आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
भारत ने ऊर्जा व्यापार का दायरा लगातार सीमित होने, मानदंडों के चयनात्मक अनुप्रयोग और बाजार पहुंच के मुद्दों पर सोमवार को गंभीर चिंता जताई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी रूस से कच्चे तेल की खरीद को लेकर अमेरिका के साथ भारत के संबंधों में तल्खी आने की पृष्ठभूमि में आई है।
कुआलालंपुर में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि विश्व को आतंकवाद के प्रति ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने’’ की नीति अपनानी चाहिए, क्योंकि इस खतरे के खिलाफ रक्षा के अधिकार से कभी समझौता नहीं किया जा सकता।
सम्मेलन में ऊर्जा व्यापार, बाजार पहुंच और आपूर्ति श्रृंखलाओं से संबंधित उनकी टिप्पणियों ने ध्यान आकर्षित किया।
जयशंकर ने कहा, ‘‘आपूर्ति श्रृंखलाओं की विश्वसनीयता और बाजारों तक पहुंच को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं। प्रौद्योगिकी प्रगति बहुत प्रतिस्पर्धी हो गई है। प्राकृतिक संसाधनों की खोज तो और भी अधिक प्रतिस्पर्धी हो गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऊर्जा व्यापार का दायरा सीमित होता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार से जुड़ी समस्याएं पैदा हो रही हैं। सिद्धांतों को चुनिंदा तरीके से लागू किया जाता है और जो उपदेश दिया जाता है, जरूरी नहीं कि उस पर अमल भी किया जाए।’’
जयशंकर की यह टिप्पणी ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ (शुल्क) लगाने के बाद भारत-अमेरिका संबंधों में तेजी से आई गिरावट के बीच आई है, जिसमें रूसी तेल की नयी दिल्ली की खरीद पर 25 प्रतिशत शुल्क भी शामिल है।
भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंधों में एक पेचीदा मुद्दा बन गई है। कई अमेरिकी अधिकारियों का आरोप है कि यह यूक्रेन के ख़िलाफ मास्को की युद्ध मशीन को बढ़ावा दे रहा है।