आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
सुपरस्टार आमिर खान ने शुक्रवार को कहा कि भारत एक फिल्म प्रेमी देश है, लेकिन इसके अधिकांश लोगों की सिनेमा तक पहुंच नहीं है.
यहां पहले विश्व ऑडियो विजुअल और मनोरंजन शिखर सम्मेलन (वेव्स) के दूसरे दिन, 60 वर्षीय अभिनेता ने "स्टूडियोज ऑफ द फ्यूचर: पुटिंग इंडिया ऑन वर्ल्ड स्टूडियो मैप" नामक सत्र में भाग लिया.
आमिर ने कहा कि उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश की गंभीर आवश्यकता है.
"मेरा मानना है कि हमें भारत में बहुत सारे थिएटर और विभिन्न प्रकार के थिएटर की आवश्यकता है. देश में ऐसे जिले और विशाल क्षेत्र हैं, जहां एक भी थिएटर नहीं है.
"मुझे लगता है कि पिछले दशकों में हमने जो भी समस्याएं झेली हैं, वे सिर्फ अधिक स्क्रीन होने के बारे में हैं. और मेरे अनुसार, हमें इसी में निवेश करना चाहिए. भारत में बहुत संभावनाएं हैं, लेकिन इसका एहसास तभी हो सकता है जब आपके पास देश भर में अधिक स्क्रीन हों. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो लोग फ़िल्में नहीं देखेंगे," अभिनेता ने कहा.
सुपरस्टार ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सिनेमा स्क्रीन की संख्या के मामले में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन से बहुत पीछे है.
"देश के आकार और यहाँ रहने वाले लोगों की संख्या के हिसाब से हमारे पास बहुत कम थिएटर हैं. मुझे लगता है कि हमारे पास लगभग 10,000 स्क्रीन हैं. अमेरिका में, जिसकी आबादी भारत की एक तिहाई है, उनके पास 40,000 स्क्रीन हैं. इसलिए वे हमसे बहुत आगे हैं. चीन में 90,000 स्क्रीन हैं.
आमिर ने कहा, "अब, इन 10,000 में से भी आधे दक्षिण में हैं और बाकी आधे देश के बाकी हिस्सों में हैं. इसलिए एक हिंदी फिल्म के लिए आम तौर पर यह लगभग 5,000 स्क्रीन होती है."
उन्होंने कहा कि ब्लॉकबस्टर फिल्मों के लिए भी, केवल एक छोटा सा हिस्सा ही उन्हें सिनेमाघरों में देख पाता है.
उन्होंने पूछा, "हमारे देश में, जिसे फिल्म प्रेमी देश के रूप में जाना जाता है, केवल दो प्रतिशत आबादी ही सिनेमाघरों में हमारी सबसे बड़ी हिट फिल्में देखती है. बाकी 98 प्रतिशत लोग कहां हैं जो फिल्म देखते हैं?" उन्होंने यह भी दुख जताया कि भारत के कई इलाकों में, जिनमें कोंकण जैसे क्षेत्र भी शामिल हैं, कोई भी सिनेमाघर नहीं है. आमिर ने कहा, "उन इलाकों में लोग फिल्मों के बारे में सुनते हैं, ऑनलाइन चर्चा देखते हैं, लेकिन उन्हें देखने का कोई तरीका नहीं है... यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. इसलिए सबसे पहले हमें यह करने की जरूरत है कि हमारे पास अधिक स्क्रीन होनी चाहिए." शिखर सम्मेलन के पहले दिन आमिर के समकालीन शाहरुख खान ने भी देश में अधिक सिनेमाघरों की वकालत की थी. उन्होंने कहा, "मैं अभी भी मानता हूं कि आज के समय की मांग छोटे शहरों और कस्बों में सरल, सस्ते सिनेमाघरों की है, ताकि हम अधिक से अधिक भारतीयों को किसी भी भाषा में भारतीय फिल्में सस्ती दरों पर दिखा सकें. अन्यथा, यह बहुत महंगा होता जा रहा है, केवल बड़े शहरों में." इस सत्र में आमिर के साथ निर्माता रितेश सिधवानी, दिनेश विजन, नमित मल्होत्रा, पीवीआर आइनॉक्स के संस्थापक अजय बिजली और अमेरिकी फिल्म निर्माता चार्ल्स रोवन भी शामिल हुए.