आवाज द वॉयस / नई दिल्ली
गले में खराश आम स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है, जिसका सामना आप अक्सर मानसून के दौरान करते हैं.मानसून के मौसम में मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के साथ अन्य संक्रमणों का खतरा भी बढ़ जाता है.
गले में खराश एलर्जी, वायु प्रदूषण और पाचन विकार जैसी बीमारियों के कारण भी हो सकता है.एक अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मौसमी संक्रमण अन्य कारणों की तुलना में आपके गले को अधिक प्रभावित कर सकता है, लेकिन आयुर्वेदिक (अर्थात स्वदेशी ज्ञान) उपचार से गले के संक्रमण को कम करने की कोशिश की जा सकती है.
अपने हालिया इंस्टाग्राम पोस्ट में, हर्बलिस्ट डॉ दीक्सा भुसर ने लिखा है कि हल्दी भारतीय रसोई और हर्बल फार्मेसियों में अपने उपचार गुणों के कारण व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मसाला है. इसे हम आयुर्वेदिक में हरिद्रा के नाम से जानते हैं. यह स्वाद में कड़वा और कड़वा होता है जबकि इसका असर गर्म होता है. गर्म होने के कारण यह रूखापन को कम करता है, जबकि इसकी कड़वाहट शरीर की चर्बी को कुछ हद तक कम करती है.
उन्होंने कहा कि हम खाने में हल्दी का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह सर्दी, खांसी, गले में खराश, घाव भरने, मधुमेह, शरीर में दर्द, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और अन्य बीमारियों के इलाज में कारगर भूमिका निभाती है.
गले में खराश के लिए हल्दी के तीन सरल और प्रभावी उपयोग
1.एक गिलास पानी में एक चम्मच हल्दी डालकर तीन से पांच मिनट तक उबालें और इस पानी से दिन में तीन बार गरारे करें.
2. एक चम्मच हल्दी, एक चम्मच काली मिर्च (अधिमानतः ताजा) और एक चम्मच शहद मिलाएं और इस मिश्रण का उपयोग भोजन से एक घंटे पहले या बाद में दिन में दो से तीन बार करें.
3. रात को सोने से पहले हल्दी को दूध में मिलाकर पीने से गले को आराम मिलता है. इसके लिए गाय का दूध सबसे अच्छा विकल्प है.
इन घरेलू नुस्खों के अलावा गले को मुलायम रखने के लिए पानी और हेल्दी ड्रिंक पीने की भी सलाह दी जाती है. वायु प्रदूषण या अन्य चीजों से बचें जो गले में खराश पैदा कर सकती हैं.
साथ ही आराम करें और पौष्टिक आहार चुने.