World Lung Cancer day: Now it is not just a smokers' disease, WHO made a shocking revelation
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
एक समय था जब फेफड़ों के कैंसर को सिर्फ धूम्रपान करने वालों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की हालिया रिपोर्ट और देश के बड़े अस्पतालों के आंकड़े बताते हैं कि लंग कैंसर अब उन लोगों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है जिन्होंने कभी सिगरेट को हाथ तक नहीं लगाया। 2022 में भारत में लंग कैंसर के 1.03 लाख नए केस सामने आए, जिनमें से 50% मरीज ‘नॉन-स्मोकर्स’ थे.
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर जैसे मेट्रो शहरों में यह बीमारी अब ‘साइलेंट किलर’ बनती जा रही है. वजह है जहरीली हवा, पैसिव स्मोकिंग और इंडस्ट्रियल प्रदूषण। रिपोर्ट के मुताबिक, वायु गुणवत्ता में लगातार गिरावट, डीज़ल वाहनों का धुआं, निर्माण कार्यों से उड़ती धूल और रासायनिक उद्योगों से निकलने वाला जहरीला धुआं अब नॉन-स्मोकर्स को भी लंग कैंसर की ओर धकेल रहा है.
एम्स दिल्ली के पल्मोनोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित वर्मा के अनुसार, "अब लंग कैंसर के मरीजों में एक बड़ा तबका ऐसे लोगों का है, जिनका तंबाकू से कोई संबंध नहीं रहा। खासतौर पर महिलाएं और युवा जिनका जीवन पूरी तरह से तंबाकू मुक्त रहा है, वे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं."
WHO की चेतावनी
WHO ने चेताया है कि भारत जैसे विकासशील देशों में जहां वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय नाकाफी हैं, वहां लंग कैंसर का खतरा आने वाले वर्षों में और बढ़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया कि दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में रहने वाले लोगों के फेफड़े एक दिन में लगभग 20 सिगरेट पीने जितना प्रदूषण झेलते हैं.
महिलाएं और बच्चे ज़्यादा संवेदनशील
गृहिणियां जो लंबे समय तक रसोईघर में बिना एग्जॉस्ट के गैस जलाकर काम करती हैं, या ऐसे बच्चे जो लगातार पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में रहते हैं, उनमें यह बीमारी चुपचाप विकसित होती है. दरअसल, लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण आम सर्दी, खांसी और थकान जैसे दिखते हैं, जिससे लोग समय पर जांच नहीं करा पाते.
क्या कहता है डेटा
2022 में भारत में लंग कैंसर के कुल 1.03 लाख नए मामले सामने आए.
इनमें से 50% मरीज नॉन-स्मोकर्स थे.
दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए.
प्रदूषण, घरेलू धुएं और पैसिव स्मोकिंग को प्रमुख कारण माना गया.
क्या करें बचाव के लिए?
घर और कार्यालय में एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें.
मास्क का प्रयोग नियमित करें, खासकर स्मॉग और हाई पॉल्यूशन डेज़ पर.
धूम्रपान करने वालों से दूरी बनाएं और बच्चों को पैसिव स्मोकिंग से बचाएं.
नियमित हेल्थ चेकअप कराएं, खासकर अगर आपको लंबे समय से खांसी या सांस लेने में तकलीफ है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लंग कैंसर को लेकर आम धारणा को बदलने की जरूरत है. यह अब सिर्फ सिगरेट पीने वालों की बीमारी नहीं रही. हमारी हवा, हमारे आसपास का वातावरण और हमारी जीवनशैली भी अब इस रोग के मुख्य कारक बनते जा रहे हैं. अगर समय रहते जागरूकता नहीं बढ़ाई गई, तो आने वाले दशक में यह बीमारी भारत के लिए एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन सकती है.