सानिया अंजुम / बेंगलुरु
बेंगलुरु की ठंडी और खुशनुमा अक्तूबर की सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरणें बिखेरती हैं, नीलेसंद्रा का इलाका एक अलग ही रौनक में डूब जाता है. ईदगाह अकबरी के पास स्थित बीडीए ग्राउंड इस वक्त अतीत की एक जीवंत झलक बन गया है. यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय सीरत प्रदर्शनी लोगों को 7वीं सदी की रेत और रोशनी भरी गलियों में ले जाती है.24 से 27 अक्टूबर तक चलने वाली यह प्रदर्शनी एक अनोखा संगम है- ईमान, इतिहास और आधुनिक तकनीक का
यह प्रदर्शनी मुसलमानों के लिए गहरी आध्यात्मिक और भावनात्मक जुड़ाव की अनुभूति कराती है. यह कार्यक्रम सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की पवित्र ज़िंदगी से जुड़ने का एक आधुनिक और ज्ञानवर्धक माध्यम है. परिवारों, बच्चों और युवाओं के लिए यह कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो आस्था को तकनीक से जोड़ते हुए पैगंबर की विरासत को नए रंग में पेश करता है.
24 अक्टूबर 2025 को प्रदर्शनी का उद्घाटन कर्नाटक के मंत्री बी.ज़ेड. ज़मीर अहमद खान और रहीम खान ने विधायक एन.ए. हारिस और मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव नसीर अहमद के साथ किया. उनका आना यह दर्शाता है कि यह आयोजन केवल एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने का एक बड़ा माध्यम है. अकबरी मस्जिद कमेटी द्वारा आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्देश्य है. “दिलों को पैगंबर की सीरत से जोड़ना,” और यह अपने मकसद में सफल होती नज़र आ रही है. सोशल मीडिया पर परिवारों की तस्वीरें, उत्साहित बच्चों के वीडियो और एक छोटे लड़के की सुन्नत पढ़ते हुए वायरल क्लिप खूब पसंद की जा रही है.
पूरा मैदान खूबसूरती से सजाया गया है. विधायक हारिस और पुलिस अधिकारियों ने पहले से सुरक्षा, रोशनी और भीड़ नियंत्रण की जांच की थी. चाहे कोई इतिहास का शौकीन हो, तकनीक का प्रेमी हो या आत्मिक सुकून की तलाश में हो यह प्रदर्शनी हर किसी को कुछ नया अनुभव कराती है.
यहां पहुंचते ही आगंतुकों का स्वागत एक विशाल मक्का मॉडल से होता है, जैसा कि यह पैगंबर इब्राहीम (अ.स.) के दौर में था. LED रोशनी में चमकते काबा के पत्थर और हवा की हल्की सरसराहट 7वीं सदी की अनुभूति कराती है. प्रदर्शनी को इस तरह बनाया गया है कि यह पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) की ज़िंदगी के हर पड़ाव को जीवंत कर देती है. उनके जन्म की शांत झूले वाली झांकी से लेकर गार-ए-सौर की रोमांचक यात्रा तक. एक विशेष आकर्षण है वर्चुअल रियलिटी टूर, जिसमें लोग “युवा मुहम्मद” के मक्का में चलने का अनुभव करते हैं. बाज़ारों की चहल-पहल और उस दौर की खुशबू महसूस होती है.
मदीना के दौर को समर्पित हिस्सा सबसे मनमोहक है. यहां मस्जिद-ए-नबवी की शुरुआती मिट्टी की दीवारों से लेकर उसके बाद के विस्तारों तक के मॉडल लगे हैं। टचस्क्रीन पर हुदैबिया की संधि जैसी ऐतिहासिक घटनाएं समझाई जाती हैं. “सुन्नत स्टेशन” नामक खंड बच्चों को मुस्कुराना, खाना साझा करना और दया करना जैसी आदतें सिखाता है. एक चिंतन क्षेत्र में पैगंबर के अंतिम उपदेश के शब्द दीवारों पर चलते हैं, जो दया और इंसानियत का संदेश दोहराते हैं.
तकनीक इस प्रदर्शनी की सबसे खास बात है. 360° वर्चुअल रियलिटी में मक्का की क्लॉक टॉवर का दृश्य, पुरानी मदीना में गूंजती अज़ान की ध्वनि और युवाओं के लिए इंटरैक्टिव क्विज़ इस कार्यक्रम को और आकर्षक बनाते हैं. एक आगंतुक ने मज़ाक में कहा, “ये जैसे टाइम मशीन में सफर करना है, लेकिन वाई-फाई के साथ!”
मुफ्त प्रवेश की वजह से यहां हर उम्र के लोग पहुंच रहे हैं. परिवार, छात्र, महिलाएं और बुज़ुर्ग. खुले मैदान का माहौल, बेंगलुरु का सुहाना मौसम और नमाज़ की सुविधाएं लोगों के लिए इसे और सुविधाजनक बनाती हैं. असर की नमाज़ के बाद स्थानीय उलेमा द्वारा रोज़ाना भाषण होते हैं, जिनमें पैगंबर की रहमत, नेतृत्व और इंसानियत जैसे विषयों पर चर्चा की जाती है. बच्चों के लिए क्विज़ और इनामों की व्यवस्था भी है, जिससे यह आयोजन सीखने के साथ मनोरंजन भी बन जाता है.
यह प्रदर्शनी केवल बेंगलुरु तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक पहल का हिस्सा है. रबात, दकार, नागपुर और मुंब्रा जैसी जगहों पर भी इसी तरह की सीरत प्रदर्शनियां आयोजित हुई हैं, जिन्होंने लाखों लोगों को आकर्षित किया. बेंगलुरु की प्रदर्शनी अपनी भव्यता और स्थानीय जुड़ाव के कारण सबसे खास मानी जा रही है.
अब जबकि दो दिन बाकी हैं, यह इस खूबसूरत आयोजन को देखने का सही समय है. बीडीए ग्राउंड ईदगाह अकबरी के पास है और शहर के किसी भी हिस्से से आसानी से पहुंचा जा सकता है। भीड़ से बचने के लिए दोपहर 2 बजे तक पहुंचने की सलाह दी जा रही है.
दिन दो के साथ यह प्रदर्शनी सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि अतीत और वर्तमान, ईमान और तकनीक के बीच एक सेतु बन चुकी है. 27 अक्टूबर को इसका समापन होगा. अगर आप पैगंबर (ﷺ) की ज़िंदगी को करीब से महसूस करना चाहते हैं, तो नीलेसंद्रा की यह यात्रा ज़रूर करें. इंस्टाग्राम (@arman_shaik) या एक्स (@mlanaharis) पर लाइव अपडेट मिल सकते हैं. यह प्रदर्शनी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि रूह और ज़िंदगी से जुड़ने का एक अनोखा अनुभव है.