रुखसाना, जो नूह जिले के सुनारी गांव की ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट हैं, अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से मेवात क्षेत्र में प्रेरणा की मिसाल बन चुकी हैं। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया से अपनी शिक्षा पूरी की और कई चुनौतियों के बावजूद ज्यूडिशियल सर्विस में सफलता हासिल की। रुखसाना की कहानी लड़कियों को शिक्षा और संघर्ष से अपने सपने पूरा करने की प्रेरणा देती है। आवाज द वाॅयस के खास सीरिज द चेंज मेकर्स के लिए रुखसाना पर यह विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है हमारी सहयोगी डॉ. फिरदौस खान ने।
अपनी कड़ी मेहनत, सब्र और कॉन्फिडेंस की वजह से ही नूह जिले के सुनारी गांव की रुखसाना ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बन पाईं। मेवाती कम्युनिटी और पूरे राज्य में उन्हें बहुत इज़्ज़त और सम्मान की नज़र से देखा जाता है। रुखसाना ने अपनी पढ़ाई ताओरू के मेवात मॉडल स्कूल से शुरू की, जहाँ से उन्होंने अपनी क्लास 10 पूरी की। फिर वह हायर एजुकेशन के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी गईं, जहाँ से उन्होंने अपनी क्लास 12, BA की डिग्री और बाद में LLB पूरी की। पढ़ाई के लिए उनका प्यार और लीगल फील्ड में काम करने का उनका सपना उन्हें दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया ले गया, जहाँ उन्होंने अपनी LLM पूरी की। सालों तक लगातार सीखने से न सिर्फ़ उनकी नींव मज़बूत हुई बल्कि उनके सपनों को और मज़बूती से पूरा करने का उनका इरादा भी बना।
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हरियाणा का मेवात अपने पिछड़ेपन और रिसोर्स की कमी के लिए जाना जाता है, लेकिन इस इलाके के लोगों ने बार-बार साबित किया है कि वे कड़ी मेहनत और हिम्मत से अपने सपने पूरे कर सकते हैं। रुखसाना ने क्लास 7 से ही मजिस्ट्रेट बनने का सपना देखा था। उसकी उम्र कम थी, लेकिन उसका सपना बहुत बड़ा था। उसने इसे अपनी ज़िंदगी का मकसद बनाया और उसी के हिसाब से तैयारी शुरू कर दी। 2021-22 में, उसने हरियाणा ज्यूडिशियल सर्विस का एग्जाम दिया, लेकिन पहली कोशिश में सफल नहीं हो पाई। फिर उसने उत्तर प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विस का एग्जाम दिया, जहाँ उसे इंटरव्यू स्टेज पर बाहर कर दिया गया।
दो बार फेल होना किसी की भी हिम्मत तोड़ सकता है, लेकिन रुखसाना ने इससे अपना हौसला कमज़ोर नहीं होने दिया। उसने खुद को संभाला, अपनी तैयारी को बेहतर किया और एक बार फिर पूरे पक्के इरादे के साथ एग्जाम के मैदान में उतरी। इस बार उसने वेस्ट बंगाल पब्लिक सर्विस कमीशन का ज्यूडिशियल सर्विस एग्जाम दिया और पूरे राज्य में तीसरा रैंक हासिल किया, जिससे यह साबित हो गया कि मेहनत कभी बेकार नहीं जाती।
ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट के तौर पर उसका सिलेक्शन न सिर्फ उसके परिवार के लिए बल्कि पूरे मेवात के लिए बहुत गर्व की बात थी। रुखसाना कहती है कि उसकी सफलता का सबसे बड़ा क्रेडिट उसके परिवार को जाता है। जब उसने अपने पिता को इतनी कम उम्र में जज बनने के अपने सपने के बारे में बताया, तो वह बहुत खुश हुए। उन्होंने हर कदम पर उसका साथ दिया—उसे सबसे अच्छे इंस्टीट्यूशन में एडमिशन दिलाया, उसकी पढ़ाई पर ध्यान दिया और उसे कभी निराश नहीं होने दिया। रुखसाना का मानना है कि लड़कियों के लिए पढ़ाई सबसे ज़रूरी चीज़ है क्योंकि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाती है।
