‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बढ़ी स्वदेशी रक्षा उत्पादों की मांग: राजनाथ सिंह

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 07-07-2025
Demand for indigenous defense products increased after 'Operation Sindoor': Rajnath Singh
Demand for indigenous defense products increased after 'Operation Sindoor': Rajnath Singh

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली 

नई दिल्ली में आयोजित डीआरडीओ कंट्रोलर्स कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद भारतीय रक्षा उत्पादों की वैश्विक मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी और देश में बने हथियारों की क्षमता ने पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया है. वैश्विक सैन्य खर्च जहां 2024 में 2.7 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, वहीं भारत के लिए इस क्षेत्र में एक बड़ा बाज़ार खुल गया है.
 
राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत का रक्षा बजट कई देशों की पूरी जीडीपी से भी बड़ा है और जब आम जनता की मेहनत की कमाई से इतना बड़ा हिस्सा इस मंत्रालय को दिया जाता है, तो उसे सही समय पर, सही उद्देश्य के लिए और सही दिशा में लगाना हमारी जिम्मेदारी बन जाती है. उन्होंने इस बात की सराहना की कि रक्षा अधिग्रहण परिषद ने पहली बार जेम पोर्टल के माध्यम से पूंजीगत खरीद की अनुमति दी है, जो पारदर्शिता और प्रक्रिया में तेजी लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है.
 
सम्मेलन के दौरान उन्होंने यह भी बताया कि कैसे रक्षा लेखा विभाग में व्यापक स्तर पर डिजिटल परिवर्तन हो रहा है। इस दिशा में कई अहम पहल की गई हैं, जैसे– सैंपूर्णा (एक एआई आधारित रक्षा खरीद और भुगतान प्रणाली), स्पर्श (32 लाख से अधिक पेंशनरों को लाभ देने वाला डिजिटल प्लेटफॉर्म), स्पर्श वैन (दूरदराज़ के क्षेत्रों में पेंशन सुविधाएं पहुंचाने की मोबाइल सेवा), और ई-रक्षा आवास (स्वचालित किराया वसूली प्रणाली, जिससे अब तक 2700 करोड़ रुपये से अधिक के किराया बिल बनाए जा चुके हैं)। साथ ही रक्षा यात्रा प्रणाली और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर आधारित खरीद उपकरण भी विकसित किए जा रहे हैं.
 
रक्षा मंत्री ने कहा कि रक्षा लेखा विभाग का कार्य सिर्फ कागजों पर लेखा प्रबंधन का नहीं, बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचे का एक अभिन्न हिस्सा है. उन्होंने कहा कि जब ये विभाग ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करता है तो उसका प्रभाव सीमाओं पर तैनात सैनिकों तक महसूस होता है। उन्हें भरोसा रहता है कि एक मजबूत और जवाबदेह प्रणाली उनके पीछे खड़ी है, जो हर परिस्थिति में उनका साथ देगी.
 
यह सम्मेलन 7 से 9 जुलाई तक चलेगा और इसमें सीडीएस जनरल अनिल चौहान, तीनों सेनाओं के प्रमुख, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, महानियंत्रक रक्षा लेखा मयंक शर्मा समेत कई वरिष्ठ सैन्य और प्रशासनिक अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं. इसका उद्देश्य रक्षा वित्त प्रणाली को अधिक दक्ष, आधुनिक और रणनीतिक बनाने की दिशा में विचार-विमर्श करना है.
 
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय और उभरता हुआ निर्यातक भी है. आत्मनिर्भरता की दिशा में यह एक बड़ा कदम है और आने वाले समय में भारत की पहचान एक वैश्विक रक्षा ताकत के रूप में और मजबूत होगी.