किश्तवाड़ में बादल फटा, तबाही का मंजर, बचाव कार्य जारी

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 14-08-2025
Cloud burst in Kishtwar, scene of devastation, rescue work continues
Cloud burst in Kishtwar, scene of devastation, rescue work continues

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

जम्मू और कश्मीर की किश्तवाड़ जिले में आज (14 अगस्त) एक अचानक बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचा दी. घटनास्थल से मिली जानकारी और अधिकारियों के बयान इस प्राकृतिक आपदा की गंभीरता को उजागर करते हैं। यह घटना पौड्डर सब-डिवीजन के चोसीती गांव में हुई, जो प्रसिद्ध माचाईल माता यात्रा मार्ग पर स्थित है. बादल फटने से आसपास के इलाके में पानी का तेज बहाव आ गया, जिसने कई ढांचों, अस्थायी लंगरों और रास्तों को क्षति पहुंचाई.
 
अचानक आई इस आपदा ने स्थानीय निवासियों और यात्रा पर आए श्रद्धालुओं को दहशत में डाल दिया. केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट्स में "काफी जान-माल के नुकसान की आशंका" जताई जा रही है. उन्होंने बताया कि प्रशासन ने तुरंत एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस बल को राहत एवं बचाव कार्य में लगा दिया है.
 
राहतकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर पानी में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का काम शुरू कर दिया है. घायलों को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है, जबकि गंभीर रूप से घायल व्यक्तियों को एयरलिफ्ट करके बड़े अस्पतालों में ले जाया जा रहा है.
 
मौसम विभाग ने पहले ही इस क्षेत्र में भारी बारिश और बादल फटने की आशंका जताई थी, लेकिन पहाड़ी इलाके की भौगोलिक स्थिति के कारण इस तरह की घटनाओं को रोकना लगभग असंभव होता है. विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्य भी इन प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा रहे हैं.
 
स्थानीय प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे माचाईल माता यात्रा मार्ग से फिलहाल दूर रहें और मौसम की स्थिति सामान्य होने तक प्रभावित क्षेत्रों में न जाएं। बचाव दल लगातार इलाके की तलाशी ले रहे हैं ताकि किसी भी फंसे हुए व्यक्ति को सुरक्षित निकाला जा सके.
 
किश्तवाड़ का यह हादसा एक बार फिर याद दिलाता है कि पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान सतर्कता बरतना कितना आवश्यक है. प्रशासन और स्थानीय लोग अब इस तबाही के बाद पुनर्वास और सहायता कार्यों में जुट गए हैं, लेकिन इस प्राकृतिक आपदा का दर्द और नुकसान लंबे समय तक महसूस किया जाएगा.