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उनके अनुसार, पढ़ाई और स्किल दो ऐसी चीज़ें हैं जो किसी भी इंसान को ताकत देती हैं और उन्हें उन ऊंचाइयों तक ले जा सकती हैं जिनके बारे में उन्होंने खुद कभी सोचा भी नहीं होगा। रुखसाना लड़कियों और उनके माता-पिता से अपील करती हैं कि वे लड़कियों की पढ़ाई में कोई रुकावट न डालें। वह कहती हैं कि बहुत से लोग सोचते हैं कि चूंकि उन्हें अपनी बेटियों की शादी पर भी खर्च करना है, इसलिए उन्हें उनकी पढ़ाई में ज़्यादा इन्वेस्ट नहीं करना चाहिए।
वह कहती हैं कि सच तो यह है कि बच्चे की पढ़ाई पर खर्च किया गया पैसा सबसे अच्छा इन्वेस्टमेंट है—यह ज़िंदगी भर काम आता है। वह आगे कहती हैं कि देश को एक ईमानदार ज्यूडिशियरी की ज़रूरत है, और वह पूरी ईमानदारी से देश की सेवा करने की पूरी कोशिश करेंगी। उनके पिता, मोहम्मद इलियास, जो सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में सीनियर मैनेजर के पद पर थे, याद करते हैं कि उनकी पत्नी चाहती थीं कि उनकी बेटी की शादी Class 12 के तुरंत बाद हो जाए। लेकिन रुखसाना आगे पढ़ना चाहती थी।
उन्होंने उसका साथ दिया, अपनी पत्नी को मनाया, और रुखसाना को हायर स्टडीज़ के लिए घर से दूर भेज दिया। उसका डेडिकेशन देखकर, उन्हें हमेशा यकीन था कि वह कुछ बड़ा हासिल करेगी। जब रुखसाना नूह पहुँची और डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन में उसका ग्रैंड वेलकम हुआ, तो यह उनके लिए एक यादगार पल था। लोगों ने उन्हें उनकी बेटी की कामयाबी के लिए बधाई दी, और उन्हें बहुत गर्व महसूस हुआ। उनका कहना है कि उसने न सिर्फ़ परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि एक छोटे से गाँव की लड़की भी बड़ी ऊँचाइयों तक पहुँच सकती है।
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रुखसाना की छोटी बहन, दिलशाना, उन्हीं के नक्शेकदम पर चल रही है। उसने भी मेवात मॉडल स्कूल से 10वीं की पढ़ाई की, और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से BA और LLB की पढ़ाई पूरी की, उसके बाद जामिया मिलिया इस्लामिया से LLM किया। वह ज्यूडिशियल सर्विसेज़ की तैयारी कर रही है और हाल ही में हिमाचल प्रदेश ज्यूडिशियल सर्विस एग्ज़ाम के इंटरव्यू स्टेज तक पहुँची, और वेटिंग लिस्ट में जगह बनाई। दोनों बहनों ने न सिर्फ़ पढ़ाई में बल्कि स्पोर्ट्स में भी बहुत अच्छा किया है और अलीगढ़ और आस-पास के इलाकों में टॉप एथलीट थीं।
रुखसाना की कहानी सिर्फ़ एक लड़की की सफलता की कहानी नहीं है—यह एक ऐसी सोच की जीत है जो बेटियों को मज़बूत बनाने में विश्वास करती है। यह एक प्रेरणा देने वाली कहानी है जो हमें सिखाती है कि संघर्ष कितना भी बड़ा क्यों न हो, सपने और भी बड़े होने चाहिए।
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आज, मेवात की यह बेटी उन सभी लड़कियों के लिए उम्मीद की किरण है जो ज़िंदगी में कुछ सार्थक हासिल करना चाहती हैं। उनकी यात्रा एक शक्तिशाली संदेश देती है: शिक्षा, कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय कोई भी रास्ता खोल सकते हैं।