नई दिल्ली
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में भारत के निर्यात पर लगाए गए अमेरिकी शुल्क का तात्कालिक प्रभाव भले ही सीमित दिखाई देता हो, लेकिन इसके द्वितीयक और तृतीयक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियाँ खड़ी कर सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, निर्यात पर शुरुआती असर नियंत्रित है, किंतु आगे चलकर इसका प्रभाव सप्लाई चेन, महंगाई के दबाव और वैश्विक बाजारों में भारतीय वस्तुओं की प्रतिस्पर्धात्मकता पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
प्रधानमंत्री द्वारा घोषित हालिया नीति पहलों का उल्लेख करते हुए रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने विकास को गति देने और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें नेक्स्ट-जनरेशन सुधारों के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है, जो नियमों को सरल बनाने, अनुपालन लागत कम करने और स्टार्टअप, एमएसएमई और उद्यमियों के लिए अनुकूल माहौल तैयार करने की दिशा में काम करेगा।
इसके साथ ही, आने वाले महीनों में नेक्स्ट-जनरेशन जीएसटी सुधार लागू किए जाएंगे। इन सुधारों का उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं पर कर का बोझ घटाना है, जिससे सीधे तौर पर परिवारों को राहत मिलेगी और घरेलू खपत मांग को प्रोत्साहन मिलेगा।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि हालिया रेटिंग अपग्रेड से उधारी लागत में कमी, विदेशी पूंजी प्रवाह में वृद्धि, वैश्विक पूंजी बाजारों तक आसान पहुंच और महंगाई पर दबाव कम होने की संभावना है। इससे कारोबार की इनपुट लागत घटेगी और समग्र आर्थिक वृद्धि को बल मिलेगा।
भारत ने वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच व्यापार को मजबूती देने के लिए विविधीकृत व्यापार रणनीति अपनाई है। हाल ही में भारत ने ब्रिटेन और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) किए हैं, जबकि अमेरिका, यूरोपीय संघ, न्यूज़ीलैंड, चिली और पेरू के साथ वार्ता जारी है।
हालाँकि, रिपोर्ट ने आगाह किया कि ये पहलें समय लेंगी और यदि अमेरिकी शुल्क व्यवस्था लंबे समय तक जारी रहती है तो ये पूरी तरह से निर्यात में होने वाली संभावित कमी की भरपाई नहीं कर पाएंगी।
फिर भी, रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक विकास दर में मंदी के जोखिम अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों को नियंत्रण में रख सकते हैं, जिससे शुल्कों के असर को आंशिक रूप से संतुलित करने में मदद मिल सकती है।
सरकार, रिपोर्ट के अनुसार, जोखिमों का सक्रिय प्रबंधन करते हुए अवसरों का लाभ उठा रही है—चाहे वह घरेलू क्षमता को मजबूत करना हो, निर्यात को बढ़ावा देना हो, सप्लाई चेन का विविधीकरण करना हो या वैकल्पिक आयात स्रोत सुरक्षित करना।