आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
स्विट्ज़रलैंड के बर्न विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग में किए गए एक हालिया अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि नींद के दौरान हृदय गति की विविधता (Heart Rate Variability - HRV) भविष्य में स्ट्रोक, डिप्रेशन और मस्तिष्क संबंधी अन्य बीमारियों का संकेत दे सकती है, भले ही व्यक्ति को कोई स्पष्ट नींद संबंधी समस्या न हो.
यह अध्ययन 13 वर्षों तक 4,170 लोगों पर किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों ने देखा कि नींद के दौरान शरीर की हृदय गति में जो उतार-चढ़ाव होता है, वह शरीर की आंतरिक स्थिति और रोगों के जोखिम के बारे में काफी कुछ बता सकता है. HRV यानी हृदय गति विविधता, दिल की धड़कनों के बीच के समय में होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है. दिन में जब हम शारीरिक रूप से सक्रिय रहते हैं, तो HRV अधिक होती है, जबकि गहरी नींद के दौरान यह घट जाती है, क्योंकि तब शरीर खुद को मरम्मत और पुनः ऊर्जा देने के मोड में ले जाता है.
इस अध्ययन में यह पाया गया कि जिन लोगों को आगे चलकर स्ट्रोक हुआ, उनमें नींद के दौरान HRV सामान्य से अधिक और अस्थिर रही। वहीं जिन लोगों में बाद में डिप्रेशन विकसित हुआ, उनमें HRV असामान्य रूप से कम पाई गई. कुछ मामलों में उच्च HRV के साथ इसकी आवृत्ति (frequency) में बदलाव भी देखने को मिला, जो आगे चलकर मेटाबोलिक और हार्मोनल रोगों से जुड़ा रहा.
अध्ययन की प्रमुख लेखिका डॉ. इरीना फिलचेंको के अनुसार, “HRV यह दर्शाता है कि शरीर अपनी आंतरिक गतिविधियों को कितनी अच्छी तरह नियंत्रित करता है, खासकर ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम के माध्यम से, जो कि सांस, पाचन और मांसपेशियों की टोन जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है.
अध्ययन में यह भी पाया गया कि जिन प्रतिभागियों की नींद सामान्य मापदंडों के अनुसार ‘सामान्य’ थी, यानी नींद का विखंडन कम था और सभी नींद चरणों का संतुलन था, उनमें भी HRV असामान्य थी। इससे संकेत मिलता है कि पारंपरिक नींद परीक्षण, भविष्य के स्वास्थ्य जोखिमों को भांपने में शायद पूरी तरह सक्षम नहीं हैं.
शोधकर्ताओं का यह भी मानना है कि HRV को एक प्रारंभिक बायोमार्कर के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जो किसी रोग के लक्षण प्रकट होने से पहले ही उसके जोखिम के संकेत दे सकता है। इससे अल्ज़ाइमर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों में समय रहते हस्तक्षेप कर उपचार की संभावना बेहतर हो सकती है.
महत्वपूर्ण बात यह है कि इस शोध के निष्कर्ष पहनने योग्य तकनीक (wearable tech) के लिए भी दिशा तय करते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में स्मार्टवॉच जैसी डिवाइसें HRV की निगरानी कर स्वास्थ्य में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों को पकड़ सकती हैं.
अंततः यह अध्ययन इस बात को पुष्ट करता है कि नींद केवल विश्राम का समय नहीं है, बल्कि यह एक सक्रिय और महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो मस्तिष्क सहित पूरे शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखने में निर्णायक भूमिका निभाती है। डॉ. फिलचेंको के शब्दों में, “स्वास्थ्य समस्याएं लक्षणों के प्रकट होने से बहुत पहले शुरू हो जाती हैं, और HRV इस परिवर्तन को सबसे पहले पकड़ने वाले संकेतों में से एक हो सकता है.