दिल्ली में प्रदूषण संकट गंभीर: श्वसन मरीजों की संख्या बढ़ी, पहली बार के रोगियों और युवाओं में तेजी

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 13-12-2025
The pollution crisis in Delhi is severe: the number of respiratory patients has increased, with a rapid rise in first-time patients and young people.
The pollution crisis in Delhi is severe: the number of respiratory patients has increased, with a rapid rise in first-time patients and young people.

 

नई दिल्ली

दिल्ली में लगातार खराब होती वायु गुणवत्ता ने जन स्वास्थ्य संकट को गहरा कर दिया है। चिकित्सकों का कहना है कि बीते कुछ सप्ताहों में अस्पतालों के ओपीडी और इमरजेंसी विभागों में श्वसन संबंधी समस्याओं वाले मरीजों की संख्या 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है, जिनमें पहली बार श्वसन परेशानी झेल रहे युवा और बच्चे भी शामिल हैं।डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि मौजूदा प्रदूषण समस्या “मौसमी असुविधा” नहीं बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा है।

जहरीली हवा का हमला, अस्पतालों में बढ़ी भीड़

दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लंबे समय से 300 से ऊपर बना हुआ है। इसके चलते भारी संख्या में लोग—खासतौर पर बच्चे, बुजुर्ग और श्वसन रोगी—सांस फूलने, सीने में जकड़न, गहरी खांसी और घरघराहट की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

फोर्टिस अस्पताल, ओखला के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. अवि कुमार ने बताया,"सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और खांसी वाले मरीजों की संख्या में 15–20 प्रतिशत तक वृद्धि दर्ज हुई है। कई मरीजों के लक्षण नियमित इलाज के बाद भी नहीं सुधर रहे हैं, जिसके चलते हमें उन्हें अधिक स्टेरॉयड और लंबी अवधि की दवाएं देनी पड़ रही हैं।"

उन्होंने कहा कि नए मरीजों—जिन्हें पहले कभी श्वसन संबंधी दिक्कत नहीं थी—की संख्या बढ़ना विशेष रूप से चिंताजनक है। उन्होंने कहा,"बाहर खेलने वाले छोटे बच्चे भी प्रदूषण के असर से प्रभावित हो रहे हैं."

फेफड़ों तक विषाक्त कणों की पहुंच

चिकित्सकों के अनुसार, हवा में मौजूद अत्यंत सूक्ष्म PM2.5 कण फेफड़ों में गहराई तक पहुंचकर रक्तप्रवाह में मिल जाते हैं, जिससे सूजन बढ़ती है और शरीर के विभिन्न अंग प्रभावित होते हैं।

डॉ. कुमार के अनुसार,"अस्थमा, सीओपीडी और लगातार घरघराहट की शिकायत वाले मरीजों की संख्या हाल में 25–30 प्रतिशत बढ़ गई है।"

मधुमेह रोगियों और संवेदनशील समूहों में ज्यादा खतरा

पूर्वी दिल्ली के एक सरकारी अस्पताल की सलाहकार चिकित्सक डॉ. रितु अग्रवाल ने कहा,"प्रदूषण श्वसन मांसपेशियों को कमजोर कर देता है। विशेषकर न्यूरोपैथी वाले मधुमेह रोगियों को आराम की स्थिति में भी सांस लेने में कठिनाई होती है।"

बाहरी क्षेत्रों से सबसे अधिक मामले

फेफड़ा विशेषज्ञ डॉ. अनिल गोयल ने बताया कि मुख्य सड़कों, निर्माण क्षेत्रों और औद्योगिक इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

घरेलू उपाय पूरी तरह कारगर नहीं: विशेषज्ञ

पश्चिमी दिल्ली की ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. नेहा वर्मा ने कहा,"भाप लेने से अस्थायी राहत मिल सकती है, लेकिन यह फेफड़ों को जहरीले प्रदूषकों से नहीं बचाती। लक्षण बने रहने पर चिकित्सक से परामर्श जरूरी है।"