फिलिस्तीनी सिनेमा की बेबाक आवाज़ मोहम्मद बक्री का निधन

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 26-12-2025
Palestinian cinema's outspoken voice, Mohammed Bakri, has passed away at the age of 72.
Palestinian cinema's outspoken voice, Mohammed Bakri, has passed away at the age of 72.

 

तेल अवीव।

प्रसिद्ध और विवादास्पद फिलिस्तीनी अभिनेता, निर्देशक और रंगमंच कलाकार मोहम्मद बक्री का 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके परिवार ने बुधवार को उनके इंतकाल की पुष्टि की। स्थानीय मीडिया के अनुसार, वह लंबे समय से हृदय और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे।

मोहम्मद बक्री को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक पहचान वर्ष 2003 की डॉक्यूमेंट्री जेनिन, जेनिन के लिए मिली। यह फिल्म दूसरी फिलिस्तीनी इंतिफ़ादा के दौरान वेस्ट बैंक के उत्तरी शहर जेनिन में इज़रायली सैन्य कार्रवाई पर आधारित थी। फिल्म में जेनिन के फिलिस्तीनी निवासियों के दर्द, तबाही और मानवीय त्रासदी को दिखाया गया था। इज़रायल में इस डॉक्यूमेंट्री को “भड़काऊ और एकतरफा” बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया, जिसके बाद बक्री लगभग दो दशकों तक कानूनी लड़ाइयों में उलझे रहे।

बक्री ने अरबी और हिब्रू—दोनों भाषाओं में काम किया और फिलिस्तीनी पहचान की जटिलताओं को सिनेमा और रंगमंच के माध्यम से सामने रखा। वह तेल अवीव विश्वविद्यालय के छात्र रहे और इज़रायल के राष्ट्रीय रंगमंच सहित कई प्रतिष्ठित मंचों पर अभिनय किया। 1986 का उनका चर्चित एकल नाटक द पेसऑप्टिमिस्ट फिलिस्तीनी लेखक एमिल हबीबी के लेखन पर आधारित था, जिसमें इज़रायली नागरिकता और फिलिस्तीनी पहचान के द्वंद्व को दर्शाया गया।

1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कई मुख्यधारा की इज़रायली फिल्मों में अभिनय किया, जिनमें बियॉन्ड द वॉल्स भी शामिल है। यह फिल्म जेल में बंद इज़रायली और फिलिस्तीनी कैदियों के रिश्तों को मानवीय दृष्टि से दिखाने के लिए याद की जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि बक्री ने इज़रायली समाज में फिलिस्तीनियों को लेकर बनी रूढ़ छवियों को तोड़ने में अहम भूमिका निभाई।

हाल के वर्षों में बक्री ने अपने बेटों आदम और सालेह बक्री के साथ 2025 की फिल्म ऑल दैट्स लेफ्ट ऑफ यू में अभिनय किया। यह फिल्म 76 वर्षों के दौरान एक फिलिस्तीनी परिवार की कहानी कहती है और इसे ऑस्कर के सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय फीचर फिल्म वर्ग के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया था।

‘जेनिन, जेनिन’ के बाद इज़रायल में बक्री एक ध्रुवीकरण करने वाली शख्सियत बन गए। 2022 में इज़रायल के सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म पर लगे प्रतिबंध को बरकरार रखते हुए उन्हें एक इज़रायली सैन्य अधिकारी को हर्जाना देने का आदेश भी दिया। इसके बाद उन्होंने मुख्यधारा की इज़रायली सिनेमा से दूरी बना ली।

उनके चचेरे भाई राफिक बक्री ने कहा कि मोहम्मद बक्री अपने लोगों के सशक्त समर्थक थे और उन्होंने अपनी कला के ज़रिये फिलिस्तीनी संघर्ष को दुनिया के सामने रखा। “अबू सालेह हमेशा फिलिस्तीनी लोगों और आज़ाद सोच वाले इंसानों की यादों में जिंदा रहेंगे,” उन्होंने कहा।

मोहम्मद बक्री का जाना फिलिस्तीनी सिनेमा और वैश्विक सांस्कृतिक विमर्श के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।