नौशाद अख्तर
जब हम कश्मीर के पुलवामा ज़िले के त्राल कस्बे का नाम सुनते हैं, तो जेहन में बुरहान वानी जैसे आतंकियों की तस्वीर उभरती है. लेकिन इस त्राल से पंद्रह किलोमीटर दूर पुलवामा ज़िले के दादासरा गाँव एक और नाम पर गर्व करता है — मेजर जनरल मोहम्मद अमीन नाइक.
यह वही गांव है जहां से एक युवक ने आतंक नहीं, राष्ट्र निर्माण की राह चुनी. न केवल भारतीय सेना में जनरल बनने वाले पहले कश्मीरी मुस्लिम बने, बल्कि अपने कार्य और विचारों से उन्होंने हजारों युवाओं को उग्रवाद नहीं, विकास और देशभक्ति की राह दिखाई.
वर्दी, वीरता और विज़न: एक प्रेरणादायक आरंभ
मेजर जनरल नाइक का सफर केवल सैन्य सेवा तक सीमित नहीं रहा. वे एक पेशेवर इंजीनियर, अंतरराष्ट्रीय स्तर के एथलीट, और एक कुशल पर्वतारोही भी हैं. उन्होंने भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जहाँ न केवल युद्ध कौशल बल्कि बुनियादी ढाँचे और संगठन निर्माण में भी वे अग्रणी रहे.
उनके नेतृत्व में नंदा देवी पारिस्थितिक अभियान का सफल आयोजन हुआ और उन्होंने पुणे स्थित आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट की नींव भी रखी — एक ऐसा संस्थान, जहाँ से आज देश के कई चैंपियन निकल रहे हैं.
खेल में भारत का गौरव, अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित
अमीन नाइक एक ऐसे विरले अधिकारी हैं जिन्हें खेल के क्षेत्र में अर्जुन पुरस्कार मिला है — जो किसी भारतीय खिलाड़ी को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है. नौकायन में उन्होंने 8राष्ट्रीय स्वर्ण, 1रजत और 1कांस्य पदक जीता.
वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी 2स्वर्ण, 1रजत और 1कांस्य के साथ देश का नाम रोशन किया.उनकी उपलब्धियाँ यह दिखाती हैं कि एक सैनिक न केवल बंदूक, बल्कि चप्पू और चोटी के जरिए भी देश की सेवा कर सकता है.
कश्मीर के लिए मिशन: आतंक के विकल्प की तलाश
त्राल जैसे क्षेत्र, जहाँ युवाओं को हथियार उठाने के लिए बहकाया गया, वहाँ मेजर जनरल नाइक ने युवाओं को सेना में भर्ती होने, शिक्षा प्राप्त करने और आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया.
उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि आज सैकड़ों कश्मीरी युवा भारतीय सेना, सीआरपीएफ और पुलिस बलों में सेवाएँ दे रहे हैं. उन्होंने दिखाया कि अगर सही दिशा मिले, तो कश्मीर के बच्चे भी देश के लिए वीरता और सम्मान की मिसाल बन सकते हैं.
"फर्स्ट लर्नर्स गर्ल्स स्कूल" के अध्यक्ष: बेटियों के लिए उम्मीद की किरण
मेजर जनरल नाइक ने न केवल सेना और खेल में बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किया. वे कश्मीर के एक प्रमुख गर्ल्स स्कूल के अध्यक्ष हैं, जहाँ उन्होंने सैकड़ों बच्चियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए संसाधन जुटाए.उनका मानना है कि "अगर कश्मीर को बदलना है, तो बेटियों को शिक्षित करना होगा."
अनडिफ़ेटेड – एक सच्ची कहानी
मेजर जनरल नाइक की प्रेरणादायक गाथा को हाल ही में "अनडिफ़ेटेड – सोल्जर्स ऑफ़ करेज" नामक वेब सीरीज़ में भी दिखाया गया, जो भारतीय सैनिकों की कहानियों पर आधारित है.
इस श्रृंखला में बताया गया कि कैसे एक युवक ने गाँव की बंद गलियों से निकलकर देश के सबसे बड़े सैन्य पदों में से एक को हासिल किया और फिर भी सरलता, करुणा और कर्तव्य की भावना को कभी नहीं छोड़ा.
एक आदर्श, एक संदेश, एक मिशन
जनरल नाइक की कहानी इस बात की मिसाल है कि जन्म किसी ग़लत जगह पर हो सकता है, पर मंज़िल वहाँ से तय नहीं होती. वे आतंक की ज़मीन से उठे, लेकिन अपने साहस और सेवा से कश्मीर और भारत को एक नया रास्ता दिखाया.
वे एक उदाहरण हैं उस भारत की जो विविधता में एकता रखता है, जहाँ धर्म, जाति और क्षेत्र से ऊपर उठकर केवल कर्तव्य और सेवा की पहचान होती है.उनकी विरासत आज भी ज़िंदा है — हर उस कश्मीरी युवा के दिल में, जो बंदूक नहीं किताब, वर्दी और कड़ी मेहनत के ज़रिए देश के साथ खड़ा होना चाहता है.
एक नजर में: मेजर जनरल मोहम्मद अमीन नाइक
मोहम्मद अमीन नाइक का जन्म 25सितंबर 1953को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले के दादासरा गाँव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल (बिस्को) से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई अमर सिंह कॉलेज, श्रीनगर से की. मात्र 19वर्ष की आयु में, 3जनवरी 1973को वे भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में भर्ती हुए.
सैन्य करियर
दिसंबर 1974में मेजर जनरल नाइक को भारतीय सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स में नियुक्त किया गया.
पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापत्तनम में डिज़ाइन इंजीनियर (सिविल) और गैरिसन इंजीनियर के रूप में कार्य किया.
सेना मुख्यालय में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जैसे:जनरल स्टाफ ऑफिसर,
डिप्टी डाइरेक्टर जनरल – पीपीओ,अतिरिक्त महानिदेशक – पर्सनल इंजीनियर्स,मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ में TRIDOC के सहायक प्रमुख
वे 30सितंबर 2011को सेना मुख्यालय में एडीजी (ADG) के पद से सेवानिवृत्त हुए.वर्ष 2008में वे भारतीय सेना में जनरल के पद तक पहुँचने वाले पहले कश्मीरी मुस्लिम बने — जो अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है.
खेल करियर
मेजर जनरल नाइक एक प्रतिष्ठित नौकायन खिलाड़ी (रोवर) भी हैं.उन्हें नौकायन में उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए भारत के सर्वोच्च खेल सम्मान "अर्जुन पुरस्कार" से सम्मानित किया गया.
1982 के एशियाई खेलों में कॉक्स्ड पेयर स्पर्धा में कांस्य पदक जीता.
राष्ट्रीय नौकायन चैंपियनशिप में उन्होंने:8स्वर्ण,1रजतऔर 1कांस्य पदक जीता.
अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी उन्होंने:2स्वर्ण,1रजत,और 1कांस्य पदक अपने नाम किए.
विशेष उपलब्धियाँ
सेना और खेल दोनों में असाधारण योगदान.कश्मीर में युवाओं को सेना में शामिल होने के लिए प्रेरित करने वाले एक रोल मॉडल.शिक्षा, खेल और राष्ट्र निर्माण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.