की स्मृति में समर्पित एक स्मारक स्तंभ का संयुक्त अनावरण भी शामिल है।

रक्षा मंत्रालय द्वारा रविवार को जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, यह यात्रा केन्या के रक्षा मंत्रालय के कैबिनेट सचिव और मेडागास्कर के सशस्त्र बल मंत्री के आमंत्रण पर की जा रही है। सेठ के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल दोनों देशों की यात्रा करेगा।

दौरे के पहले चरण में 23 जून को सेठ केन्या की ताइता-तवेटा काउंटी में शहीद सैनिकों की स्मृति में बनाए गए "वार मेमोरियल" के उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होंगे। यह स्मारक उन भारतीय और केन्याई सैनिकों को समर्पित है जिन्होंने उपनिवेशवाद और संघर्ष के दौर में अपने प्राणों की आहुति दी।

दूसरे चरण में 26 जून को सेठ मेडागास्कर की राजधानी एंटानानारिवो पहुंचेंगे, जहां वे मेडागास्कर की स्वतंत्रता की 65वीं वर्षगांठ तथा मालागासी सशस्त्र बलों के गठन समारोह में भारतीय प्रतिनिधित्व करेंगे।

बयान में कहा गया है कि भारत और केन्या दोनों हिंद महासागर क्षेत्र के समुद्री पड़ोसी हैं, जिनके आपसी संबंध उच्चस्तरीय राजनीतिक संवाद, मजबूत व्यापार और निवेश साझेदारी, चिकित्सा पर्यटन तथा ऐतिहासिक जन-संपर्कों के आधार पर मजबूत हुए हैं। दोनों देशों के बीच उपनिवेशवाद विरोधी संघर्ष की साझा विरासत भी रही है, जिसमें कई भारतीयों ने केन्या के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई थी।

इसी तरह, भारत और मेडागास्कर के बीच भी बहुआयामी संबंध हैं, जो ऐतिहासिक जुड़ाव, साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, क्षेत्रीय स्थिरता और विकास के प्रति प्रतिबद्धता पर आधारित हैं। दोनों देशों के बीच सहयोग राजनीतिक, सैन्य, आर्थिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में फैला है, जो परस्पर विकास और साझी दृष्टि को दर्शाता है।

यह यात्रा भारत की 'एक्ट ईस्ट' और 'सागर' (Security and Growth for All in the Region) नीति के तहत हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक और मानवीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम क़दम मानी जा रही है।