नयी दिल्ली
कभी हॉकी के मैदान पर गोल दागना इन खिलाड़ियों की पहचान हुआ करता था; अब पंजाब की विनाशकारी बाढ़ में यही खिलाड़ियों ने अपना नया “फील्ड” बदल लिया है। भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सितारे—जुगराज सिंह, रूपिंदर पाल सिंह, और गुरविंदर सिंह चांडी—अब गुरदासपुर जिले में राहत कार्यों में आम लोगों की सहायता के लिए दिन-रात प्रयास कर रहे हैं।
जुगराज सिंह (एसपी मुख्यालय), रूपिंदर पाल सिंह (सहायक कमिश्नर, अंडर ट्रेनिंग), और गुरविंदर सिंह चांडी (डीएसपी, कलानौर)—तीनों खिलाड़ियों ने अपने खेल के ज्ञान और टीम भावना को राहत कार्यों में उतार दिया है।
पंजाब को 1988 के बाद सबसे विनाशकारी बाढ़ का सामना करना पड़ा है—राज्य के सभी 23 जिले प्रभावित हुए हैं, 1400 से अधिक गांव जलमग्न हैं, लगभग 3.5 लाख लोग प्रभावित हुए और 37 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
जुगराज सिंह ने बताया कि बीएसएफ, सेना, पुलिस, प्रशासन और एनडीआरएफ मिलकर राहत अभियान चला रहे हैं। अब तक राशन, दवाईयाँ और आवश्यक सामग्री पहुंचाने के बाद अब मेडिकल कैंप भी लग रहे हैं, जहां डॉक्टरों और एनजीओ की टीमें काम कर रही हैं।
जुगराज, जिन्होंने जूनियर वर्ल्ड कप (2001) और बुसान एशियाई खेलों में रजत पदक जीता था, कहते हैं—“हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि राशन बिना लड़ाई या झन्झट के सही समय पर पहुंच जाए।”
उनका मानना है कि खिलाड़ी होने के कारण उन्हें तेज फैसले लेने और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने का समझ आता है, जो इस समय बेहद काम आ रहा है।
रूपिंदर पाल सिंह — एक पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञ और टोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक विजेता — कह रहे हैं कि यह अनुभव उनके लिए पूरी तरह नया है; खेल का मैदान छोड़कर गांवों में राहत कार्य करना। वे दीनानगर उपविभाग में 8–9 गांवों में राहत टीम के साथ तैनात हैं, और उन्होंने अब तक 1500 लोगों को सुरक्षित निकाला है।
रूपिंदर ने बताया कि रावी और ऊझ नदियों के मिलन स्थल के करीब से बाढ़ का असर सबसे ज्यादा हुआ। पहले तीन दिन ट्रैक्टर–ट्राली भी नहीं चल पाई, लेकिन स्थानीय युवाओं के सहयोग से सब संभव हुआ। कई ग्रामीण पहले नहीं जानते थे कि वे भारत के लिए हॉकी खेल चुके हैं, पर जैसे ही उन्हें पता चला, और युवा भी राहत कार्यों में जुड़ गए।
उन्होंने कहा, *“पूरे गुरदासपुर में लगभग 6,000 लोगों को निकाला गया है, और इस दौरान एक भी मौत नहीं हुई, हालांकि पशुधन को भारी क्षति हुई है।”*उनकी राहत मुहिम की एक घटना उन्हें आज भी याद है—जब एक परिवार के चार लोग अपनी कच्ची छत पर फंसे थे, और जिंदा बचाने के लिए एनडीआरएफ की नाव और टीम को ख़ास रणनीति के साथ उन्हें निकाला गया।
गुरविंदर सिंह चांडी, जो लंदन ओलंपिक 2012 में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, अभी गुरदासपुर के कलानौर में डीएसपी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी टीमवर्क से राहत कार्यों में कार्य क्षमता बनी हुई है।
उन्होंने साझा किया कि एक बुजुर्ग को सांप ने काटा था—उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया। एक गर्भवती महिला को सुरक्षित स्थान तक लेकर जाया गया जहां उसकी डिलीवरी हो पाई। एक लड़की की शादी भी सुरक्षित कार्य में बाधित नहीं हुई—राहत टीम ने उसकी शादी में पहुंचने में मदद की।
गौशाला भी बाढ़ की चपेट में थी—गायों को सुरक्षित निकाला गया। सभी राहत एजेंसियों ने मिलकर दिन-रात काम किया। गुरविंदर कहते हैं कि “राहताभियान की चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं, लेकिन टीमवर्क के जरिए हम आगे बढ़ रहे हैं।”
जुगराज बताते हैं कि राहत कार्य का सबसे बड़ा हिस्सा फोन एवं सम्पर्क की गड़बड़ी नहीं—असल चुनौती है सामग्री को सही जगह और सही समय पर पहुंचाना। “सुबह से हम इलाके का सर्वे करते हैं, राशन-ड्राई फूड वितरित होता है, लिस्ट बनती है—सबके लिए सही सामान भेजा जाता है।”
वे आगे कहते हैं, “किसानो की फसल नष्ट हो चुकी है—उन्हें फिर खेती लायक जमीन बनाने में डेढ़-दो साल लग सकते हैं। बेघर लोगों को फिर से बसाना भी बड़ा काम है।”