फिल्म पाकीजा के गीतकार कैफ भोपाली की साहित्यिक कृतियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की उठी मांग

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 25-07-2022
शायर कैफ भोपाली की साहित्यिक कृतियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की उठी मांग
शायर कैफ भोपाली की साहित्यिक कृतियों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की उठी मांग

 

गुलाम कादिर /भोपाल 

कुरआन के जानकार प्रख्यात शायर, फिल्म गीतकार और लेखक कैफ भोपाली की पुण्यतिथि पर भोपाल में साहित्यिक संवाद का आयोजन किया गया. इस दौरान भोपाल के प्रमुख बुद्धिजीवियों ने कैफ भोपाली की यादें और वार्ता शीर्षक से चर्चा में भाग लिया और सरकार से कैफ भोपाली के कार्यों को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने की मांग की.
 
कैफ भोपाली का वास्तविक नाम मुहम्मद इदरीस है, लेकिन साहित्यिक हलकों में उन्हें कैफ भोपाली के नाम से जाना जाता है. कैफ भोपाली का जन्म 20 फरवरी 1917 को भोपाल में हुआ था और उनका निधन 24 जुलाई 1991 का. कैफ की मातृभूमि कश्मीर है.
 
कैफ के पूर्वज कश्मीर से लखनऊ और अहद शाहजहानी लखनऊ से भोपाल आए थे.कैफ को कविता की कला विरासत में मिली थी.कैफ की मां सालेहा खानम अजीम भी एक अच्छी कवयित्री थीं.
 
कैफ की शिक्षा और मानसिक प्रशिक्षण भोपाल में हुआ. जिस समय कैफ ने कविता के क्षेत्र में प्रवेश किया, उस समय भोपाल में महत्वपूर्ण कवियों की एक आकाशगंगा थी, लेकिन कैफ ने उनके अलावा उर्दू कविता में अपने अनूठे स्वर से अपनी पहचान बनाई और उन्हें प्रकृति का कवि कहा जाता था।
 
कैफ भोपाली के जन्म और वर्षगांठ के अवसर पर हर साल बुजम कैफ द्वारा भोपाल में एक संगोष्ठी और मुशायरे का आयोजन किया जाता है. कोरोना वायरस के कारण पिछले दो वर्षों से बड़े आयोजन का आयोजन नहीं किया जा सका.
 
इस साल बजम कैफ के अधिकारियों ने एक बड़ा आयोजन करने का फैसला किया था, लेकिन शहर में लगातार बारिश के कारण यह संभव नहीं हो सका. भोपाल के बुद्धिजीवियों ने साहित्यिक चर्चा में भाग लिया और कैफ भोपाली के जीवन और साहित्यिक सेवाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला.
 
बुजम कैफ के अध्यक्ष कमर साकिब ने कहा कि हमें गर्व है कि हमारा रिश्ता कैफ भोपाली के परिवार से है. हर साल बज्म कैफ द्वारा कैफ भोपाली के जीवन और सेवा पर एक बैठक, संगोष्ठी और चर्चा का आयोजन किया जाता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण, यह श्रृंखला दो साल के लिए बाधित हो गई थी.
 
इस साल भी एक राष्ट्रीय संगोष्ठी की योजना बनाई गई थी, लेकिन यह थी लगातार बारिश के कारण संभव नहीं हो पाई. परिस्थिति अनुकूल रही तो ईश्वर की इच्छा से शीघ्र ही राष्ट्रीय संगोष्ठी का भी आयोजन किया जाएगा.
 
इसके साथ ही हम सरकार से मांग की गई कि विभिन्न कलाओं में अपनी सेवाएं दे चुके कैफ भोपाली की रचनाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए.उधर जाने-माने बुद्धिजीवी जिया सिद्दीकी का कहना है कि कैफ भोपाली जैसा नैसर्गिक कवि अभी तक भोपाल में पैदा नहीं हुआ.
 
उन्होंने अपनी गजलों और कविताओं में जिस तरह से भारतीय तत्वों को प्रतिबिंबित किया, वह भोपाल और मध्य प्रदेश के अन्य कवियों ने शायद ही कभी देखा हो. जबकि कैफ प्रगतिशील विचारधारा के समर्थक थे, वे इस्लामी मान्यताओं के समर्थक भी थे और उनके द्वारा पवित्र कुरान का पद्य अनुवाद किसी की आँखें आश्चर्य से खुली छोड़ देता है.
 
कैफ भोपाली को आमतौर पर एक रोमांटिक कवि के रूप में जाना जाता है, लेकिन आज यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्हांेने कुरान का अनुवाद भी लिखा है. कैफ का जीवन उनके प्रति वफादार नहीं था कि वह पवित्र कुरान के छंद अनुवाद को पूरा कर सके.
 
भोपाल के अखबारों ने इसे लगातार प्रकाशित किया. पुस्तक रूप में कुरान का अर्थ 1996 में दुबई से सलीम जाफरी द्वारा प्रकाशित किया गया.कैफ भोपाली की बेटी डॉ. परवीन कैफ ने कहा है कि उन्हें अपने पिता के लेखन पर गर्व है.
 
कैफ भूपाली ने जिस भी क्षेत्र में अपनी कलम उठाई, उन्होंने अपना अधिकार जमाया. कैफ भूपाली ने उर्दू में उत्कृष्ट कविताओं और गजलों के साथ फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ गीत लिखे हैं.
 
उन्होंने फिल्म पाकीजा, डेरा, रजिया सुल्तान, शंकर हुसैन आदि में गीत लिखे हैं. समय बीतने के बाद भी इसका अर्थ आज भी बरकरार है. हमने अपने आदरणीय पिता से जो सीखा है उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं और मानवता की सेवा के लिए उनके द्वारा छोड़े गए नेतृत्व के पदचिह्नों को आगे बढ़ाते हैं.