शोध में सामने आए बोतलबंद पानी पीने के अनदेखे स्वास्थ्य जोखिम

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 11-12-2025
Research reveals unforeseen health risks associated with drinking bottled water.
Research reveals unforeseen health risks associated with drinking bottled water.

 

न्यूकैसल

दुनिया भर में नल के पानी के प्रति बढ़ते अविश्वास ने बोतलबंद पानी के उपयोग को तेजी से बढ़ाया है। यह प्रवृत्ति उन देशों में भी देखी जा रही है जहाँ सार्वजनिक जलापूर्ति की सख्त जांच होती है। बाज़ार बोतलबंद पानी को अधिक शुद्ध, सुरक्षित और सुविधाजनक बताता है, लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण अक्सर इसके विपरीत संकेत देते हैं।

शुद्धता की छवि बनाकर बेचे जाने वाले बोतलबंद पानी से स्वास्थ्य और पर्यावरण—दोनों पर जोखिम उत्पन्न हो सकते हैं। हाल के शोधों में पाया गया कि प्लास्टिक बोतलों और पुनः उपयोग होने वाले जगों में भरा पानी उच्च स्तर के बैक्टीरिया संदूषण का शिकार हो सकता है।

अधिकांश विकसित देशों में नल का पानी बहुत कड़े मानकों के अनुसार जाँच से गुजरता है। रोजाना सार्वजनिक जलापूर्ति में बैक्टीरिया, भारी धातुओं और कीटनाशकों की जांच होती है। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में पानी की गुणवत्ता से जुड़े परीक्षण सार्वजनिक किए जाते हैं। अमेरिका में यह जिम्मेदारी ईपीए की होती है, जबकि यूरोप में ईयू पेयजल निदेशालय नियम लागू करता है।

इसके विपरीत, बोतलबंद पानी को खाद्य उत्पादों की तरह नियंत्रित किया जाता है, जिसकी जाँच अपेक्षाकृत कम होती है और निर्माताओं को विस्तृत गुणवत्ता रिपोर्ट प्रकाशित करने की आवश्यकता नहीं होती।

शोध में बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स, रासायनिक अवशेष और विभिन्न बैक्टीरिया जैसे संदूषक मिले हैं। वर्ष 2024 के एक अध्ययन में कुछ उत्पादों में प्रति लीटर लाखों प्लास्टिक कण पाए गए। अन्य अध्ययनों में यह भी पाया गया कि बोतलबंद पानी में माइक्रोप्लास्टिक्स नल के पानी की तुलना में कहीं अधिक होते हैं, जो शरीर में सूजन, हार्मोनल गड़बड़ी और अंगों में कणों के जमा होने का कारण बन सकते हैं।

प्लास्टिक बोतलों से एंटीमनी, फथैलेट्स और बिसफेनोल एनालॉग्स जैसे रसायन पानी में घुल सकते हैं—विशेषकर तब जब बोतलें गर्म स्थानों पर रखी जाएँ। ये रसायन एंडोक्राइन सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं और प्रजनन, मेटाबॉलिज्म तथा विकास संबंधी समस्याएँ पैदा कर सकते हैं। हालांकि, बोतलबंद पानी में इनकी मात्रा आमतौर पर कम होती है और दीर्घकालिक प्रभावों की वैज्ञानिक पुष्टि अभी बाकी है।

वैज्ञानिक यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इन रसायनों के लंबे समय तक संपर्क में रहने से मानव स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है।

आपात स्थितियों में जहाँ नल का पानी असुरक्षित हो, बोतलबंद पानी जरूरी होता है। लेकिन अधिकांश विकसित देशों में यह नल के पानी से न अधिक सुरक्षित है और न ही अधिक शुद्ध। जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के बीच, नल के पानी और बोतलबंद पानी के बीच वास्तविक अंतर को समझना पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गया है।