नाइस (फ्रांस)
हाल ही में हुए एक शोध में कैंसर रोगियों की प्रतिरक्षा प्रणाली में ऐसे बदलाव सामने आए हैं, जो यह बता सकते हैं कि कौन-से मरीज कैंसर की इम्यूनोथेरेपी दवाओं से होने वाले हृदय संबंधी गंभीर दुष्प्रभावों के सबसे ज्यादा जोखिम में हैं। ये दवाएं इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर्स (Immune Checkpoint Inhibitors) कहलाती हैं।
यह अध्ययन स्पेनिश नेशनल सेंटर फॉर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च (CNIC) की असिस्टेंट प्रोफेसर पिलार मार्टिन के नेतृत्व में किया गया, जो CIBER-CV में ग्रुप लीडर भी हैं।
प्रोफेसर मार्टिन ने बताया, "इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर्स ने कैंसर के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं, लेकिन ये कुछ मरीजों के दिल को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इस अध्ययन में हमने देखा कि ये दवाएं हृदय रोगों से जुड़ी कुछ सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा कोशिकाओं, विशेष रूप से रेगुलेटरी टी-कोशिकाओं (Regulatory T Cells), को जल्दी और तेजी से कम कर देती हैं। इससे इलाज की शुरुआत में ही मरीज एक कमजोर अवस्था में आ सकते हैं।"
यह शोध यूरोपीय कार्डियो-ऑन्कोलॉजी कांग्रेस 2025 (European Cardio-Oncology 2025) में प्रस्तुत किया जा रहा है।
क्या हैं इम्यून चेकपॉइंट इनहिबिटर्स?
ये दवाएं शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए प्रेरित करती हैं। हालांकि, ये दवाएं कुछ मरीजों में दिल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। हर 100 में से लगभग 1 मरीज में मायोकार्डाइटिस नामक एक जानलेवा हृदय जटिलता देखने को मिलती है।
शोध के मुख्य निष्कर्ष:
शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन मरीजों के खून में सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा कोशिका से जुड़ा CD69 नामक बायोमार्कर कम था, उनमें ये सुरक्षात्मक कोशिकाएं तेजी से कम हुईं और उनके स्थान पर शरीर में सूजन और कोशिका-विनाश को बढ़ाने वाली प्रतिरक्षा कोशिकाएं बढ़ गईं। इससे दिल को नुकसान का खतरा और बढ़ जाता है।
प्रोफेसर मार्टिन ने कहा, “हमने मरीजों को CD69 के स्तर के आधार पर दो समूहों में बांटा। जिनके स्तर कम थे, उनमें इलाज के बाद अधिक नकारात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखी गई, जिससे हृदय को नुकसान पहुंचने का जोखिम अधिक था।”
उन्होंने कहा कि भले ही इस बायोमार्कर की अभी और पुष्टि की आवश्यकता है, लेकिन इसका परीक्षण एक साधारण और कम लागत वाला रक्त परीक्षण है, जो डॉक्टरों को यह समझने में मदद कर सकता है कि किस मरीज को अधिक निगरानी और सावधानी की जरूरत है।
शोध कैसे किया गया?
शोधकर्ताओं ने स्पेनिश इम्यूनोथेरेपी रजिस्ट्री ऑफ कार्डियोवास्कुलर टॉक्सिसिटी (SIR-CVT2) के तहत 215 कैंसर मरीजों के रक्त के नमूने इकट्ठे किए। ये सैंपल उपचार शुरू करने से पहले, 24 सप्ताह, 6 महीने और 1 साल बाद लिए गए। मरीजों में फेफड़ों, स्तन और त्वचा जैसे विभिन्न प्रकार के कैंसर थे और उन्हें PD1, PDL1 और CTLA4 जैसी इम्यूनोथेरेपी दवाएं दी गईं।
अध्ययन से यह संकेत मिला कि रेगुलेटरी टी-कोशिकाएं, जो प्रतिरक्षा संतुलन बनाए रखने और दिल जैसे अंगों को नुकसान से बचाने का काम करती हैं, यदि कम हो जाएं तो हृदय को गंभीर खतरा हो सकता है।