बासित जरगर/श्रीनग
जम्मू-कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बसे पहलगाम की बैसरन घाटी, जहां 22 अप्रैल को आतंक का कहर टूटा था, अब एक भावुक पल की गवाह बनी है.उस भीषण हमले में अपनी जान की बाज़ी लगाकर कई जिंदगियों को बचाने वाले बहादुर घुड़सवारी संचालकसैयद आदिल हुसैन शाहके परिवार को गुरुवार को सम्मानित किया गया.
जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबीने श्रीनगर में एक समारोह के दौरान आदिल के भाईनजाकत अहमदकोनियुक्ति पत्रसौंपा.यह कदम न केवल शहीद आदिल की बहादुरी को श्रद्धांजलि देने का प्रतीक है, बल्कि उनके परिवार को समर्थन देने की दिशा में भी एक अहम पहल है.
"आदिल की कुर्बानी को कभी भुलाया नहीं जाएगा"
डॉ. अंद्राबी ने नियुक्ति पत्र सौंपते समय कहा,“सैयद आदिल हुसैन शाह ने पर्यटकों की जान बचाने के लिए अपनी जान की आहुति दी.यह बलिदान जम्मू-कश्मीर की वीरता और इंसानियत की मिसाल है। उनकी कुर्बानी को हम कभी नहीं भूल सकते। यह नियुक्ति पत्र हमारे सच्चे हीरो को श्रद्धांजलि है.”
उन्होंने यह भी बताया कि वक्फ बोर्ड आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने वाले हर व्यक्ति और उनके परिजनों के साथ खड़ा है.उन्होंने कहा,“आदिल जैसे युवाओं ने यह साबित किया है कि कश्मीर घाटी में शांति और इंसानियत को बचाने के लिए लोग आगे हैं.”
भावुक हुआ परिवार, भाई ने जताया आभार
नजाकत अहमद, जिन्हें यह नौकरी सौंपी गई, ने भावुक होते हुए कहा,“मेरे भाई ने न केवल हमारा, बल्कि पूरे देश का सिर गर्व से ऊँचा कर दिया.वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे.उनकी जान बचाने की कोशिश में गई, लेकिन वो सैकड़ों लोगों के दिलों में अमर हो गए.मैं सरकार और वक्फ बोर्ड का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने हमारे दर्द को समझा और हमारे परिवार को सहारा दिया.”
बैसरन घाटी में हुआ था निर्मम हमला
22 अप्रैल कोअनंतनाग ज़िलेकेबैसरन घाटीमें आतंकवादियों ने पर्यटकों के एक दल पर अंधाधुंध गोलीबारी कर दी थी.इस हमले में26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई, जिनमें स्थानीय गाइड आदिल हुसैन भी शामिल थे.प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आदिल ने अंतिम सांस तक पर्यटकों को सुरक्षित निकालने का प्रयास किया.
आतंकवाद के खिलाफ कश्मीर की आवाज़
यह घटना एक बार फिर घाटी में चल रहे बदलते माहौल का संकेत देती है, जहां आम लोग आतंकवाद के खिलाफ आवाज़ उठाने लगे हैं.आदिल हुसैन जैसे बहादुर लोगों के बलिदान घाटी में शांति और मानवता की पुनर्स्थापना की दिशा में मील का पत्थर हैं.
सैयद आदिल हुसैन शाह की शहादत ने यह दिखा दिया कि असली वीरता क्या होती है — निहत्थे होकर भी निर्दोषों की रक्षा में खड़ा होना.जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की यह पहल यह दर्शाती है कि राज्य अब उन हाथों को थाम रहा है जो शांति की नींव रख रहे हैं.यह न केवल आदिल की याद को जीवित रखेगा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा कि असली धर्म, इंसानियत और साहस क्या होता है.